गढ़वाल हितैषिणी सभा दिल्ली चुनाव 2025 : दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों की सौ साल पुरानी गढ़वाल हितैषिणी सभा की कार्यकारिणी के आगामी कार्यकाल के लिए रविवार 16 फ़रवरी को चुनाव होने निश्चित हुए है। इस बार तीन पैनल चुनाव मैदान में है। नवनियुक्त सदस्यों का पैनल नंबर 3 भी जोर अजमा रहा है। वैसे मुख्य मुकाबला अजय सिंह बिष्ट के पैनल नंबर 1और सूरत सिंह रावत के पैनल नंबर 2 के बीच ही दिखाई दे रहा है ।
बता दें कि सभा कार्यकारिणी के चुनाव हर 3 वर्ष में होते हैं। वैसे तो चुनावों में सरगर्मी हर बार देखने को मिलती है लेकिन इस बार बात तकरार तक पहुंचने से एक-दूसरे पर छींटाकशी और दोषारोपण कुछ ज्यादा ही हो रहा है जिससे आजीवन सदस्य असमंजस की स्थिति में है। हालांकि पैनल नंबर 1 द्वारा शताब्दी वर्ष के शानदार कार्यक्रम, भवन में सुधारीकरण के कार्यों, पहाड़ में मोबाइल स्वास्थ्य सेवा और नई सदस्यता देने को प्राथमिकता के साथ सदस्यों के बीच रखा जा रहा है। वहीं पैनल नंबर दो भी पिछली कार्यकारिणी द्वारा घोटाले और परिवारवाद के मुद्दे को लेकर मुखर है।
सेल वाला गुप्ता हर चुनाव में बड़ा मुद्दा बनता आ रहा है, इस बार भी उसकी चर्चा है लेकिन किसी भी कार्यकारिणी ने उसे बाहर का रास्ता दिखाने की कोई ठोस कार्यवाही अभी तक नहीं की है। सदस्यों की शिकायत यह भी है कि सभा ने शताब्दी पूरी कर ली है लेकिन भवन में अभी तक अच्छी लाइब्रेरी का निर्माण नहीं हो सका है। लोगों को अपने उत्तराखंड की संस्कृति का इतिहास जानने के लिए दर दर भटकना पड़ता है। कुछ सदस्यों का कहना था कि कई वर्षों से नई सदस्यता लंबित पड़ी थी। पिछली कार्यकारणियां कोर्ट का हवाला देकर नए सदस्य नहीं बना रही थी। वर्ष 2024 में नई सदस्यता खोली गई और केवल 300 लोगों को ही सदस्य बनाया गया। कुछ आजीवन सदस्य इसकी कार्यप्रणाली पर भी प्रशनचिन्ह लगा रहे हैं। वहीं कुछ सदस्यों का कहना है कि गढ़वाल हितैषिणी सभा दिल्ली/एनसीआर में गढ़वाल के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है लेकिन इसके जितने भी कार्यक्रम होते हैं उसमें गढ़वाली भाषा का प्रयोग नहीं किया जाता। हमें अपनी मातृभाषा का वास्तविक बोध तभी होगा जब हम एक दूसरे से उसमें वार्तालाप करे। इस बार इन मुद्दों पर भी वोट पड़ने वाला है। इसलिए सभी पैनलों को इस पर भी ध्यान देना होगा।
सभी पैनल अपने अपने स्तर पर आजीवन सदस्यों से मिलकर अपने लिए वोट मांग रहे हैं और सभी अपनी अपनी जीत का दावा भी कर रहे हैं। लेकिन ये तो कल चुनाव के बाद ही पता चल पायेगा कि कौन सदस्यों की कसौटी पर खरा उतरता है।
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