नई दिल्ली, उत्तराखंड सदन, चाणक्यपुरी में शनिवार 23 अगस्त 2025 को प्रवासी उत्तराखंडियों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा विभिन्न संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अब से सभी उत्तराखंडवासियों का एकमात्र लक्ष्य एवं एकसूत्रीय कार्यक्रम “गैरसैंण स्थायी राजधानी” होगा।
बैठक में उपस्थित प्रत्येक सदस्य ने इस उद्देश्य के प्रति अपना गहरा समर्थन और अटूट प्रतिबद्धता व्यक्त की। सभी ने कहा कि “गैरसैंण स्थायी राजधानी” केवल एक राजनैतिक मुद्दा नहीं, बल्कि उत्तराखंड के भविष्य, अस्तित्व और अस्मिता से जुड़ा हुआ प्रश्न है।
बैठक में एक कार्यकारिणी समिति (Executive Committee) का गठन भी किया गया, जो दिन-प्रतिदिन के कार्यों की देखरेख करेगी तथा इस आंदोलन को पूरे देशभर के प्रवासी उत्तराखंडियों तक पहुँचाएगी।
बैठक में अतिथि के तौर पर उपस्थित उत्तराखंड सरकार के राज पुरोहित संतोष खंडूड़ी ने राजधानी गैरसैंण के मुद्दे को अपना पूरा समर्थन देते हुए कहा कि मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि उत्तराखंड सरकार जनभावनाओं को समझे ।
इस अवसर पर आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक श्री विनोद कुमार रतूड़ी (सेवानिवृत्त आईएएस) ने सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह आंदोलन उत्तराखंड की आत्मा से जुड़ा हुआ है। उन्होंने समिति को शुभकामनाएँ देते हुए विश्वास जताया कि सामूहिक प्रयासों से “गैरसैंण स्थायी राजधानी” के इस मिशन को अवश्य सफलता मिलेगी।
वरिष्ठ पत्रकार एवं विचारक श्री देवेन एस. खत्री ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड की सभी समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब राज्य की राजधानी पहाड़ों में स्थापित होगी। भौगोलिक, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से गैरसैंण ही एकमात्र उपयुक्त स्थान है जो स्थायी राजधानी के लिए पूर्णत: योग्य है। यह सिर्फ़ एक राजधानी नहीं, बल्कि उत्तराखंड की जीवनरेखा है।
तीन घंटे तक चली बैठक में श्री ध्यानी जी, देवेंद्र रतूड़ी जी, जगदीश पुरोहित जी, गुसाईं जी, रतूड़ीं जी, नेगी जी, महावीर सिंह फर्स्वाण जी व पंत जी ने अपने अनुभवी विचार ब्यक्त करते हुए मार्गदर्शन किया। कर्नल श्री पंत जी ने बिना कोई पद लिए इस आंदोलन को पूरा सहयोग देने की बात कही।
बैठक में सर्वसम्मति से श्रीमती हेमलता रतूड़ी को प्रवासी संयोजक नियुक्त किया गया। अब समस्त आंदोलन और भविष्य की कार्ययोजना “गैरसैंण स्थायी राजधानी समिति” के बैनर तले संचालित होगी।
सभी प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने के लिए जल्द ही जिला स्तर पर संगठन का विस्तार किया जाएगा, जिससे यह अभियान पूरे उत्तराखंड और प्रवासी समाज तक पहुँचे।
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