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मानसखंड पर आधारित त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन नेपाल में संपन्न हुआ

 

भारत और  नेपाल  धार्मिक,सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि  से  अनंत काल से अभिन्न अंग रहे हैं।कुछ समय से राजनीतिक कारणों से इन संबंधों में  कुछ अलगाव सा नज़र आने लगा था।  "मानसखंड"  कोरिडोर बनाने जैसी पहल दोनों देशों के धार्मिक पर्यटन सहित ,दोनों देशों के  सदियों पुराने संबंधों  को मजबूती प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल होगी। दोनों पड़ोसी राष्ट्र हैं और  इसके साथ ही दोनों राष्ट्रों की धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई, एवम ऐतिहासिक स्थिति में बहुत अधिक समानता है।  

मध्य हिमालय उत्तराखंड में नंदापर्वत से लेकर काकगिरी पर्वत (पश्चिमी नेपाल) तक अनेक तीर्थों का उल्लेख स्कंदपुराण के अंतर्गत  "मानसखंड"  में हुआ है।

मानासखंड

प्राचीन स्कंदपुराण के अंतर्गत  विदित  मानसखंड अभी सुगमता से प्राप्त नहीं है। श्री गोपाल दत्त पाण्डे, डॉ. हेमा उनियाल द्वारा लिखित (क्रमशः 1989,2014) मानसखंड में भौगोलिक वर्णन सहित बहुत से प्राचीन,प्रसिद्ध मंदिरों का वर्णन  शामिल किया गया है जो  काली नदी के आर और पार के क्षेत्रों में आवाजाही बढ़ाने  सहित धार्मिक पर्यटन हेतु दोनों देशों के बीच सेतु  का काम करेगा।

उत्तराखंड हिमालय की  पर्वत श्रेणियां  पूर्व से पश्चिम तक फैली हुई हैं। इस पूरे क्षेत्र का हिमालयिक अध्ययन, वेद,पुराण ,रामायण ,महाभारत काल से  बीसवीं शताब्दी तक इन तीर्थों के माध्यम से आध्यात्मिक-धार्मिक पर्यटन, गुफा धरोहर,स्थानीय विकास, इको टूरिज्म व आपसी जुड़ाव आदि को  साथ लेते हुए भारत और नेपाल  दोनों राष्ट्रों  के बीच आपसी समन्वय से महत्वपूर्ण  कार्य संभव  हो सकते हैं ।

दोनों देशों के आपसी संबंध को आगे बढ़ाने के लिए ,दोनों राष्ट्रों के आर्थिक विकास में मजबूती लाने के उद्देश्य से यह  समन्वित प्रयास है जिसमें आने वाले दिनों में "मानसखंड" की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।

यह तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आयोजन, फार  वेस्टर्न यूनिवर्सिटी (कंचनपुर , नेपाल),सुदूर पश्चिम क्षेत्र धनगढ़ी में 15-17अप्रैल तक रखा गया। जिसमें उत्तराखंड एवं  नेपाल  हिमालय एवं "मानसखण्ड" के जानकार  वक्ता, प्रोफेसर्स, उप कुलपति ,राजनीतिज्ञों  आदि के विचारों को  सम्मिलित किया गया जिसमें  रामायण, महाभारत, नाथ सम्प्रदाय, मानसखंड आदि माध्यमों से सर्किट का निर्माण, दोनों देशों के बीच धार्मिक टूरिज्म सहित टेंपल इकोनॉमी को बढ़ावा मिल सकता है।

फार वेस्टर्न यूनिवर्सिटी कंचनपुर(नेपाल) , अंतरराष्ट्रीय सहयोग  परिषद भारत,सुदूर पश्चिम प्रोविंस गवर्नमेंट(नेपाल), नेपाल - भारत सहयोग मंच,महाकाली साहित्य संगम, कुमाऊं यूनिवर्सिटी, एस .एस. जीना यूनिवर्सिटी और ऋषिहुड यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में यह त्रिदिवसीय आयोजन संपन्न हुआ।

जिसमें  प्रो  एन.एस भंडारी,डॉ वसुधा पाण्डे, डॉ हेमा उनियाल, डॉ प्रज्ञा वसुदेव पाण्डे, डॉ रितेश साह, डॉ अनुराधा गोस्वामी, डॉ रितेश साह द्वितीय, डॉ शैलेंद्र खनल, डॉ.दिव्येश्वरी जोशी, दीपा दुराश्वामी, डॉ नेहा नायर वासुदेव पांडेय,डॉ नारायणी भट्ट , आचार्य घनश्याम लेखक, डॉ नितिन शर्मा,श्री राजेंद्र सिंह रावल , प्रो राजेश खरात , पद्मराज जोशी आदि आमंत्रित सदस्यों के वक्तव्य,पेपर प्रेजेंटेशन व  पॉवर प्रजेंटेशन रहा। डॉ हेमा उनियाल के "मानसखंड" ग्रंथ से लिए कुछ चित्रों की प्रदर्शनी भी कार्यक्रम के दौरान लगाई गई।

इस सम्मेलन को सुचारू एवम क्रमबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने  में   जुड़ी टीम के सदस्यों में- श्री लवी त्यागी, डॉ.महेश चंद्र शर्मा, श्री महेश चंद्र गोयल प्रो. रितु चौधरी, डॉ श्वेता सिंह , डॉ.दीपक भट्ट,श्री संदीप राणा, डॉ नवनीत , कुलदीप आदि की भूमिका महत्वपूर्ण रही। फार वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो० डॉ अम्माराज जोशी,

अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद भारत के चेयरमैन श्री श्याम परांडे, प्रो.मुकुंद कालौनी ( डीन ,Fo HSS),मुख्यमंत्री सुदूर पश्चिम प्रांत श्री कमल बहादुर शाह, डॉ विजय चौथाइवले तथा नेपाल में भारत के राजदूत  श्री नवीन श्रीवास्तव , डॉ आरजू राणा देउबा(नेत्री ), डी आई जी,सुरक्षा श्री भगत सिंह टोलिया आदि गणमान्य द्वारा सुरक्षा ,सहूलियतों , संचार माध्यमों,तकनीकी, आवाजाही, व धार्मिक दृष्टि से" मानसखण्ड मंदिर माला योजना" पर क्रियान्वयन की बारीकियों  को दृष्टिगत रखते हुए दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने हेतु  अपने विचार प्रस्तुत किए ।

पर्यटन विभाग, उत्तराखंड सरकार, देहरादून द्वारा "मानस खंड मंदिर योजना मिशन"  पर कार्य आरंभ हो गया है ।नेपाल में भी इसकी शुरुआत के लिए पर्यंत जारी हैं।पश्चिमी नेपाल का जो "मानसखंड" में भाग रहा है उसे भी जोड़ने के सार्थक प्रयासों पर पहल शुरू हुई है।

नेपाल में भारत के राजदूत श्री नवीन श्रीवास्तव ने कहा- दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए यह एक सुंदर,सार्थक पहल है । दोनों  जगहों  के आर्थिक विकास,धार्मिक टूरिज्म को आगे बढ़ाने , कनेक्टिविटी को बढ़ाने,  संचार माध्यमों  तथा पे कार्ड, फोन पे, ई सेवा पर जोर देने  व बनवसा के बीच पुल का निर्माण आदि कार्य, आपस में जोड़ने की दृष्टि से इस धार्मिक सर्किट के निर्माण  के लिए  महत्वपूर्ण होंगे।

भारत और नेपाल के बीच "मानसखंड" कॉरिडोर ,मंदिर माला मिशन को लेकर यह त्रि-दिवसीय आयोजन  महत्वपूर्ण रहा। जिसमें पौराणिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक आदि  विभिन्न दृष्टि से एक सार्थक  वार्तालाप संपन्न हुआ  ।

 डॉ हेमा उनियाल

(ग्रंथकार : केदारखंड, मानसखंड)

ग्रेटर नोएडा

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