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लुप्त होते गोल मूली के उत्पादन में चमोली के उद्यान विभाग ने पाई सफलता



लुप्त होते गोल मूली के उत्पादन में चमोली के उद्यान विभाग ने पाई सफलता 


गोपेश्वर:- चमोली जिले राजकीय उद्यान विभाग रामणी ने गोल मूली उत्पादन में सफलता प्राप्त की है।  विभाग ने जिले में ख़त्म हो रही इस मूली की प्रजाति को बचाने के लिए अत्यधिक मेहनत की जिसका नतीजा ये निकला कि ढाई किलोग्राम बीज  से तीन सौ किलोग्राम उत्पादन करके करीब 2.46 लाख राजस्व अर्जित किया। 

विभाग के अधिकारीयों ने बताया कि जनपद में लोगों की मांग को देखते हुए एक प्रयोग के तौर पर मूली का उत्पादन किया गया था जिसके परिणाम आशातीत प्राप्त हुए है इससे न केवल राजस्व में बृद्धि हुई है वहीँ जिले की मांग के अतिरिक्त अन्य जनपदों की मांग की आपूर्ति भी संभव हो पाई है।  गोल मूली के उत्पादन से इसके बीज हेतु अन्य जनपदों पर निर्भरता भी कम होगी। उद्यान विभाग द्वारा बीज का मूल्य 820 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से निर्धारित किया गया है यही कारण है कि इससे इतनी राजकीय आय प्राप्त हुई जो कि विभाग की और से जनपद में गोल मूली के बीज उत्पादन को प्रोत्साहित करने का सकारात्मक परिणाम है। रामणी में ट्रॉयल के तौर पर बीज उत्पादन की सफलता को देखते हुए उद्यान विभाग इसे पैटोली और सिंगधार में भी आजमाने की तैयारी में हैं  जिससे स्थानीय स्तर पर काश्तकारों को उत्पादन में फायदा होगा और अन्य जनपदों की बीज आपूर्ति भी पूरी हो सकेगी।  



बता दें की किसी जमाने में उत्तराखंड के पहाड़ी इलाको में गोल मूली का उत्पादन बहुतायत मात्रा में होता था और भोजन के रूप में यह मुख्य सब्ज़ी हुआ करती थी।  गोल मूली से न केवल सब्जी तैयार होती है बल्कि परांठे बनाये जा सकते और इसकी  थिंचाड़ी तो आज भी प्रचलन में है। 

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