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घिंघारू केवल जंगली फल नहीं बल्कि ह्रदय रोग की अचूक दवा है



घिंघारू केवल जंगली फल नहीं बल्कि ह्रदय रोग की अचूक दवा है 

अपार वन सम्पदाओं से उत्तराखंड की धरती भरी पड़ी है फिर वो चाहे औषधीय जड़ी बूटी हो या फिर फल फ्रूट लेकिन कुछ को छोड़कर बाकी वनस्पतियों से अभी भी लोग अनजान है जो कि मानव जीवन के लिए बहुत उपयोगी है उन्ही में से एक है घिंघारू जिसका वैज्ञानिक नाम pyracantha crenulata है तथा यह रोजेसी कुल से संबंध रखता है। 

उत्तराखंड में यह पथरीली एवं बंजर भूमि पर झाड़ीनुमा पौधा है जो की 800 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर किसी भिड़े पर, रोड के किनारे, खेत के किनारों या फिर जंगली रास्तों पर पाया जाता है। यह विभिन्न तापमान को सहन कर लेता है। इसका फल बहुत छोटा सेव के आकर में होता है और पकने पर पिले या लाल रंग में दिखाई देता है। खाने में ये ज्यादा टेस्टी तो नहीं है पर इसके खट्टे-मीठे स्वाद के कारण हर उम्र का व्यक्ति खूब पसंद करता है। घिंघारू की लकड़ी से खेती में प्रयोग होने वाले उपकरण और फर्नीचर बनाए जाते है जो कि काफी मजबूत होते है। 

घिंघारू में बहुत से औषधीय गुण होते हैं लेकिन स्थानीय लोगों को इसकी जानकारी न होने से वे इसका उपयोग ज्यादा नहीं करते।  घिंघारू ह्रदय रोग, हाइपरटैंशन, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी बिमारियों में आशातीत लाभ करता है यही नहीं इसकी पत्तियां एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लामेन्ट्री गुण लिए होती है जिसकी कारण उसे हर्बल चाय में इस्तेमाल किया जाता है।  इसमें पाए जाने वाले पौष्टिक व औषधीय गुणों के कारण ही इसे कार्डिओ टॉनिक का नाम दिया गया है। इसके सेवन से शरीर में रक्त संचार सुचारु रूप से होता है और कोलेस्ट्रॉल भी कम हो जाता है। घिंघारू के इन्ही गुणों के आधार पर डिफेन्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ बायोएनर्जी रिसर्च फील्ड स्टेशन पिथौरागढ़ ने ह्रदय अमृत नामक औषधि तैयार की है जिससे साफ जाहिर होता है कि ये ह्रदय के लिए काफी उपयोगी है। 

अगर जैविक विज्ञान के आधार पर देखें तो घिंघारू के पांच सौ ग्राम में वो सभी पौष्टिक तत्व होते है जो एक दिन में एक व्यक्ति को चाहिए होते है। इसमें प्रोटीन 5. 13 प्रतिशत, वसा 1.0,  फाइबर 7.4,  कार्बोहाइट्रेड 24.98 तथा विटामिन C -57.8 मि.ग्रा. विटामिन E - 289 मि. ग्रा,  विटामिन A-289.6 IU, विटामिन B 12 - 110 माइक्रो ग्रा, कैल्शियम 37.0 मिली ग्रा , पोटेशियम 100 ग्रा तक पाए जाते है।  

उपरोक्त सभी गुणों से युक्त घिंघारू को अभी भी जंगली फल के रूप में जाना जाता है हालाँकि वैध इसे विभिन्न प्रकार की बिमारियों में औषधि के रूप में इस्तेमाल करते है लेकिन शोध से पता चला है कि यह हृदय रोगों के लिए बहुत है गुणकारी है।  ऐसे ही अनेकों फल, जंगली घास, पेड़ पौधे उत्तराखंड में पाए जाते है जो कि मानव जीवन के कल्याण के लिए अति उपयोगी है यदि इनपर विस्तृत शोध किए जाएं तो उत्तराखंड में व्यवसाय का ये प्रमुख साधन बन सकते हैं। 


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