नई दिल्ली : अखिल भारतीय अणुव्रत अनुसन्धान केंद्र के निदेशक, सुप्रसिद्ध योगाचार्य श्री रमेश चंद्र कांडपाल जी के 50वें जन्मदिन के अवसर पर मंगलवार 27 मई, 2025 को उत्तराखंड सदन चाणक्यपुरी नई दिल्ली में हिमालयन रिसोर्स सोसायटी द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन में श्री कांडपाल जी की स्वयं प्रकाशित पुस्तक "मेरे देवदूत" और उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा हुई।
उत्तरखण्ड में जनपद अल्मोड़ा के मूल निवासी श्री रमेश कांडपाल जी की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई। उसके बाद आप दिल्ली आ गए। दिल्ली में आपने उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद योग-ध्यान का माध्यम से अपना मुकाम हासिल किया। योगाचार्य श्री रमेश चंद्र कांडपाल जी ऐसे मनीषी हैं जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शीला दीक्षित, स्वर्गीय साहिब सिंह वर्मा, पूर्व उप राष्ट्रपति श्री भैरों सिंह शेखावत, कृष्णकांत जी, सहित कई राजनेताओं, समाजसेवियों, अधिकारियों व विद्वान लोगों को योग सिखाया। आज भी आप योग के माध्यम से व चरित्र निर्माण व आत्मउत्थान की शिक्षा के माध्यम से मदद कर रहे हैं। समाज के हर वर्ग, जरूरतमंद लोगों की मदद में हमेशा आगे रहने वाले कांडपाल जी जितने विद्वान, शिक्षित व अद्भुत प्रतिभा के धनी हैं उतने ही सीधे व सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं। आपने समाज के एक सुप्रसिद्ध संस्थान अखिल भारतीय अणुव्रत अनुसन्धान केंद्र में बतौर निर्देशक व शिक्षाविद अपने देश के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों व कई सरकारी व अर्धसरकारी संस्थानों में योग व चरित्र निर्माण से हजारों लोगों/छात्रों को जीवन के प्रति सजग किया। यही कारण है कि इस आयोजन में भी अनेकों स्कूलों के प्राचार्य, डिग्री कॉलेजों के प्रोफेसर शामिल हुए। इनमें से कई लोगों ने बोला कि कांडपाल जी आपको हमारे स्कूलों के बच्चे बहुत याद करते हैं। आप हमारे संस्थान में लेक्चर देने व योग सीखाने कब आ रहे है । इस बात से आप आंकलन लगा सकते हैं कि कांडपाल जी कितने लोकप्रिय व्यक्ति हैं। आज के समय में ऐसे विद्वान व्यक्ति मिलना बहुत ही मुश्किल है। जो हर भाव से निर्विकार, चिंतनशील व हर समय देश, समाज की उन्नति व युवा पीढ़ी के उत्त्थान के वास्ते सतत प्रयत्नशील हो।
जीवन में कैसी भी परस्थिति हो उनके चेहरे पर सुलभ मुस्कराहट बराबर बनी रहती है। कांडपाल जी की एक खास बात है कि वे खुद चाहे कितनी परेशानी में हो किंतु लोगों की मदद करना नहीं भूलते हैं ।
श्री कांडपाल जी ने कई ज्ञानवर्धक पुस्तकों का संपादन, लेखन किया है। उनकी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक "मेरे देवदूत" में उन्होंने अपने सामाजिक जीवन में घटित हर घटना, व्यक्ति व सकारात्मक पहलुओं का वर्णन किया है। पुस्तक में दिए दृष्टांतो से पाठक को जीवन की सीख मिलती है और उनका जीवन व हर घटना के प्रति सकारात्मक नजरिया तथा दूसरे लोगों को वो कितना महत्व देते हैं सिद्ध होता है। उन्होंने एक चींटी, एक आम व्यक्ति व बड़े-बड़े राजनेता, भारतीय प्रशासनिक लोगों के साथ भावों को बहुत ही बढ़िया ढंग से उकेरा हैं। कुल मिलाकर बोल सकते हैं कि श्री रमेश कांडपाल जी एक विद्वान मनीषी, योगाचार्य व प्रेमी व्यक्ति हैं। जो हमेशा देश, समाज की भलाई व नई पीढ़ी को स्वास्थ्य, शिक्षा व देश प्रेम के प्रति लगातार सजग कर रहे हैं। दिल्ली और देश के अन्य भागों में कांडपाल जी योग व स्वउत्थान के माध्यम से नई पीढ़ी को सजग कर रहे हैं। भविष्य में वो उत्तराखण्ड के सुदूर गांवों के लिए भी कुछ सार्थक काम करने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा आप गढ़वाली-कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने की खातिर उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली को लगातार अपना सहयोग व मार्गदर्शन दे रहे हैं।
इस पुनीत अवसर पर समाज के बरिष्ठ समाजसेवी, प्रसिद्ध साहित्यकार, लेखक, कवि, वरिष्ठ अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता आदि उपस्थित रहे। जिनमें प्रमुख थे भारतीय विश्वविद्यालय संघ के ज्वाइंट सचिव श्री आलोक मिश्रा, वरिष्ठ आई ए एस अधिकारी श्री अजय गर्ग, वरिष्ठ आई ए एस व कामधेनु गोधाम के अध्यक्ष श्री एस पी गुप्ता, राज्य मंत्री श्री पी सी नैनवाल, दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर श्री धनंजय जोशी, डीपीएमआई का चेयरमैन वरिष्ठ राजनेता श्री विनोद बछेती, दिल्ली हिंदी अकादमी के पूर्व सचिव श्री हरि सुमन बिष्ट, उत्तराखंड सरकार के सूचना विभाग के प्रमुख श्री गोविंद सिंह बिष्ट, सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती सविता चड्डा, प्रसिद्ध साहित्य श्री रमेश घिल्डियाल सरस , बरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार श्री चारु तिवारी, राज्यसभा में बरिष्ठ अधिकारी श्रीमती मीना कंडवाल, सुप्रसिद्ध नाटककारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की श्रीमती लक्ष्मी रावत, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के श्री कनिष्क यादव, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता श्री मनोज चंदोला, नव भारती स्कूल के प्राचार्य श्री संजय भारतीय, नेशनल पब्लिक स्कूल के प्राचार्य श्री कवलजीत जी, बाल भवन पब्लिक स्कूल के प्राचार्य श्री विविध गुप्ता, कैंटरबरी पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष श्री के सी गुप्ता, प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमान विशंभर पांडे जी, उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली के संयोजक साहित्यकार श्री दिनेश ध्यानी, साहित्यकार श्री सूर्य प्रकाश सेमवाल, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता श्री संजय दरमोड़ा जी, श्री रोहित खेरीवाल, केदार्क के संस्था के निर्देशक श्री त्रिभुवन सिंह बिष्ट, प्रसिद्ध रंगकर्मी श्री अजय बिष्ट, ओएनजीसी के श्री डी एस भंडारी, श्री हेमचंद पंत, श्री श्रील जैन, श्री सुयशराज जी सहित कई महानुभाव उपस्थित थे। कांडपाल जी के बड़े भाई श्री गणेश कांडपाल, व श्री रमेश कांडपाल जी की धर्मपत्नी श्रीमती भावना कांडपाल व बेटा जयंत कांडपाल सहित परिजन उपस्थित रहे। परिजनों की भागीदारी व उच्च विचार व भावों की सभी उपस्थित व्यक्तियों ने तारीफ करी।
इस पूरे आयोजन को संपादित करने में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी जी के मीडिया प्रमुख श्री मदन मोहन सती जी व हिमालयन रिसोर्स सोसायटी उत्तरायणी के अध्यक्ष युवा कवि श्री नीरज बवाड़ी जी की मुख्य भूमिका रही। कार्यक्रम का संचालन नीरज बवाड़ी न किया ।
0 टिप्पणियाँ