महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल जी कि जयंती परैं सादर श्रद्धांजलि।
सरस्वती का वरद पुत्र छया महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल
एक परिचय
दिनेश ध्यानी (संयोजक)
उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच, दिल्ली।
महाकवि कन्हैयालाल डंड़रियाल जी को जन्म 11 नवम्बर, 1933 खुणि जिला पौड़ी गढ़वाल को नैली गांव, पट्टी मवालस्यूं मा ह्वै। गौं बिटे साधारण शिक्षा प्राप्त करणा का बाद श्री डंडरियाल हौरि नौनौं की तरां 20 साल की आयु मा रोजी व रोजगार की खातिर गौं बिटे दिल्ली एै गेन। दिल्ली म बिरला मिल म वोंन काम करि पण सन 1982 म अचणचक मिल बंद ह्वैगे अर फिर वौं थैं आजीविका चलौणां खातिर अपणु काम शुरू करण पोड़ि।
मां शारदा के वरद पुत्र श्री डंडरियाल जी थैं परिवार एवं रोजगार की जतगा फिकर छै वां से बि भिण्डया साहित्य सृजन की धुन रैंदि छै। यी कारण छौ कि कै दफा रोजगार पर बि यांकु फरक पोड़ि पण श्री डंडरियाल जी न कभी भी अपणी लेखनी से समझौता नी करि, अर् हर परस्थिति वो लगातार लिखणां रैंन।
स्वभाव से साधारण सि दिखेण वळ श्री डंडरियाल जी असल में विलक्षण प्रतिभावान ऋर्षि तुल्य छाया। वोंन अपणु जीवन साधिकि अर कम से कम साधनौं मां बि समाज की भलै म पूरू जीवन लगै, वोंकि साहित्य साधना यां कु प्रत्यक्ष उदाहरण चा।
जब हम श्री डंडरियाल जी को रचना संसार पर नजर डळदां त पंदा कि वों न डेढ दर्जन से बि भिण्डी गढ़वलि का रचना संग्रह जैमा कविता, गीत, कहानी, नाटक, एकांकी आदि लिखिन यां का अतिरिक्त गढ़वाली शब्द कोश जो कि अज्यों तक अप्रकाशित चा, वै कि रचना कैरि कि श्री डंडरियाल जी न गढ़भारती का खुचिला अमूल्य निधि सौंपी चा। श्री डंडरियाल जी की मुख्य प्रकाशित रचनाओं मा- मंगतू खण्ड काब्य 1960, अंज्वाळ कविता संग्रह प्रथम संस्करण, 1978 और द्वितीय संस्करण, 2004, कुयेड़ी गीत संग्रह 1990, नागरजा महाकाव्य, भाग एक 1993, भाग दो 1999 और नागरजा भाग तीन और चार 2009, चांठौं का घ्वीड़ यात्रा बृतांत, 1998, सहित कै अद्वितीय साहित्यिक कृतियां रचिकि श्री ड़ंड़रियाल जी न गढ़ साहित्य मंदिर थैं अनुपम भेंट प्रदान कर्यी छन।
यां का अतिरिक्त श्री ड़ंडरियाल जी की कतनैं अप्रकाशित रचना छन, जो आज भी प्रकाशन की बाट दिखणीं छन। वां म - बागी उप्पनै लड़ै, खण्डकाब्य, उडणीं गण, खण्डकाव्य, कंसानुक्रम नाटक, स्वंयबर नाटक, मंचित, भ्वींचल, नाटक मंचित, अबेर च अंधेर नी नाटक, अर सैकड़ों गढ़वाली कवितायें आदि छन। गढ़वाली का शब्द कोश श्री डं़डरियाल जी को अप्रकाशित रचनौं म बिटै मुख्य चा।
महाकवि डंडरियाल जी को रूद्री उपन्यास को प्रकाशन युवा कवि भुला श्री आशीष सुन्दरियाल का सद्प्रयासों से पिछला साल छपेगे। हौरि भी अप्रकाशित रचनाओं तैं छपणां वास्ता प्रयास जारी छन।
महाकवि डंडरियाल जी थैं वोंकी साहित्य सेवा का वास्ता समय-समय पर जो सम्मान मिलि वों म प्रमुख छन।
1. गढभारती पुरस्कार द्वारा गढ़भारती साहित्य मंडल, दिल्ली, सन् 1972
2. पं. टीकाराम गौड़ पुरस्कार- गढ़भारती दिल्ली, सन् 1984
3. ड़ाॅ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल नामित पुरस्कार- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान - सन 1990
4. पं. आदित्यराम नवानी गढ़वाली भाषा प्रोत्साहन पुरस्कार - गढ़वाली साहित्य परिषद, कानपुर, सन् 1991
5. गढ़-रत्न पुरस्कार- गढवाल भ्रातृ परिषद, मुम्बई- सन् 1994
6. जयश्री सम्मान- जयश्री सम्मान ट्रस्ट, देहरादून, उत्तराखण्ड
7. उत्तराखण्ड गौरव- गंगोत्री सामाजिक संस्था, दिल्ली
8. साहित्य शिरोमणि सम्मान- ;मरणोपरान्तद्ध- उत्तराखण्ड राज्य लोकमंच, दिल्ली- 2004।
यांका अतरिक्त बि समय-समय परैं डंडरियाल जी तैं कै संस्थाओंन सम्मानित कैरि। असल बात या चा कि जो कार्य श्री डंडरियाल जी न साहित्य सेवा म कर्यों चा, जो भाव और मानवीय संवेदना वों का गीतों म मिल्दा वै कि कल्पना डंडरियाल जी जना विशद दृष्टि अर जन जीवन का प्रति दयाभाव अर जीवन की विभिन्न संगतियों अर विसंगतियों की अनुभूति समझण वळु मर्मज्ञ ही कैरि सकदा। गढ़भारती का वरद पुत्र श्री डंडरियाल जी साहित्य सेवा कर्दा कर्दा अचणचक 2 जून, 2004 खुणि हमसे ये वादा का साथ गोलोकवासी ह्वै गैन कि हम वों कि विशद विरासत थैं संज्वैकि अर संभाळिकि रखला।
श्री डंडरियाल जीन अपणी रचनाओं म अपणु गौं से ल्हेकि दिल्ली जन्नु सैर म हमारि मनखि कि सोच, विचार अर दशा, दिशा अर मानवीय संवेदनाओं थैं भौत संजीदगी से उकेर्यों चा। चांठों का घ्वीड़ यात्रा वृतान्त यी परिभाषा परैं सतप्रतिशत खरू उतरदा। निःसंकोच डंडरियाल जी जना साहित्य शिल्पी सदियों मा कभी कभार ही जन्म ल्हेंदन।
मां सरस्वती का इन्ना वरद पुत्र का नौं से वर्ष 2012 बिटिन वांे का नौं से साहित्य सम्मान की परम्परा शुरू कैरिकि उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच, दिल्ली का द्वारा दिल्ली पैरामेडीकल एण्ड मैनेजमेंट इन्स्टीट्यूट, का चेयरमैन डाॅ बिनोद बछेती जी का सहयोग से गढ़वाली भाषा साहित्य का संबर्द्धन, संरक्षण का क्षेत्र में नै पहल शुरू कैरि। य पहल गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी, रंवाल्टी भाषा साहित्य खुणि शुभ चा अर अमणि अर उम्मीद चा कि गढ़वळि का ल्ख्वारौं थैं यां से प्रेरणा मीललि।
2012 बिटिन लगातार उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच महाकवि कन्हैयालाल साहित्य, समाजसेवा, पत्रकारिता आदि का क्षेत्र म सम्मान देणों अर वर्ष 2016 बिटिन गर्मियों की छुट्यों म दिल्ली एनसीआर अर उत्तराखण्ड म बि गढ़वाळी, कुमाउनी भाषा शिक्षण कक्षाओं को आयोजन बि करणों चा। पिछला साल 2019 म दिल्ली एनसीआर म 32 जगा कक्षाओं को आयोजन कैरि अर श्रीनगर गढवाळ म भि मंचन गढ़वाळी भाषा शिक्षण कक्षाओं को आयोजन कैरि।
अमणि महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल जी की 87वीं जयन्ती परैं उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंचा तरपां बिटिन अपणि श्रद्धाॅसुमन अर्पित कर्दां अर उम्मीद कर्दां कि अगनै भी मंच का माध्यम से आपका बतयां बाटों म हिटणां कोशिश यन्नि करणां रौंला।
1 टिप्पणियाँ
बहुत सुंदर विवरण।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ लिखनु छौ की डंडरियाल जी को खंड काव्य बागी उपनै लड़ै प्रकाशित ह्वेगे । एक वास्ते भी आशीष, गिरीश सुंदरियाल आदि लोग प्रयास छौ।