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उत्तराखंड: श्री सेम नागराज धाम पर संस्कृत में रचित डॉ. देशबंधु भट्ट की गद्य और पद्य की अनूठी कृति को कक्षा 11वीं के संस्कृत पाठ्यक्रम में स्थान मिला

उत्तराखंड : डॉ. देशबन्धु भट्ट द्वारा श्री सेम नागराजा धाम पर संस्कृत में रचित गद्य पद्य मिश्रित अनुपम कृति को कक्षा 11वीं के संस्कृत पाठ्यक्रम में मिला स्थान


टिहरी : उत्तराखण्ड की पावन भूमि सदा से ही आध्यात्मिक, सांस्कृतिक तथा साहित्यिक चेतना की प्रेरणा-स्थली रही है। इसी गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाते हुए डॉ. देशबन्धु भट्ट, प्रवक्ता (संस्कृत) एवं प्रधानाचार्य, राजकीय इंटर कॉलेज, तोलीसैण मुखेम, टिहरी गढ़वाल ने एक अनुपम कृति का सृजन किया है। उन्होंने श्री सेम नागराजा धाम विषयक गद्य-पद्य मिश्रित रचना संस्कृत भाषा में प्रस्तुत की है, जिसे उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद द्वारा कक्षा 11वीं के संस्कृत पाठ्यक्रम में स्थान दिया गया है। यह न केवल संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए गौरव का विषय है, अपितु प्रदेश की सांस्कृतिक अस्मिता के संरक्षण एवं संवर्धन का भी प्रतीक है।

श्री सेम नागराजा धाम गढ़वाल अंचल का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो लोक आस्था, पौराणिक मान्यताओं तथा ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत महत्वपूर्ण है। डॉ. भट्ट की रचना में इस तीर्थस्थल की आध्यात्मिक महिमा, वहाँ की लोक-परंपराएँ, सांस्कृतिक विशेषताएँ तथा प्राकृतिक सौंदर्य को प्रभावशाली संस्कृत शैली में अभिव्यक्त किया गया है।

इस रचना की भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण तथा विद्यार्थियों के स्तर के अनुरूप है। गद्य में जहाँ नागराजा धाम का ऐतिहासिक व सांस्कृतिक वर्णन किया गया है, वहीं पद्यांशों में भक्ति, श्रद्धा और सौंदर्य की अनुभूति कराई गई है। इससे विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा की सरसता एवं व्यावहारिकता का अनुभव होता है।

यह रचना विद्यार्थियों को न केवल स्थानीय इतिहास व संस्कृति से जोड़ती है, अपितु उनमें अपनी मातृभूमि के प्रति गर्व की भावना भी जागृत करती है। इसके माध्यम से वे यह समझ पाते हैं कि संस्कृत कोई मृत भाषा नहीं, बल्कि जीवंत और भावपूर्ण अभिव्यक्ति का माध्यम है।


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