PAURI : अपनी बोली भाषा से बच्चों का लगाव बना रहे इसके लिए पौड़ी जनपद के जिलाधिकारी एवं शिक्षा अधिकारियों ने एक नई पहल की शुरुआत की है। अब जिले के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चे अपनी स्थानीय बोली व भाषा में सुबह की प्रार्थना, समूह गान व प्रयाण गीत आदि गा सकेंगे। ये सभी प्रार्थनाएं व गीत नए होंगे। यही नहीं कक्षा छह से लेकर कक्षा बारहवीं तक के छात्र-छात्राओं को प्रार्थना सभा के दौरान ही समसामयिक घटनाओं व सामान्य ज्ञान से भी अपडेट रखा जाएगा।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) व जिलाधिकारी पौड़ी के अनुमाेदन के बाद जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) द्वारा चड़ीगांव में शिक्षकों को इस नवाचार प्रयोग के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित कर प्रशिक्षित किया गया। शिक्षक अब अपने-अपने विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को उनकी भाषा व बोली के आधार पर प्रार्थना, समूह गान व प्रयाण गीत आदि का प्रशिक्षण देंगे।
छात्र-छात्राओं को हिंदी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषा के साथ साथ स्थानीय भाषा गढ़वाली व कुमांउनी की नई प्रार्थना, समूह गान व प्रयाण गीत का भी अभ्यास करवाया जाएगा।
गढ़वाली-कुमाउनी भाषा का प्रचार प्रसार और इसको भारतीय संविधान की 8वीं सूचि में शामिल करवाने के लिए प्रयासरत विद्वानों ने इस पहल का स्वागत किया है।
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