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प्रकृति के सौंदर्य के बीच स्थित है एक पर्यटक स्थल रामजी ताल

Tourist place in chamoli garhwal

प्रकृति के सौंदर्य के बीच स्थित है एक पर्यटक स्थल रामजी ताल

प्रक्रति ने सम्पूर्ण उत्तराखंड पर भरपूर सौंदर्य लुटाया है ! पर्यटन कि दृष्टि से उत्तराखंड विश्व प्रसिद्ध  है! 

धार्मिक व पर्यटन के लिहाज  से यहाँ इतने रमणीक  स्थल है जो किसी परिचय के मोहताज नहीं! किन्तु अभी भी  सम्पूर्ण उत्तराखंड मै अनेकों स्थल ऐसे हैं जहाँ प्रकृति के सभी नज़ारे देखने को मिल जायेंगे किन्तु उनके विषय मैं अभी तक लोग अनभिज्ञ  हैं!  ऐसे ही एक अज्ञात स्थल से मै आपका परिचय करना चाहता हूँ! जिसे राम जी ताल के नाम से जाना जाता है! 

ये स्थल जनपद चमोली के कर्णप्रयाग ब्लॉक से नौटी सड़क मार्ग पर पड़ता है । कर्णप्रयाग से 13 किलोमीटर आगे जाख गाँव पड़ता है , यहाँ से रामजी ताल लगभग 1500 मीटर कि ऊंचाई पर स्थित है ! जहाँ आप पैदल मार्ग द्वारा ही जा सकते है । इस पैदल मार्ग पर कुछ  मनभावन व दर्शनीय गाँव पड़ते है जहाँ रुक कर आप अपनी थकान मिटा सकते है! जाख से आधे घंटे के सफ़र के बाद पहला पड़ाव बजानधार पड़ता है यहाँ पर विश्राम के लिए पीपल कि छाँव का आनंद उठा सकते हैं, यहाँ से आपको  हिमालय के दर्शन भी हो जायेंगे  जो यहाँ से मुकुट कि भांति प्रतीत होता है! धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए सुन्गरखाली पहुँचते हैं यहाँ तक लगभग सीधी चढ़ाई है! यहाँ से आप कर्णप्रयाग कि ख़ूबसूरती को भली भांति निहार सकते है । अब आगे कि यात्रा के लिए घने जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है, कुछ दूर चलने पर दो रास्ते दिखाई देते हैं , एक रास्ता बांयी और जाता है व दूसरा दाई और चला जाता है, ये दायाँ रास्ता ज्ञान्तोली होता हुआ रामजी ताल के लिए चला जाता है। सम्पूर्ण राह मै प्रकृति के अनूठे सौंदर्य का आभास होता रहता है , इस राह पर चलते हुए महानगरों कि चकाचौंध. भागमभाग. नौकरी. व्यवसाय कि सारी चिंताएं  छोड़ आप अपने आपको स्वर्ग मै आया महसूस करते हैं ।  बांज कि जड़ों से रिश्ता हुआ शीतल जल शरीर कि सारी थकान मिटा देता है। यहां से आगे बढ़ते हुए हिमालय का विहंगम दृश्यावलोकन देखने को मिलता है । अतीत में ज्ञान्तोली नामक इस मैदान को समतल कर इसमें हैलीपैड बनाने का प्रस्ताव था, किन्तु स्थानीय गाँव के लोगों के द्वारा विरोध स्वरुप यह योजना बंद करनी पड़ी अन्यथा यहाँ का जो वास्तविक सौन्दर्य  है वो छीन चुका होता और पर्यावरण कि दृष्टि से भी यहाँ भारी छत्ती  होती खैर ज्ञान्तोली से निकल कर आप रामजी ताल कि और चलते है जो यहाँ से केवल 100 मीटर  दूरी पर है । ज्ञान्तोली से खड़ी चढ़ाई पर 25 मिनट चलने के बाद एक बहुत सुंदर व दर्शनीय स्थल रामजी ताल दिखाई देता है । जैसा कि नाम से ही प्रतीत हो  जाता है! प्रचलित कहावत के अनुसार भगवान रामचंद्र जी ने सीता व भाई लक्ष्मण के संग 12 वर्षों के वनवास काल मै भ्रमण करते-करते यहाँ पर भी कुछ दिन बिताये थे  तब से यह स्थान रामजी ताल के नाम से विख्यात है, यहाँ पर प्राचीन काल मै एक सुंदर ताल (झील) मौजूद थी जो कि समय के साथ-साथ सूखती चली गयी! आज भी लम्बी घुमावदार आकृति के रूप मै इस झील को देखा जा सकता है, वर्षाकाल मै वर्षा के पानी से यह झील लबालब भरी रहती है, तब इसका सौंदर्य देखने योग्य होता है! झील के चारों और बांज के वृक्षों के समूह इसके सौंदर्य मै चार चाँद लगा देते है! 

प्राचीन काल से ही  यहाँ रामजी का मंदिर है  जिसका  वर्तमान मैं स्थानीय लोंगों ने  नवनिर्माण किया है यहाँ आप रामजी के दर्शन कर सकते है! यह स्थल समुद्रतल से 3000 मीटर कि ऊंचाई पर स्थित है, इसलिए आप यहाँ से चारों और के मनभावन विहंगम दृश्यों का अवलोकन कर सकते है । अंत मै कुछ देर यहाँ विश्राम कर आप वापस ज्ञान्तोली होते हुए रात्री विश्राम के लिए कर्णप्रयाग आ सकते है , समय का ध्यान अवश्य रखें क्योंकि यहाँ से जाख गाँव तक पहुंचने मै 1 से 2 घंटे का समय लग जाता है! जाख से आप किसी भी वाहन या फिर पैदल भी कर्णप्रयाग तक जा सकते है! यह आप स्वयं  ही तय करें । वैसे तो आप यहां साल में कभी भी जा सकते हैं किंतु मई से अक्टूबर तक सबसे उत्तम है। 

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