अपने परिवार की वंशावली बना रचें इतिहास
जो आज घट रहा है वो कल इतिहास बन जाता है लेकिन यदि हमने उसे कही लिखा हो तो । जैसे आपने देखा होगा टोक्यो ओलिंपिक में हमारी पुरुष हॉकी टीम ने आज ब्रॉन्ज मैडल जीतकर 41 साल के बाद ओलिंपिक में इतिहास रच दिया। अब हमारे पास पिछला कहीं रिकॉर्ड था तभी तो हम आज बता सके कि इतने साल बाद रिकॉर्ड टूटा। कहने का मतलव ये है कि ऐसे ही हमारा अपना स्वयं का व परिवार का भी इतिहास होता है जो मुझे लगता है समय के साथ समाप्त हो जायेगा क्योंकि हम या हमारे बच्चों को अपने पूर्वजों के विषय में कोई दिलचस्पी नहीं और न ही हम इस विषय में गंभीर हैं।
अगर मैं अपने उत्तराखंड की बात करूं तो वहां जितनी भी जाती के लोग आए इतिहास में यही मिलता है कि लगभग सभी लोग 8 वीं या 9 वीं शताब्दी के आस पास ही आए लेकिन उससे पूर्व भी तो कोई वहां रहा होगा जो इतिहास में दर्ज नहीं है। अब बात करें अपने उत्तराखंड की जातियों का तो हम में से अधिकांश लोगों को ज्ञात ही नहीं है कि हमारे पूर्वज कौन थे और समय के साथ साथ कौन कहां कहां जाकर बसा था । इसका एक मात्र कारण कि हमारे पूर्वजों ने अपनी वंशावली बना कर नहीं रखी जिसका नतीजा है कि आज व्यक्ति ज्यादा से अपने दादा तक का नाम जानता है और कोई कोई परदादा तक ही इसके आगे जानने में कोई दिलचस्पी भी नहीं रखता और न ही रखना चाहता है अब ऐसी स्थिति में भविष्य में कोई अपनी या किसी अन्य की जाती पर रिसर्च करना चाहेगा तो उसे इतिहास में कुछ जानकारी ही नहीं मिलेगी। अतः हम सब को चाहिए कि अपने परिवार एवं कुटुंब की वंशावली बनाकर सुरक्षित रख लें और अपने बच्चों को कहें की वो आगे अपने परिवार को इसमें जोड़ते रहे ऐसा करके आप भी एक इतिहास रच सकते हैं।
3 टिप्पणियाँ
कैसे बनायें नाम तो याद ही नही हैं पूरे
जवाब देंहटाएंनाम पछरे याद नही हैं
जवाब देंहटाएंSati ji jitne hai vahi se bana len...sambhav ho to apne pariwar ke anya sadasyon ki madad len
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