उत्तरकाशी : 2005 बैच के उत्तराखंड पीपीएस अधिकारी सुरजीत सिंह को भारत सरकार द्वार आईपीएस कैडर आवंटित किया गया है। पंवार जी की ईमानदारी, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता को देखते हुए उन्हें ये कैडर दिया गया है।
श्री सुरजीत सिंह पंवार उत्तरकाशी के प्रख्यात व्यवसायी स्वर्गीय श्री रुकम सिंह पंवार के सुपुत्र हैं। पिछले वर्ष ही श्री पंवार के आदरणीय पिता का निधन हुआ। वे न केवल व्यवसाय में ईमानदारी के प्रतीक थे, बल्कि उत्तरकाशी में एक सम्मानित व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते थे। छात्र जीवन में वे टिहरी रियासत के विरुद्ध प्रजामंडल आंदोलन में स्वतंत्रता सेनानियों रामचंद्र उनियाल एवं नत्था सिंह कश्यप के सहयोगी के रूप में सक्रिय रहे। आज, उनका सपना और श्री पंवार के जीवन का एक बड़ा पड़ाव साकार हुआ है।
2005 बैच के उत्तराखंड पीपीएस अधिकारी के रूप में श्री पंवार की सेवा-यात्रा ईमानदारी, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता का अनुपम उदाहरण रही है। नरेंद्रनगर में सीओ रहते हुए उन्होंने बड़े आईटी फ्रॉड मामलों में पीड़ितों को न्याय दिलाया — जबकि अवसर था कि करोड़ों रुपये अर्जित किए जा सकते थे। परंतु श्री पंवार के लिए रुपया केवल पत्थर-कंकड़ के समान रहा, और न्याय ही उनका परम ध्येय बना रहा। उत्तराखंड में पहला साइबर क्राइम केस वर्कआउट करने का श्रेय भी श्री पंवार को प्राप्त है। यही नहीं, उत्तर भारत में नाइजीरियन लॉटरी फ्रॉड का सफलतापूर्वक पर्दाफाश करने वाला यह पहला मामला भी उनके नाम दर्ज है।
श्री पंवार के करियर में कई अवसर आए, जब समझौते का दबाव था, पर उन्होंने विवेक, ईमानदारी और कानून के प्रति निष्ठा से कोई विचलन नहीं होने दिया। उन्होंने सच को वैसा ही रखा जैसा वह था—न कम, न अधिक। सच का अपना समय होता है, और संयोग देखिए कि लंबे समय तक हाशिये पर रखे जाने के बावजूद, एक पूर्व पुलिस महानिदेशक ने अपनी पुस्तक में उस उलझे हुए आईटी प्रकरण का उल्लेख करते हुए श्री पंवार के कार्य को एक सफल विवेचक के रूप में दर्ज किया। यह प्रमाण है कि अंततः सत्य ही विजयी होता है, और जो उसके साथ खड़ा रहता है, उसका नाम समय की धूल में नहीं दबता। महिला अपराध मामलों में उत्तराखंड में डीएनए तकनीक के प्रयोग की शुरुआत करने वाले अधिकारियों में भी श्री पंवार का नाम अग्रणी है।
सन 2013-15 के दौरान सिटी एसपी हरिद्वार के रूप में श्री पंवार की सख्त, निष्पक्ष और जनहितकारी छवि ने जनता के बीच उन्हें एक भरोसेमंद अधिकारी के रूप में स्थापित किया। पीएसी में रहते हुए भी उन्होंने अपनी पहचान बनाए रखी। 2010 एवं 2021 के महाकुंभ, 2016 के अर्धकुंभ, तथा एक दर्जन से अधिक कांवड़ मेलों के सफल और सुरक्षित आयोजन में उनकी प्रमुख भूमिका रही है। भीड़ प्रबंधन के क्षेत्र में पंवार एक विश्वसनीय नाम हैं।
आपदा प्रबंधन में भी उनकी भूमिका अनुकरणीय रही है। वर्ष 2013 की आपदा में श्री बद्रीनाथ धाम में फंसे लगभग 18,000 यात्रियों को निकालने के सफल अभियान के पुलिस नोडल अधिकारी वे ही थे। हाल ही में उत्तरकाशी जनपद के धराली क्षेत्र में आई आपदा के बाद राहत एवं सप्लाई लाइन बहाल करने के कार्य में भी श्री पंवार अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। इससे पूर्व, 2020 में जनपद हरिद्वार में कोविड नियंत्रण के पुलिस नोडल अधिकारी के रूप में भी उनकी सेवाएं सराहनीय रहीं। बिहार एवं छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चुनाव ड्यूटी, तथा बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में कई चुनौतीपूर्ण चुनावों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने का श्रेय भी श्री पंवार को है।
मूल रूप से टिहरी गढ़वाल के जौनपुर ब्लॉक के थान गांव के निवासी होते हुए भी, श्री पंवार की जन्मभूमि और कर्मभूमि उत्तरकाशी रही है। इंटरमीडिएट की पढ़ाई यहीं से कर, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से उच्च शिक्षा प्राप्त की। कठिन प्रतिस्पर्धा के बाद 2005 में पीपीएस के रूप में चयनित होना और आज आईपीएस का गौरव प्राप्त करना, यह उनके परिश्रम, धैर्य और सिद्धांतों की विजय है।
पठन-पाठन और लेखन का शौक श्री पंवार में आज भी बरकरार है। उनकी कविता “टूटता पहाड़” प्रतिष्ठित पत्रिका कादंबिनी में प्रकाशित हो चुकी है। उनकी रचनाएं देश-विदेश की कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और शोध जर्नलों में भी प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रशिक्षण के क्षेत्र में उनके प्रस्तुतीकरण के फलस्वरूप, सशस्त्र प्रशिक्षण केंद्र, हरिद्वार को वर्ष 2021 में केंद्रीय गृह मंत्रालय के मानकीकरण संस्थान ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआर एंड डी) द्वारा ‘सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण संस्थान’ की केंद्रीय गृहमंत्री ट्रॉफी प्रदान की गई।
श्री पंवार को वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री सराहनीय सेवा पदक, 2020 एवं 2021 में सराहनीय सेवा सम्मान चिन्ह, तथा वर्ष 2025 में राज्यपाल उत्कृष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है। लगभग दो दशकों की उनकी सेवाएं उत्तराखंड पुलिस के लिए एक आदर्श मिसाल हैं।
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