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पहाड़ी औरत की जीवटता को दर्शाता गीत "मेरी मां"

मेरी मां

कवि व गीतकार मदन डुकलान द्वारा निर्देशित और डॉक्टर कुसुम भट्ट द्वारा लयबद्ध और स्वरबद्ध गीत मेरी माँ 

मां एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही सब नतमस्तक हो जाते हैं। वो संघर्ष की प्रतिमूर्ति है। अगर बात करें उत्तराखंड की महिलाओं की तो वो सदैव ही विषम परिस्थितियों से सामंजस्य बना परिवार की खुशियों के लिए खुद को खपा देती हैं लेकिन अपना दर्द किसी को बता नहीं पाती। लेकिन उनके भीतर के दर्द को किसी ने समझा है तो वो है साहित्यकार और कवि। जिन्होंने अपनी रचनाओं और लेखों के माध्यम से उनकी पीड़ा को दुनिया तक पहुंचाया। 

गढ़वाली भाषा के मजबूत हस्ताक्षर मदन डुकलान ने भी ऐसे कई प्रयास किए हैं। जिनमें से उनकी एक गढ़वाली रचना ‘मेरि मां’ हाल ही में स्वरबद्ध होकर यूट्यूब पर रिलीज हुई है जिसे लोगों का भरपूर प्यार मिल रहा है।

तृषा सारंग फिल्मस के बैनर तले रिलीज हुआ ‘मेरि मां’ गीत को मदन डुकलान के निर्देशन में स्वरबद्ध किया है मंझी हुई मधुर आवाज की धनी गायिका डॉ. कुसुम भट्ट और मुकेश सारंग ने। वहीं इस गीत की धुन डॉ. कुसुम भट्ट और संगीत विनोद पांडेय ने तैयार किया है। गीत में मां के अभिनय को जीवंत किया है प्रसिद्ध अभिनेत्री कुसुम गौड़ ने । अन्य अदाकारों में तृषा सारंग, अर्णव चंदोला और एकता राणा शामिल हैं।

इस गीत में गीतकार ने मां के जीवन संघर्ष को जिन प्रतीकों और उपमाओं से उकेरा है, वह सब हर पहाड़ी महिला की दैनिक जीवनचर्या से जुड़े हैं। इन शुद्ध गढ़वाली शब्दों को सुनकर आज का युवा अपनी माटी की कीमत और पहाड़ की महिलाओं के जीवन संघर्ष को बखूबी समझ सकता है।

इस गीत में मां के किरदार के माध्यम से ‘पर्वतीय नारी’ की जीवटता को जाना व पहचाना जा सकता है। कुल मिलाकर कलाकारों के कुशल अभिनय बढ़िया बोल, धुन , संगीत और मखमली आवाज के साथ मदन डुकलान के निर्देशन में जिस तरह से भावों को उजागर किया गया है वो काबिले तारीफ है। 


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