हम तुम्हें न यूं भुला पाएंगे -कारगिल युद्ध के उत्तराखंडी शूरवीरों को नमन
आज कारगिल युद्ध की 22 वीं जयंती पर पूरा देश अपने जाबांजो की बहादुरी को नमन कर रहा है जिनके अद्भ्य साहस और वीरता से धोखबाज पकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी लेकिन हमें भी इस युद्ध को जीतने के लिए बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। ऊंची चोटियों पे बैठे पाकिस्तानी सैनिको को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना के 524 सैनिकों ने अपने प्राण न्यौछावर किये और 1363 सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए। हालांकि पाकिस्तानी सेना के लगभग चार हज़ार सैनिक मारे गए।
कारगिल युद्ध की इस शौर्य गाथा से उत्तराखंड के रण वांकुरों का नाम भी जुड़ा है ऐसे में उनका भी जिक्र करना अति आवश्यक है। देश की आन बान व सुरक्षा के लिए उत्तराखंड की भूमि को हमेशा से याद किया जाता है। वैसे तो कारगिल युद्ध में देश के तमाम राज्यों के सैनिक थे किंतु सबसे ज्यादा शहादत उत्तराखंड के वीर सपूतों की हुई। बता दें की इस युद्ध में अकेले उत्तराखंड प्रदेश से 75 सैनिकों ने अपने प्राण न्यौछावर किए जिसे आज भी उत्तराखंड भुला नहीं पाया है। ऐसे जां बाजों के बलिदानों से ही उत्तराखंड को वीरभूमि से भी जाना जाता है। इस भूमि की हर माता भी वीरांगना है जो ऐसे साहसी वीरों को देश रक्षा के लिए तैयार करती है यही कारण है कि वीरता का ऐसा कोई पदक नहीं जो इन जांबाजों ने न जीता हो। अपने इन शहीदों की याद में आज भी सबकी ऑंखें नाम हो जाती है और फक्र से सबका सीना चौड़ा हो जाता है। कारगिल के इस ऑपरेशन विजय में गढ़वाल राइफल्स के 54 और कुमाऊं रेजिमेंट के 16 जवान शहीद हुए थे।
ऑपरेशन विजय में उत्तराखंड के नायक
देहरादून- 14
अल्मोड़ा- 3
बागेश्वर- 3
चमोली- 7
चंपावत-
लैंसडौन- 10
नैनीताल- 5
पौड़ी- 3
पिथौरागढ़- 4
रुद्रप्रयाग- 3
टिहरी- 11
उधम सिंह नगर- 2
उत्तरकाशी- 1
अपने अदम्य साहस के लिए पदक से अलंकृत जांबाज सैनिक
मेजर विवेक गुप्ता - महावीर चक्र
मेजर राजेश सिंह भंडारी- महावीर चक्र
नाइक ब्रिजमोहन सिंह - वीर चक्र
नाइक कश्मीर सिंह - वीर चक्र
ग्रुप कैप्टन एके सिन्हा - वीर चक्र
आनरेरी कैप्टन खुशीमन गुरुंग - वीरचक्र
राइफलमैन कुलदीप सिंह - वीर चक्र
लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग - सेना मेडल
सिपाही चंदन सिंह - सेना मेडल
लांस नाइक देवेंद्र प्रसाद - सेना मेडल
नाइक शिव सिंह - सेना मेडल
नायक जगत सिंह - सेना मेडल
राइफलमैन ढब्बल सिंह - सेना मेडल
लांस नाइक सुरमन सिंह - सेना मेडल
आनरेरी कैप्टन ए हेनी माओ - सेना मेडल
आनरेरी कैप्टन चंद्र सिंह - सेना मेडल
ब्रैवेस्ट ऑफ ब्रेव रेजीमेंट देहरादून में
कारगिल युद्ध में 13 जैक (जम्मू एंड कश्मीर) राइफल्स ने शौर्य और वीरता का जो इतिहास रचा उसके लिए उसे ब्रैवेस्ट ऑफ ब्रैव यानी वीरों में सबसे वीर का खिताब मिला है। दिल मांगे मोर का नारा देने वाले परम वीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्तरा 13 जैक के थे, जबकि कारगिल में परमवीर चक्र से सम्मानित रेजीमेंट के दूसरे सैनिक संजय कुमार हैं।
भारतीय सैन्य इतिहास में यह पहली रेजीमेंट बनी जिसके दो सैनिकों को एक सैन्य अभियान में वीरता के सर्वश्रेष्ठ पदक परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। कारगिल में सैन्य इतिहास में वीरता की गाथा लिखने वाले 13 जैक रेजिमेंट पिछले कुछ अरसे से देहरादून कैंट में है।
रेजिमेंट के परिसर में कारगिल युद्ध की वीर गाथा पर एक म्यूजियम है। सैनिकों के सीने को चौड़ा करते वीरता पदक आज भी रेजिमेंट के कारगिल में प्वाइंट 4750, 4875 और 5140 के विजयी अभियान की यादें ताजा करते हैं।
13 जैक को युद्ध के बाद ब्रैवेस्ट आफ ब्रैव का टाइटल तो मिला साथ में चीफ आफ आर्मी स्टाफ यूनिट साइटेशन और थियेटर आनर सहित कई सैन्य सम्मान मिले। रेजीमेंट के शूरवीर 26 जुलाई को कारगिल दिवस शहीद समारोह में मौजूद रहेंगे।
कारगिल विजय दिवस पर गढ़वाल हितैषिणी सभा, गढ़वाल भवन दिल्ली कारगिल के अमर शहीदों को शत शत नमन करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है।
पवन कुमार मैठाणी
महा सचिव
गढ़वाल हितैषिणी सभा दिल्ली
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