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हिमालयी आपदा पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन

 

हिमालयी आपदा पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन


नई दिल्ली : हिमालय पर्वत के पहाड़ अभी शैशव अवस्था में हैं, यदि इन संवेदनशील चोटियों का विदोहन इसी तरह से होगा, नदियों और गदेरों के प्राकृतिक मार्गों में अतिक्रमण के साथ निर्माण कार्य नहीं रुकेंगे और नववलित पर्वतों पर जेसीबी चलाकर राजमार्ग बनाए जाएंगे तो फिर इस मानवजनित आपदा का प्रकृति को दोष देना ठीक नहीं है, ये आपदाएं नहीं रुकेंगी।      

    

ये विचार नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब स्थित डिप्टी स्पीकर हॉल में पर्वतीय लोक विकास समिति, हिमालयन रिसोर्सेस एन्हांस सोसाइटी, नई पहल नई सोच और उत्तराखंड उत्थान प्रयोगशाला द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित हिमालयी आपदा पर केंद्रित राष्ट्रीय गोष्ठी में मुख्य वक्ता शीर्ष शिक्षाविद और दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो.धनंजय जोशी ने व्यक्त किए।

गोष्ठी की प्रमुख वक्ता वरिष्ठ पत्रकार और कवयित्री श्रीमती सुषमा जुगरान ध्यानी ने कहा कि उत्तराखंड में ये आपदा बादल फटने या जल प्लावन से नहीं बल्कि लगातार ग्लेशियर के पिघलने से हो रही हैं। छोटे घास फूंस के मकानों की जगह एक साथ उग आए बहुमंजिला सीमेंट के भवन और जहां शंख की ध्वनि के लिए भी मानक थे, वहां पर्यटन के नाम पर प्रकृति को चिढ़ाने का कार्य हो रहा है तो परिणाम यही होगा।


गोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में मीडिया सलाहकार और पर्वतीय लोक विकास समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि हिमालयी आपदा चाहे उत्तराखंड के धराली में हो, जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में या हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में जहां भी आई, कारण प्रकृति नहीं, मनुष्य और उसके द्वारा विकास के नाम पर पेड़ पौधों, वनों और नदी तटों को पहुंचाई क्षति है। उत्तराखंड में प्रधानमंत्री अरबों रुपए भेजते हैं लेकिन ये आपदाएं और सरकार का लचर तंत्र सब शून्य स्थिति में ले आते हैं। हिमालयी राज्यों के लिए ठोस नीति और विशेष मानकों से ही इन भीषण आपदाओं से बचा जा सकता है।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। आयोजन समिति की समन्वयक राज्यसभा की निदेशक श्रीमती मीना कंडवाल ने स्वागत वक्तव्य दिया और हिमालयन रिसोर्सेस एन्हांस सोसाइटी के अध्यक्ष श्री नीरज बवाड़ी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।


समारोह में राष्ट्रीय गोष्ठी के उपरांत कई प्रमुख कवियों ने आपदा, हिमालय और उत्तराखंड पर पहाड़ी बोलियों में कविताएं प्रस्तुत की। इन कवियों में वरिष्ठ कवि श्री दिनेश ध्यानी, डॉ.कुसुम भट्ट, कवि बीर सिंह राणा, उदय ममगाईं राठी और सुभाष गुसाईं सम्मिलित हैं। इस अवसर पर शीर्ष कवि श्री ललित केशवान, रंगमंच से जुड़ीं वरिष्ठ रंगकर्मी श्रीमती सुशीला रावत, अलकनंदा पत्रिका के संपादक श्री विनोद ढौंडियाल, पत्रकार दाताराम चमोली, रमण मढ़वाल और सोशल मीडिया की चर्चित हस्ती देहरादून की उप्रेती बहनों ज्योति उप्रेती सती और नीरजा उप्रेती को हिमालय गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।


इसके अतिरिक्त जिन प्रतिभाओं को हिमालयी प्रतिभा सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया उनमें वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश बिंजौला, पत्रकार वाई.एस. बिष्ट, श्री अन्न उत्पादक गोविन्द सिंह मेहरा, चिकित्सक डॉ.विपिन लखेड़ा, संस्कृतिकर्मी डॉ. कुसुम भट्ट,  समाजसेवी श्रीमती बबली ममगाईं, युवा लोकगायिका शगुन उनियाल, योग प्रशिक्षक कल्पना भट्ट, गौसेवक कमल किशोर भट्ट और कला संरक्षक युवा ऋषभ बमेटा सम्मिलित हैं। युवा उद्यमी हरीश असवाल, समाजसेवी देवेंद्र बिष्ट, प्रताप थलवाल, अनुज जोशी, गायक पलछिन रावत और आस्था नौटियाल का विशेष अभिनंदन किया गया।

समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता, उत्तराखंड भाजपा के कार्यकारिणी सदस्य और पर्वतीय लोकविकास समिति के परामर्शदाता एडवोकेट संजय शर्मा दरमोड़ा ने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं पहले भी आती रही हैं, लेकिन बहुत कम और लंबी अवधि के बाद, अब तो चाहे  देवभूमि उत्तराखंड हो या हिमाचल अथवा जम्मू कश्मीर सभी इन आपदाओं से त्रस्त हैं। लेकिन हमें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड में श्री पुष्कर सिंह धामी जी के नेतृत्व वाली अपनी सरकार पर भरोसा है कि जिस तेजी से राहत और बचाव कार्य हुए हैं उसी प्रकार पुनर्वास और विकास के कार्य भी गतिमान होंगे।


समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार श्री सुनील नेगी, प्रसिद्ध रंगकर्मी और गढ़वाल हितैषिणी सभा के पूर्व अध्यक्ष श्री अजय बिष्ट, टिहरी उत्तरकाशी जनविकास परिषद के अध्यक्ष श्री एस.एन.बसलियाल, पाञ्चजन्य और ऑर्गेनाइजर के आर्ट डायरेक्टर श्री शशिमोहन रवाल्टा, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी श्री अनिल पंत आदि मौजूद रहे।


समारोह का संचालन श्री नीरज बवाड़ी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन श्री बीर सिंह राणा ने किया।

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