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 चिंतन बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने माना पलायन के लिए बंदर जिम्मेदार

चिंतन बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने माना पलायन के लिए बंदर जिम्मेदार

 

Uttarakhand Chintan Shivir

MUSSOORIE : उत्तराखंड की जवानी और पानी को रोकने का काम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कंधों पर है। राज्य बने 22 वर्ष के बाद भी पर्वतीय क्षेत्रों में ढांचागत विकास और बुनियादी सुविधाएं चुनौती की तरह अब भी खड़ी है। वहीं पर्यावरणीय वंदिशों से घिरे उत्तराखंड के 80 प्रतिशत से अधिक भू-भाग पर पर्यटन को बढ़ावा देने का दायित्व भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, कृषि व बागवानी का विकास अति आवश्यक है। इस बात को धामी भी जानते है, उनका मानना है कि इस संकल्प को धरातल पर उत्तारने का काम नौकरशाही का है इसलिए मसूरी में चिंतन शिविर के  जरिए उन्होंने नौकरशाहों को साधने का काम किया। 

एक युवा उम्मीद के रूप में धामी ने आला अधिकारियों के अंदर साथ लेकर चलने का विश्वास जगाया। उन्होंने नौकरशाही में फेरबदल कर उच्च अधिकारीयों को नया टास्क भी थमाया है। अब चिंतन शिविर के माध्यम से उन्होंने विकास के अपने आगामी एजेंडे को अधिक स्पष्ट किया है। तीन दिवसीय चिंतन शिविर में विभिन्न विभागों और अधिकारियों की ओर से दिए गए प्रस्तुतीकरण में कृषि, बागवानी, उद्यानिकी जैसे आजीविका व रोजगार से जुड़े प्राथमिक क्षेत्र से लेकर सेवा क्षेत्र में नया जोश भरने की कार्ययोजना पर विचार हुआ है। सीएम धामी ने आने वाले समय में इस कार्ययोजना को अंजाम तक पहुंचाने का इरादा भी जता दिया है।

सीएम ने माना पलायन के लिए बन्दर जिम्मेदार 

चिंतन बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में खेती और बागवानी को बंदर काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही कारण हैं कि अधिकांश लोग खेती और बागवानी में कम रूचि ले रहे हैं। इस वजह से पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास में कृषि और बागवानी एक अहम कड़ी है इसलिए उन्होंने इसके लिए संबंधित विभागों को वन विभाग के साथ तालमेल बैठाकर काम करने के लिए कहा ताकी पलायन को रोका जा सके।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सभी विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर 'टीम उत्तराखण्ड' के रूप में 2025 तक सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने हेतु निरंतर कार्य कर रही है, जिसके, दृष्टिगत आयोजित हुआ ये शिविर अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर समग्र विकास की परिकल्पना को साकार करेगा।


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