देहरादून : वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. योगम्बर सिंह बर्त्वाल तुंगनाथी का आज देहरादून में निधन हो गया वे 75 वर्ष के थे। बीमारी के चलते वो 21 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे। उनके जाने से उत्तराखंड साहित्य जगत की बड़ी क्षिति हुई है।
डॉ. बर्त्वाल जी स्वास्थ्य विभाग की सरकारी सेवा के साथ साथ पत्रकारिता और साहित्य सृजन भी करते थे। लगभग 2000 से अधिक गांवों का भ्रमण करने से उन्हें गांवों के भूगोल व इतिहास की गहरी जानकारी थी जिसके कारण उनकी एक विशिष्ट पहचान थी। उन्होंने अपने जीवनकाल में समाजसेवा से जुड़े रहकर करीब चार सौ से अधिक लोगों से नेत्रदान का संकल्प भी करवाया।
लगभग दो दर्जन पुस्तकों के रचियता डॉक्टर बर्त्वाल जी ने लगभग 300 दुर्लभ पत्र, डायरियां आदि भी भारत सरकार के रिकॉर्ड में दर्ज कराए हैं। यह दुर्लभ पत्र और डायरिया उन्होंने अपने अथक प्रयासों व विभिन्न स्रोतों से जुटाए। वे अपने अंतिम समय तक लेखन में सतत साधनारत रहे।
अपनी विलक्षण प्रतिभा और स्मरण शक्ति के चलते उन्हें उत्तराखंड के साथ–साथ देश के विभिन्न भागों का इतिहास, कालखंड मौखिक रूप से याद था । डॉ. बर्त्वाल विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े रहे। चंद्र कुमार बर्त्वाल शोध संस्थान के माध्यम से उन्होंने भावी पीढ़ी के ज्ञान को बढ़ाने वाले अनेकों कार्यक्रम चलाए । असल में वे समाज के सजग प्रहरी थे । बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. बर्त्वाल समाज के लिए सदैव आदर्श बने रहेंगे।
साहित्य व समाज से जुड़ी अनेकों हस्तियों ने उनके निधन पर शौक जताया और उन्हें अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
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