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उत्तराखंड : जनपद चमोली में जंगली जानवरों के हमलों पर प्रशासन की बेरुखी के खिलाफ ग्राम किमोठा के प्रधान हरिकृष्ण किमोठी ने भरी हुंकार DFO ऑफिस पहुंच सरकार को चेताया

उत्तराखंड : जनपद चमोली में जंगली जानवरों के हमलों पर प्रशाशन की बेरुखी के खिलाफ ग्राम किमोठा के प्रधान हरिकृष्ण किमोठी ने भरी हुंकार DFO ऑफिस पहुंच सरकार को चेताया

कर्णप्रयाग : विगत  दिनों उत्तराखंड के जनपद चमोली में भालू व गुलदार के लगातार हमलों से लोग दहशत में हैं। लेकिन सरकार की तरफ से लोगों की सुरक्षा के लिए अभी तक कोई ठोस प्रयास नजर नहीं आया है जिससे पूरे जनपद में सरकार के खिलाफ आक्रोश है। लोगों के आक्रोश के चलते पोखरी विकासखंड के ग्राम किमोठा के प्रधान ने DFO ऑफिस पहुंच दहाड़ते हुए चेतावनी दी कि यदि प्रशासन लोगों की सुरक्षा नहीं कर सकता तो हम आत्मरक्षा में खुद हथियार उठा लेंगे। 

विकासखंड पोखरी में भालू जंगलों से निकल स्कूल तक पहुंच गए हैं। उन्होंने लगातार दो दिन एक ही स्कूल में बच्चों पर जानलेवा हमला किया । इस घटना से बच्चे एवं उनके अभिभावक डरे सहमे से हैं लेकिन प्रशासन घटना पर मुआवजे के बात कर कोई ठोस नीति बनाने में ढुलमुल रवैया ही अपनाए हुए है। वहीं भालू के आतंक से लोग रात रात जागकर अपनी जान बचाने को विवश है।



इससे पहले भी भालू ने कई औरतों को बुरी तरह घायल किया था। लेकिन प्रशासन मुआवजे की बात कर सुरक्षा को बिलकुल नजरअंदाज किये हुए है। 

लोगों की परेशानी को देखते हुए ग्राम किमोठा के प्रधान हरिशंकर ने DFO ऑफिस पहुंचकर घटना से संबंधित जानकारी लेनी चाही। लेकिन अधिकारियों द्वारा गोल माल जवाब मिलने पर उनका सब्र टूट गया और उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दे डाली व अपने साथ आए लोगों को चेताया कि अब हमें सरकार के भरोसे न बैठकर खुद ही फैसला करना होगा। उन्होंने लोगों से कहा कि अब आप सभी लोग बरछे कुल्हाड़ी इत्यादि हथियार तैयार करें और खूंखार जानवरों का खुद ही अंत करें। इस पर अगर कोई केस बनता है तो मैं वो सारे केस अपने ऊपर लेने को तैयार हूँ। उन्होंने DFO ऑफिस में ही सरकार को एक संदेश भी दिया कि यहां वन विभाग के सभी कर्मचारी निकम्मे हैं इनका तुरंत यहां से स्थानांतरण कर नया स्टाफ भेजा जाए। 

उन्होंने कठोर शब्दों में कहा कि मेरी ग्रामसभा की बाउंड्री में यदि कोई आदमखोर जानवर दिखाई दिया तो हम उसे ठोक देंगे। आपसे जो बने कर लेना। उनकी इस हुंकार को अन्य ग्रामवासियों ने भी सहयोग दिया। उन्होंने कहा हमारे पूर्वज पहले लाठी डंडों से ही इन खूंखार जानवरों को मार दिया करते थे। अब हमें भी रौद्ररूप धरने पर मजबूर न करे। 


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