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परखम में बुनकर चौपाल : बुनकरों को मिलेगा 45 दिन का प्रशिक्षण, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

परखम में बुनकर चौपाल : बुनकरों को मिलेगा 45 दिन का प्रशिक्षण, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

परखम : दीनदयाल बुनकर केंद्र, गौ ग्राम परखम समिति और कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को ‘बुनकर चौपाल’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत अखिल भारतीय गौ गतिविधि संयोजक अजीत महापात्रा ने भारत माता एवं भगवान विश्वकर्मा के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर की।

कार्यक्रम में कपड़ा मंत्रालय के नॉर्थ जोन निदेशक विशेष नौटियाल ने बुनकरों के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए जा रहे बुनाई एवं डिज़ाइनिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि चयनित बुनकरों को 45 दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा और प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें निःशुल्क हथकरघा मशीन भी उपलब्ध कराई जाएगी। नौटियाल ने कहा कि यह योजना कारीगरों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाकर उन्हें बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाएगी।

कपड़ा मंत्रालय, पूर्वी उत्तर प्रदेश के उप निदेशक तपन शर्मा ने राज्य सरकार की विभिन्न हथकरघा योजनाओं के लाभों के बारे में बताया। वहीं, उत्तराखंड हाथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद के उपाध्यक्ष वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण से पारंपरिक बुनाई उद्योग को नई ऊर्जा मिलेगी और युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

आयोजकों के अनुसार, प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को 300 रुपये प्रतिदिन मानदेय भी दिया जाएगा। इससे बुनकर बिना आर्थिक दबाव के कौशल-विकास में भाग ले सकेंगे।

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को ग्रामीण और कुटीर उद्योग स्तर पर गति देने वाला कदम है। हथकरघा क्षेत्र भारतीय स्वदेशी परंपरा का प्रमुख स्तंभ रहा है और यह योजना पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करने के साथ ‘वोकल फॉर लोकल’ के संकल्प को भी मज़बूत करेगी।

स्थानीय बुनकरों ने आशा व्यक्त की कि प्रशिक्षण और सरकारी सहयोग से उनके उत्पादों को व्यापक बाजार मिलेगा तथा उनकी आय में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बुनकर और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।

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