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उत्तराखंड की लोकगायिका डॉ. माधुरी बड़थ्वाल,समाजसेवी बसंती बिष्ट और महिला हॉकी खिलाडी वंदना कटारिया को पदमश्री सम्मान से नवाजा जायेगा


उत्तराखंड की लोकगायिका डॉ. माधुरी बड़थ्वाल,समाजसेवी बसंती

बिष्ट और महिला हॉकी खिलाडी वंदना कटारिया को पदमश्री सम्मान

से नवाजा जायेगा 

नई दिल्ली : पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड के लोगों ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। लेकिन पहाड़ के जो मूल लोकगीत थे वो वहां के गीतों में अब सुनाई नहीं पड़ रहे थे पर जब से लोक गायिका बसंती बिष्ट, जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरत्वाण को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया उसके बाद एक बार फिर से पहाड़ के लोक गीतों की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है।  

इस बार गणतंत्र दिवस पर उत्तराखंड की महान लोक गायिका डॉ. माधुरी बड़थ्वाल को पदमश्री से सम्मानित करने पर उत्तराखंड गौरवान्वित महसूस कर रहा है। डॉ. बड़थ्वाल ने अपना सम्पूर्ण जीवन लोकगीतों  के संरक्षण में लगा दिया । उन्हें कला के क्षेत्र में पदमश्री सम्मान से सम्मानित किया जायेगा। उनको नज़दीक से जानने वालों का कहना है कि लोकगीतों के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित माधुरी जी को ये सम्मान काफी पहले मिल जाना चाहिए था। अगर आप लोक गीतों को माधुरी जी की मधुर आवाज में सुने तो आप लोकजीवन को अच्छे से समझ पाएंगे। वे आज महिलाओं को गायन और वादन के लिए प्रेरित करने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण भी दे रही हैं। 

जाने कौन है डॉ. माधुरी बड़थ्वाल 

बता दें कि डॉ. माधुरी बडथ्वाल मूल रूप से जनपद पौड़ी के यमकेश्वर के चाय दमराड़ा की निवासी  है और वर्तमान में देहरादून के बालावाला में रहती हैं। उनके पिता चंद्रमणि उनियाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे।  ऐसे में उनकी प्रारंभिक शिक्षा लैंसडौन में ही हुई। बचपन से ही संगीत से लगाव रखने वाली माधुरी ने 1969 में राजकीय इंटर कालेज लैंसडौन से हाईस्कूल करने के बाद इसी स्कूल में संगीत की शिक्षिका के रूप में अपनी सेवाएं दी। इसके बाद उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद संगीत समिति से संगीत का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने आगे की पढ़ाई प्राइवेट से जारी रखी। आगरा यूनिवर्सिटी से संगीत में डिग्री व रुहेलखंडी यूनिवर्सिटी से हिंदी से एमए करने के बाद वर्ष 2007 में उन्होंने केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आकाशवाणी में 32 वर्षों के सेवा के बाद वो सेवनिर्वित होकर पूर्णरूप से लोकसंस्कृति के प्रति समर्पित है। वर्ष 2019 में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा।

माधुरी जी ने शास्त्रीय संगीत की विधिवत तालीम ली लेकिन मन पहाड़ के लोकगीतों में लगा रहता था। माधुरी को आकाशवाणी नजीबाबाद मे प्रथम महिला म्यूज़िक कम्पोजर के रूप मे अखिल भारतीय स्तर पर पहचान मिली। इस दौरान माधुरी ने सैकड़ो संगीत, नाटको और रूपको का कुशल निर्देशन, लेखन और निर्माण किया। जबकि गढ़वाली भाषा, मुहावरे, लोकोक्तियाँ, लोकगीतो, लोकगाथाओ व कथाओं का गूढ ज्ञान भी प्राप्त किया। जबकि हिन्दी मे स्नातकोर करने के साथ ही संगीत और साहित्य का अनूठा रिश्ता बनता चला गया। कहते हैं आज भी उनके पास ऐसे सैकड़ों लोकगीतों का खजाना है जो आज लोक से विलुप्त हो चुके हैं।

ऋतु मा ऋतु कु ऋतु बडी

ऋतु मा ऋतु बसंत ऋतु बडी

जौ जस देवा खोली का गणेशा

ग्वीरालू फूल फूली गे मेरा भेना

रे मासी कू फूल, फूल कविलास

के देवा चढालू, फूल कविलास 


उत्तराखंड की  तीन महिलाओं को मिला पदमश्री 

डॉ. माधुरी बड़थ्वाल के साथ ही उत्तराखड की दो  और महिलाओं को पदमश्री से नवाजा गया है। बसंती देवी को समाजसेवा के लिए और वंदना कटारिया को खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर ये सम्मान दिया जायेगा। वंदना कटारिया उत्तराखंड हरिद्वार की रहने वाली है और उन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए टोक्यो ओलिंपिक में गोलों की हैट्रिक लगाकर इतिहास रच दिया था। 

इन सभी के पदमश्री सम्मान के लिए चयनित होने और उत्तराखंड को गौरवान्वित करने के लिए ढेरों बधाईया। 



 









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