उत्तराखंडी महाकुंभ में भाषा साहित्य और संस्कृति की लगी
बाडुली
उत्तराखंड महाकुंभ द्वितीय - रविवार 21 नवंबर को दिल्ली के विनोद नगर रास विहार मैदान में डॉ. विनोद बछेती के सरंक्षण में उत्तराखंड एकता मंच, लोकभाषा साहित्य मंच और भुम्याल विकास मंच के द्वारा बहुत ही भव्य उत्तराखंड महाकुंभ का आयोजन किया गया।
इस महाकुंभ की विशेषता यह रही कि इसमें उत्तराखंड के महाकवि कन्हैयालाल की स्मृति में साहित्य, पत्रकारिता एवं ढोल सागर के ज्ञाता को सम्मान, दसवीं व बारहवीं के मेधावी बच्चों का सम्मान और विभिन्न संस्थाओं के बच्चों द्वारा उत्तराखंड की सांस्कृतिक छटा का मंचन किया गया।
साहित्यकार, पत्रकार, मेधावी बच्चे और संस्थाओं का हुआ सम्मान
इस अवसर पर महाकवि कन्हैया लाल डंडरियाल साहित्य सम्मान साहित्यकार रमेश घिल्डियाल, पत्रकारिता सम्मान गढ़वाली अख़बार रंत रैबार के संपादक ईश्वरी प्रसाद उनियाल एवं लोक कला सम्मान ढोल वादक उत्तम दास को रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट द्वारा प्रदान किये गए। इसके अलावा उत्तराखंड मूल के दसवीं और बारहवीं में 90 % से अधिक अंक पाने वाले बच्चों को व दिल्ली एनसीआर की कई उत्तराखंडी सामाजिक संस्थाओं को भी सम्मानित किया गया। साथ ही डॉ. विनोद बछेती जी के सरक्षण में उत्तराखंड लोकभाषा के सरंक्षक दिनेश ध्यानी और अन्य साहित्यकारों सर्वश्री ललित केशवान, जयपाल रावत, रमेश हितैषी, मदन डुकलान, डॉ. सतीश कालेश्वरी, दर्शन सिंह रावत, ओम प्रकाश आर्य, वीरेंद्र जुयाल ऊपरी, प्रदीप खुदेड़, द्वारिका चमोली आदि ने गढ़वाली, कुमाऊनी, जौनसारी भाषा को संविधान की 8 वीं सूचि में सम्मिलित करने के लिए अजय भट्ट को एक ज्ञापन सौंपा।
कार्यक्रम में केंद्र सरकार में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, उत्तराखंड प्रभारी गौतम जी, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के अलावा उत्तराखंड समाज के असंख्य गणमान्य व्यक्ति मौजद रहे। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि हमें चाहिए कि हम अपने गांवों की तरफ भी लौटे और अपने उत्तराखंड को समृद्ध बनाएं साथ ही उन्होंने कहा कि गढ़वाली, कुमाउनी और जौनसारी भाषा संविधान की 8 वीं सूचि में सम्मिलित हो इसके लिए संसद में बहस के लिए प्रस्तुति मिल चुकी है और हमारा प्रयास रहेगा कि संसद के इसी सत्र में इसको अनुमति मिल जाए। अपार भीड़ से गदगद भट्ट जी ने भी अपनी मात्र भाषा में लोगों को संबोधित किया और नरेंद्र नेगी जी का गीत ठंडो रे ठंडो गाकर नेगी जी से इसे गाकर सुनाने का आग्रह किया ।
गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, मीणा राणा व बिशन हरियाला के गीतों पर झूमा
जनसमूह
कार्यक्रम का मकसद उत्तराखंड की नई पीढ़ी को अपनी भाषा व संस्कृति के प्रति जागरूक करना। इसके लिए लोक कलाकारों ने उत्तराखंड के मूल संस्कारों को अपनी कला से प्रस्तुत कर उन्हें नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम किया। गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, स्वर कोकिला मीणा राणा जी और बिशन हरियाला जी द्वारा गीतों की प्रस्तुति के बीच उपस्थित जनसमूह जगह जगह टोलियों में नृत्य करते दिखे तो बुजुर्ग सीटों पर बैठे बैठे झूमते नज़र आए। नरेंद्र सिंह नेगी जी ने प्रवासी बंधुओं के लिए लगी बाडुली गीत गाकर उनका अभिनंदन किया और उन्हें अपने गांव मुल्क आने को न्यौता भी दिया। दूसरी और प्रांगण में उत्तराखंडी खान पान के अलावा रावत डिजिटल प्रकाशन ने भी गढ़वाली, कुमाऊनी, जौनसारी भाषाओं की पुस्तकों का स्टाल लगाया हुआ था। कार्यक्रम के बीच- बीच में लोग उत्तराखंडी खान-पान का आनंद उठाने के साथ ही उत्तराखंड के साहित्यकारों की पुस्तकों को भी खरीद रहे थे।
कुल मिलाकर देखें तो डॉ. विनोद बछेती और लोक भाषा साहित्य मंच और भुम्याल विकास मंच जो कि अपनी संस्कृति के अलावा पिछले छह सात वर्षों से लगातार अपनी भाषा के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करने और भाषा ज्ञान देने के लिए ग्रीष्मकालीन कक्षाएं भी लगा रहे हैं वो पूरे विश्व में फैले उत्तराखंडियों को अपनी भाषा को बोलचाल में इस्तेमाल करने का संदेश पहुंचाने में कामयाब रही।
अंत मे कार्यक्रम के संयोजक डॉ. विनोद बछेती ने अतिथियों,संस्थाओं,बच्चों,साहित्यकारों,कवियों,समाजसेवियों,पत्रकारों, सभी कार्यकर्ताओं, महिलाओं, समाज के गणमान्य व्यक्तियों और वहां उपस्थित जनसमूह को कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हार्दिक आभार प्रकट किया।
0 टिप्पणियाँ