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प्रथम राठ साहित्यिक-सांस्कृतिक महोत्सव में लगा साहित्यकारों का जमावड़ा पजलकार जगमोहन सिंह रावत जगमोरा की पुस्तकों लुणत्यळि' और 'दुणत्यळि' का हुआ लोकार्पण

कोटली पाबौ

PAUDI : पाबौ ब्लॉक के कोटली और पोखड़ा ब्लॉक के गांवड़ी गांव में 30 अप्रैल और 2 मई 2023 को उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच के तत्वाधान में प्रथम राठ साहित्यिक-सांस्कृतिक महोत्सव-2023 का भव्य आयोजन किया गया जिसमें गढ़वाली साहित्य के प्रथम पजलकार जगमोहन सिंह रावत की 'लुणत्यळि' अर 'दुणत्यळि' पुस्तकों का लोकार्पण उत्तराखंड सहित देश के अनेकों शहरों से गढ़वाली भाषा के साहित्यकार और भाषा प्रेमियों की उपस्थिति में हुआ।
दोनों स्थानों पर सर्वप्रथम द्वीप प्रजलित कर इष्टदेव को याद कर मेहमानों का स्वागत किया गया।  कार्यक्रम को तीन भागों में बांटा गया था। प्रथम भाग में पुस्तकों का लोकार्पण, भाषा पर परिचर्चा और बच्चों व महिला मंगल दलों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां पेश की गई। दूसरे भाग में गढ़वाली भाषा के जाने माने कवियों ने उत्तराखंड के विभिन्न स्वरूपों को अपनी रचनाओं के माध्यम दर्शाया। इस दौरान बीच-बीच में लोकगीत और लोकनृत्य भी चलते रहे। तीसरे भाग में लोकसंस्कृति को याद कर ढोल दमों और मसकबीन के साथ मंडाण हुआ जिसमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक झूमते दिखे। पूरे कार्यक्रम में भाषा व संस्कृति प्रेमियों के साथ साथ स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद थे और  सभी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना पूरा योगदान दिया।   


कोटली में जगमोरा जी की देखरेख में सारा कार्यक्रम हुआ वहीं गांवड़ी में  कार्यक्रम का भार फीलगुड (भलु लगद) संस्था के संस्थापक सुधीर सुंद्रियाल और जसवीर सिंह 'जस्सी' ने उठाया। कार्यक्रम के बीच में हल्की बूंदाबांदी के बीच रंगबिरंगी पोशाकों में आई महिलाओं और बच्चों का उत्साह बिलकुल भी कम  नहीं हुआ और वो अंत तक आनंद उठाते रहे। लोगों का कहना था कि उत्तराखंड की पुण्य धरती में साहित्य और संस्कृति का मेल लिए इस तरह का आयोजन हमने पहले कभी नहीं देखा। इसके लिए  उन्होंने आयोजकों को कोटि कोटि साधुवाद दिया।
कोटली में साहित्यकार खुगशाल गणी ने अपने कुशल संचालन और वाक पटुता से कार्यक्रम को गति प्रदान की तो गांवड़ी में उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच के संयोजक व साहित्यकार दिनेश ध्यानी और गिरीश सुन्द्रियाल ने संयुक्त रूप से मंच संचालन कर लोगों को कार्यक्रम से जोड़े रखा।


इस अवसर पर उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच के समन्वयक अनिल पंत,  देहरादून सहित उत्तराखंड के अलग अलग स्थानों के अलावा दिल्ली, मुंबई, भोपाल गुड़गांव से आए साहित्यकारों में सर्वश्री रमाकांत बेंजवाल श्रीमती बिना बेंजवाल, मदन डुकलाण,  आशीष सुंद्रियाल, अनूप वीरेंद्र कठैत, बृजमोहन शर्मा वेदवाल, रमेश घिल्डियाल, जयपाल सिंह रावत छिपड़ दा, जब्बर सिंह कैंतुरा, पयास पोखड़ा, दीनदयाल बंदूनी 'दीन', ओम ध्यानी, चंदन प्रेमी, दर्शन सिंह रावत, भगवती प्रसाद जुयाल, गिरधारी रावत, ओमप्रकाश पोखरियाल, सविता पंत, सुशील बुड़ाकोटी "शैलांचली", कामेश बहुगुणा, जसवीर 'जस्सी, राकेश मोहन ध्यानी, संदीप रावत, देवेन्द्र उनियाल, कांता प्रसाद जोशी , तन्नू पंत, रजनी डंडरियाल  सहित बहुत सारे साहित्यकार और रंग-बिरंगी पोशाकों में सजीं महिला मंगलदलों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर समां बाँध दिया।


    

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