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संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हो कुमाऊनी गढ़वाली और जौनसारी भाषा-सुरेंद्र हालसी


संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हो कुमाऊनी गढ़वाली और जौनसारी भाषा-सुरेंद्र हालसी

नई दिल्ली : कल फरीदाबाद में कुमाऊनी भाषा साहित्य एवं सांस्कृतिक समिति के तत्वाधान में कुमाऊनी भाषा पर गोष्ठी और कवि सम्मेलन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम एनआईटी फरीदाबाद स्थित डीएवी शताब्दी कॉलेज में किया गया । कार्यक्रम मैं सभी भाषाविदो ने कुमाऊनी भाषा के इतिहास, उसकी उत्पत्ति आगे उसकी दशा और दिशा पर प्रकाश डाला। उसके बाद कुमाऊनी कवियों द्वारा काव्य पाठ किया गया। 

समिति के उपाध्यक्ष सुरेंद्र हालसी ने समिति के उद्देश्य और क्रियाकलापों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वह लगातार पिछले कई वर्षों से कुमाऊनी गढ़वाली और जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि समिति के अनेकों सदस्य ग्रीष्मकालीन कुमाउनी, गढ़वाली जौनसारी क्लासों में सहयोग देकर भावी पीढ़ी को अपनी भाषा का ज्ञान दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि  समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य यह है कि हमारी भाषाएं आने वाली पीढ़ी में आगे जाय, और आने वाली पीढ़ी इसे बोलने और समझने का प्रयास करे। कार्यक्रम के अंत में समिति के अध्यक्ष मनोज उप्रेती ने सभी अतिथियों का कवियों का और आयोजन में सहयोग करने वाले सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया ।

कार्यक्रम में डाक्टर मनोज उप्रेती, सुरेंद्र सिंह रावत, संतोष जोशी, राजू पांडे, नीरज बवाड़ी, वरिष्ट पत्रकार चारु तिवारी, फिल्म समीक्षक मनोज चंदोला, प्रोफेसर प्रकाश उप्रेती, प्रोफेसर देवी प्रसाद भारद्वाज, प्रोफेसर फुलोरिया, लोकगायिका आशा नेगी, कवि साहित्यकार पूर्ण चंद्र कांडपाल , वरिष्ट पत्रकार सीएम पापने के अलावा कई कुमाऊनी कवि और भाषाविद शामिल थे।

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