करंट पोस्ट

8/recent/ticker-posts

मातृभाषा कक्षाएं : गढ़वाली कुमाऊंनी भाषा निःशुल्क कक्षाएं 11 मई से होंगी शुरू कक्षाएं शुरू होने से पूर्व हुआ कार्यशाला का आयोजन

मातृभाषा कक्षाएं  :  गढ़वाली कुमाऊंनी भाषा कक्षाएं शुरू होने से पूर्व कार्यशाला का हुआ आयोजन, 11 मई से शुरू होंगी निःशुल्क कक्षाएं

दिल्ली/ एनसीआर : उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच दिल्ली द्वारा गढ़वाली कुमाऊंनी निःशुल्क  ग्रीष्मकालीन कक्षाओं का शुभारंभ 11 मई 2025 से किया जाएगा। कक्षाएं शुरू होने से पूर्व मंच ने डीपीएमआई सभागार, न्यू अशोक नगर दिल्ली में रविवार 4 मई को मंच के संरक्षक डॉ विनोद बछेती के नेतृत्व में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सभी सेंटरों के संचालकों और शिक्षकों को कक्षाओं के संचालन, पाठ्यक्रम और अध्यापन से जुड़े कुछ आवश्यक सुझाव दिए गए।

मंच के संयोजक दिनेश ध्यानी ने बताया कि लोकभाषा की ग्रीष्मकालीन कक्षाएं इस वर्ष 11 मई से 10 अगस्त 2025 तक चलेंगी। हम सन 2016 से इन कक्षाओं का संचालन करते आ रहे हैं और हमारा यह सौभाग्य है की प्रवासी बंधु, युवा पीढ़ी को अपनी लोक भाषाओं से जोड़ने की हमारी इस यात्रा में हमें प्रतिवर्ष भरपूर सहयोग दे रहे हैं। गत वर्ष हमारे पास दिल्ली एनसीआर में करीब 34 केंद्र थे जिनकी संख्या इस साल बढ़कर 45 से ऊपर पहुँच गयी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि युवा पीढ़ी अपनी मातृ भाषा (दुध बोली) की और आकर्षित हो रही है।  इस बार दिल्ली दिल्ली के अलावा फरीदाबाद, गुरुग्राम, गाजियाबाद, देहरादून, श्रीनगर, अल्मोड़ा में भी कक्षाएं लगेंगी। यही नहीं इस बार देश से बाहर इंग्लैंड के पांच शहरों में भी प्रत्येक रविवार को एम एस नेगी के सहयोग से गढ़वाली कुमाऊंनी कक्षाओं का संचालन किया जायेगा। हम इन बच्चों को हमारे द्वारा तैयार गढ़वाली कुमाउनी भाषा पाठ्यक्रम के माध्यम से पढ़ाएंगे। 

दिनेश ध्यानी ने बताया कि जिनको भी अपनी भाषा गढ़वाली या कुमाऊंनी सीखनी है वो निसंकोच इन कक्षाओं में आ सकता है। उम्र का कोई बंधन नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि हमारे पास विगत वर्षों में ऐसे भी बच्चे भाषा सीखने आये जो अन्य राज्यों उड़ीसा, बिहार से संबध रखते थे। इसी तरह उत्तराखंड यूनिवर्सिटी श्रीनगर में पीएचडी कर रहे वो छात्र छात्राएं भी गढ़वाली कुमाउनी सीखने में रूचि ले रहे हैं जो मूल रूप से उत्तराखंड के नहीं हैं। 

इन कक्षाओं के आयोजन में जयपाल सिंह रावत,रमेश चंद्र घिल्डियाल,  दर्शन सिंह रावत, रमेश हितैषी, चंदन सिंह प्रेमी, जगमोहन रावत जगमोरा, अनिल कुमार पंत, रेखा चौहान, दयाल सिंह नेगी, नीरज बवाड़ी विशेष योगदान दे रहे हैं। 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ