करंट पोस्ट

8/recent/ticker-posts

गढ़वाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मांगल गर्ल नंदा सती और पंत नगर में डॉ.मीनाक्षी गैरोला को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा मिली उपाधि


11th convocation ceremony of HNBGU : बुधवार को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय का 11वाँ दीक्षांत समारोह ‘सशक्त महिला, समृद्ध राष्ट्र’ थीम के साथ धूमधाम से सम्पन्न हुआ। विश्वविद्यालय के स्वामी मनमंथन प्रेक्षागृह, चौरास में माननीय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु की गरिमामयी उपस्थिति में समारोह का विधिवत् उद्घाटन हुआ। विश्वविद्यालय द्वारा अपने ग्याहरवें दीक्षांत समारोह में 59 स्वर्ण पदक, 1182 स्नातकोत्तर डिग्रियाँ और 98 पीएचडी डिग्रियाँ प्रदान की गई। उद्घाटन अवसर पर माननीय राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.), मुख्यमत्री पुष्कर सिंह धामी, कुलाधिपति डॉ. योगेन्द्र नारायण, कुलपति प्रो अन्नपूर्णा नौटियाल सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। इस अवसर मेधावी विद्यार्थियों को माननीय राष्ट्रपति ने गोल्ड मेडल व डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की।

Mangal girl nanda sati

इस अवसर पर सीमांत जनपद चमोली के नारायणबगड गांव की बेटी मांगल गर्ल नंदा सती को महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के द्वारा मास्टर ऑफ आर्ट (संगीत) के लिए गोल्ड मैडल प्रदान किया गया। अपनी पहचान खो रहे मांगल गीतों को नंदा सती ने नया आयाम देकर जीवंत किया हैं। बता दें कि नंदा सती ने 2018 में बद्री केदार सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था (पंजी) दिल्ली के गित्येर कार्यक्रम में प्रतिभाग किया था जिसके बाद से उनके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया और उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति में विशेष महत्व रखने वाले मांगल गीतों पर काम करना शुरू किया।


वहीं डॉ. मोनिका गैरोला सुपुत्री श्री कुशलानंद गैरोला को मंगलवार को पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में माननीय राष्ट्रपति द्वारा डॉक्टरेट की उपाधी प्रदान की गई। इससे पहले डॉ. मोनिका गैरोला को वाटर सप्लाई पर बनाये गए उनके प्रोजेक्ट के लिए यंग इंडिया साइंटिस्ट के खिताब से नवाजा गया था। 

दिव्य पहाड़ से बात करते हुए नंदा सती ने बताया कि लोकगीत और मांगल गीत हमारी सांस्कृतिक विरासत की पहचान है। लोकगीत पीढी दर पीढी एक दूसरे को हस्तांतरित होते हैं, इनके बिना पहाड़ के लोक की कल्पना करना असंभव है। मैं बहुत ख़ुशनसीब हूँ की मुझे मांगल गीतों की समझ और महत्ता अपने गांव के बुजुर्गों से विरासत में मिली, जो बरसों से इनको संजोते आ रहें हैं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ