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उत्तराखंड में लगती है बैसी, धरती पर अवतरित होते हैं देवता

उत्तराखंड में लगती है बैसी, धरती पर अवतरित होते हैं देवता

 

 

ALMORA: देवभूमि उत्तराखंड को ऐसे ही नहीं देवों की भूमि कहा जाता है, यहां के कण-कण में देवी देवता वास करते हैं । आज हम आपको ऐसी खबर से रूबरू कराने वाले हैं, जिसे पढ़ आप आश्चर्य चकित रह जायेंगे। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के दूरस्थ क्षेत्र चमतोला में इन दिनों बैसी का आयोजन किया जा रहा है । इसमें देवता अवतरित होकर दर्शन व लोगो को आशीर्वाद देते हैं । 

वर्षों पूर्व से ही पहाड़ी क्षेत्रों में जागर और बैसी लगाई जाती है, जिसमें ढोल व अन्य वाद्ययंत्रों के माध्यम से देवी-देवताओं को बुलाकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है और घर-परिवार और गांव आदि की खुशहाली के लिए कामना की जाती है । यह आयोजन गांव के सभी लोगों द्वारा किया जाता है। अल्मोड़ा का चमतोला गांव इन दिनों भक्तिरस में डूबा है। क्षेत्र के कई भक्त बैसी में बैठ आठों पहर धूनी रमा साधना में डूबे हैं। अन्य दूरस्थ गांवों की तरह पलायन से बेजार चमतोला इन दिनों करीब पांच सौ से ज्यादा परिवारों की मौजूदगी से गुलजार है। देश के विभिन्न राज्यों में बस गए प्रवासी भी अपने इष्ट की अखंड पूजा में शिद्दत से जुटे हैं। महिलाएं भजन कीर्तनों के माध्यम से भक्तिरस की धार बहा भगवत साधना में तल्लीन हैं। 

दिल्ली प्रवासी एवं चमतोला निवासी कुंदन भैंसोडा ने बताया कि उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है और यहां देवी देवताओं का वास है । उनके पूर्वजों के समय से बैसी लगाई जाती है, जिसमें देवी-देवता लोगों के शरीर में अवतरित होते हैं और लोगों को दर्शन देकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं । इस बार की वैसी में पंडित प्रकाश गुरुरानी एवं दो भक्त तेज सिंह एवं दिनेश सिंह 11 दिनों की कठिन साधना में बैठे हैं, एक समय का भोजन (स्वनिर्मित), कम से कम तीन बार स्नान और धूनी रमाना इनकी दिनचर्या है ।  यह बैसी 11 दिनों की हो रही है, जिसमें सुबह और शाम देवता अवतरित होते हैं । इस बैसी में हरज्यो भगवान, गोल्ज्यू भगवान, सैम भगवान एवं एडी देवता के अलावा कई देवता अवतरित होते हैं । उन्होंने बताया कि बैसी लगाने से गांव में शांति और खुशहाली आती है ।

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