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किरन नेगी को श्रद्धांजलि स्वरुप सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षिका बीना नयाल जी की रचना : अब तो विदा कर दो मुझे

किरन नेगी

सन 2012 में दिल्ली के नज़फगढ़ में रहने वाली किरन नेगी का छावला इलाके से अपहरण कर रेप करने के बाद निर्मम हत्या कर दी गई थी। उसके हत्या आरोपियों को निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने मौत की सजा दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। किरन नेगी  के माता पिता और पुलिस द्वारा पुनर्विचार याचिका को भी अभी कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया जिससे किरन नेगी के परिवार सहित सामाजिक लोग काफी आहत हैं। 

किरन नेगी को श्रद्धांजलि स्वरुप सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षिका बीना नयाल जी की  रचना 


अब तो विदा कर दो मुझे

गुजर गया है एक दशक 

         जख्मों को ना मिला मरहम

चौपाल से लेकर संसद तक 

          निर्वस्त्र तन्त्र हो गया बेरहम

 घायल रूह की अंतिम पुकार 

             अब तो विदा कर दो मुझे।

तन लुटा मेरा एक बार 

            आत्मा पर अनगिनत प्रहार   

  अंधकार से प्रकाश पथ का

          अब अख्तियार करने दो मार्ग 

  जयमाल शोभित जहा अन्यायी कंठ

           उस धरा से विदा दे दो मुझे।

थम गया है कारवां उनका 

            सदा महकती बगिया गुलजार

 क्षत-विक्षत सपनों की अर्थी पर

             अनगिनत लौ हो गई निसार

  हुआ अस्त सूर्य न्याय का

              अब तो विदा कर दो मुझे।

बुझ गई एक किरण तो क्या   

   अगणित किरणों को देना आकाश 

 सम समाज का धरातल बुनना

            लूटने न देना फिर अरमान 

मद्धम ना हो संकल्प की अग्नि 

           दे वचन विदा कर दो मुझे।

पराजित न्याय की माटी पर

         नव संस्कारों का हो बीजारोपण

अंगारों से भी ना विचलित जो

        महिषासुर का स्वयं करे मर्दन

प्रशस्त होने को नव पथ पर

            अलविदा अब कह दो मुझे।

युगो युगो के तप की माटी

                  श्राप कन्या का ना सह पाएगी

छली गई जितनी देहरी पर

                    प्रकृति काल बन कहर बरपाएगी

 नवसृजन की बनने को किरण

                          आशीष दे विदा कर दो मुझे ।

                                         बीना नयाल

                                                                                          पुत्री स्वर्गीय दीवान सिंह नयाल


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