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पिथौरागढ़ के विद्यालयी बच्चों के लिए महत्वपूर्ण पहल किताब कौतिक


रिपोर्ट हेमा उनियाल

किताबों की दुनियां शिक्षाप्रद ,मनोरंजक और संवेदनशील रही है ।किताब के साथ कौतिक का समन्वय इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि किताबों के साथ ही साहित्य, संस्कृति, नाट्य,रंगमंच , कैरियर काउंसलिंग से जुड़ी विभिन्न जानकारियों से भी लोग परिचित हो सकें। खासकर सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के विद्यालयी बच्चों के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहल थी जिनकी उपस्थिति एवं सहभागिता इस मेले में प्रमुख रूप से उभर कर आई थी जो सिर्फ स्कूली शिक्षा तक ही सीमित रह जाते हैं।


टनकपुर,चंपावत,बागेश्वर के बाद किताब कौतिक का यह तीन दिवसीय आयोजन इस बार पिथौरागढ़ में 4,5,6 जुलाई को जिला प्रशासन पिथौरागढ़ के तत्वावधान और किताब कौतिक के संयोजन( संयोजक हेम पंत) में नव निर्मित नगर पालिका भवन में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम का मुख्य उदघाटन जिलाधिकारी , पिथौरागढ़ श्रीमती रीना जोशी द्वारा किया गया।जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दीपिका बोरा, नगरपालिका अध्यक्ष श्री राजेंद्र रावत व मुख्य विकास अधिकारी श्री वैभव चौधरी द्वारा उदघाटन कार्यक्रम संपन्न हुए।

आयोजन के पहले दिन 4 जुलाई को विशेषज्ञों द्वारा बच्चों से सीधे संवाद किए गए।जिनमें वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी( लखनऊ), आई.ए.एस देवेश शासनी(एस.डी..एम धारचूला)राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त श्री ललित पोखरिया (रंगमंच),चर्चित लेखक अशोक पांडे,युवा वैज्ञानिक संजय उपाध्याय,वन्यजीव विशेषज्ञ राजेश भट्ट, शांतनु शुक्ल , लखनऊ और प्रयागराज से आए विशेषज्ञ, प्रधानाध्यापक नीरज पंत द्वारा कुछ चिन्हित स्कूलों में जाकर स्कूली बच्चों से साहित्य, पर्यावरण,नाट्य विधा, कैरियर काउंसलिंग आदि विषयों पर सीधे संवाद किए गए और जानकारी दी गई।

शाम के वक्त कुमार कैलाश द्वारा "हटमाला के उस पार" नाट्य का सफल मंचन किया गया। कुमार कैलाश जो नाट्य अकादमी भारत सरकार द्वारा "उस्ताद बिस्मिल्लाहखां" सम्मान प्राप्त हैं और "भाव राग ताल नाट्य अकादमी" के संस्थापक और डायरेक्टर हैं।

अगले दिन इस अवसर पर विभिन्न प्रकाशकों द्वारा उत्तराखंड की जानकारी सहित अनेक पुस्तकें बिक्री हेतु उपलब्ध कराई गई थीं। जिनमें हिमालय अध्ययन, अध्यात्म, पर्यटन, विज्ञान, इतिहास, बाल साहित्य सहित पाठकों की रुचि के अनुसार हर तरह का साहित्य उपलब्ध किया गया था।

आमंत्रित लेखक और साहित्यकारों से सीधी बातचीत का कार्यक्रम 5 जुलाई को रखा गया । जिसमें डॉ.शेखर पाठक, बद्री दत्त कसनियाल,श्री एस पी सेमवाल, डॉ. अशोक पंत, श्री नवीन जोशी, डॉ.हेमा उनियाल,श्री अशोक पांडे, श्री सिद्धेश्वर सिंह, प्रतिभा कटियार,अनिल कुमार यादव, डॉ.दीप चौधरी आदि की उपस्थिति रही। इनसे वार्ताकार रहे - श्री दिनेश भट्ट,श्री राजीव जोशी,श्री उमेश पंत ,श्री महेंद्र रावत, दीप्ति भट्ट,श्री महेश पुनेठा,श्री मोहन जोशी ।नैनीताल समाचार संपादक श्री राजीव लोचन साह,स्वतंत्र पत्रकार श्री जगमोहन रौतेला उसमें शामिल रहे।

वरिष्ठ पत्रकार श्री बद्री दत्त कसनियाल और प्रो. शेखर पाठक ने पहले सत्र में "पिथौरागढ़ का वैभवशाली इतिहास और भविष्य की संभावना" विषय पर अपना सारगर्भित व्याख्यान दिया। "प्रारंभिक शिक्षा में स्थानीय भाषा का महत्व" विषय पर श्री एस. पी. सेमवाल, डॉ.अशोक पंत , "हिंदी कथा साहित्य में पहाड़" विषय पर लखनऊ से पधारे वरिष्ठ लेखक ,पत्रकार श्री नवीन जोशी , "21वीं सदी में उत्तराखंड का हिंदी साहित्य" विषय पर श्री सिद्धेश्वर सिंह, "शिक्षा और साहित्य" पर प्रतिभा कटियार, "अस्कोट का किसान आंदोलन" विषय पर डॉ.दीप चौधरी ,"साहित्य, घुमक्कड़ी और यात्रा लेखन" पर श्री अशोक पाण्डे ,अनिल कुमार यादव का वक्तव्य महत्वपूर्ण रहा।इन पंक्तियों की लेखिका द्वारा "मानसखंड: नये संदर्भ" पर अपने विचार प्रस्तुत किए गए।

6 तारीख को प्रातः "नेचर वॉक" के अंतर्गत कौशल्या देवी मंदिर (हुडैती) पिथौरागढ़ तक की यात्रा महत्वपूर्ण ,जानकारी पूरक रही। सभी ने उसका खूब आनंद लिया। इसमें श्री राजेश भट्ट(बर्ड वाचिंग) और वनस्पति वैज्ञानी डॉ.बी एस कालाकोटी द्वारा जड़ी बूटियों और पूर्व निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य (उत्तराखंड) डॉ.ललित मोहन उप्रेती द्वारा रक्तदान, नेत्रदान और अंगदान की जरूरत पर जानकारी प्रदान की गई।


दूसरे सत्र में इस दौरान लगभग 25 स्कूलों के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम, पेंटिंग प्रतियोगिता, ऐपण प्रतियोगिता, कविता वाचन, फोटोग्राफी, चित्रकारी प्रतियोगिता, दूरबीन अध्ययन व अन्य गतिविधियों में उत्साहपूर्वक भागीदारी की।

इस दौरान कई महत्वपूर्ण पुस्तकों के लोकार्पण सहित "न्यौलि कलम - पिथौरागढ़" किताब का विमोचन हुआ, जिसमें पिथौरागढ़ जिले के स्कूली बच्चों के 125 स्वरचित लेख / कविता आदि प्रकाशित हैं। साथ ही इस अवसर पर जिले के 5 वरिष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित किया गया जिनमें -सर्वश्री कच्चाहारी बाबा, बद्री दत्त कसनियाल, परमानंद चौबे, पद्मादत्त पंत और लोक कलाकार जगत राम जी रहे।

 लगभग 10 नई पुस्तकों का आमंत्रित अतिथियों द्वारा लोकार्पण हुआ।जी.आई.सी भड़कटिया द्वारा छोलिया नृत्य और मानस अकादमी द्वारा हिलजात्रा की प्रभावशाली प्रस्तुति की गई।

स्थानीय और बाहर से आमंत्रित लगभग 25 कवियों ने "कवि सम्मेलन" में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। सभी को सम्मानित किया गया।

सांस्कृतिक संध्या में लोकगायक प्रहलाद मेहरा, कैलाश कुमार, गोविंद डिगारी और "नाद भेद टीम" ने मनभावन गीतों की प्रस्तुति से सुंदर समा बांध दिया।

 इस तीन दिवसीय आयोजन के अवसर पर आमंत्रित अतिथियों को स्थानीय भोज खिलाए गए,जिसकी व्यवस्था अपनी रसोई के श्री हेम चन्द्र खोलिया द्वारा की गई जिसमें , बिच्छू घास की सब्जी, गहत, भट्ट, पहाड़ी रायता, भंगीरे की चटनी और स्थानीय उत्पाद शामिल रहे।

कार्यक्रम में विविधता लिए नक्षत्र, अल्मोड़ा द्वारा आधुनिक दूरबीनों के साथ बच्चों व लोगों को खगोल विज्ञान से जुड़ी जानकारी दी गई। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने सरलता से विज्ञान के सिद्धांत समझाने वाले मॉडल्स प्रदर्शित किए।

"पहरू" द्वारा स्थानीय भाषाओं की किताबों का स्टॉल लगाया गया।जिसमें श्री महेंद्र ठकुराठी उपस्थित रहे।प्रसिद्ध कुमाऊनी मासिक पत्रिका "आदलि कुशलि" की प्रकाशक और संपादक डॉ. सरस्वती कोहली जो आयोजन टीम से भी जुड़ी रहीं हैं, पूरी सहभागिता निभाती रहीं।समय साक्ष्य प्रकाशन,देहरादून के प्रवीण भट्ट भी पुस्तकों के साथ उपस्थित रहे।पहाड़ प्रकाशन ,नैनीताल की शोधपरक पुस्तकें भी वहां दिखाई दीं।बच्चों के लिए विविध पुस्तकों की कमी न थी। 

खाने- पीने के स्टालों में REEP द्वारा लगाए गए स्टॉल पर मडुवा के बिस्कुट , नमकीन, अचार आदि अच्छी मात्रा में बिके । बेडू के बने उत्पादों को जिलाधिकारी महोदया रीना जोशी द्वारा लॉन्च किया गया।

श्रीमती पुष्पा फर्त्याल जो शहरफाटक से पधारी थी उनके द्वारा कठपुतलियों के माध्यम से परंपरागत वेशभूषा और महिलाओं के दैनिक कार्यों का सुंदर चित्रण किया गया।साथ ही नेचर वॉक के अंतर्गत समापन में एक सुंदर न्योली भी उन्होंने सुनाई।

स्थानीय युवा ऐपण कलाकार श्रीमती यामिनी और कविता खड़ायत द्वारा हस्तशिल्प प्रदर्शनी लगाई गई थी।

स्मृति चिह्न के रूप में पिथौरागढ़ जिले के विशिष्ट त्यौहार, लोक परम्परा, प्राकृतिक दृश्य आदि चित्र भेंट किए गए, जिनमें 20 स्थानीय फोटोग्राफर्स के चयनित फोटो लिए गए थे।

कुल मिलाकर तीन दिवसीय यह आयोजन,जिला प्रशासन और किताब कौतिक टीम का समन्वित सुंदर और सफल आयोजन रहा। जिस पर उत्तराखंड के तेरह जिलों में आगे भी कार्य होते रहने की आवश्यकता है।

किताब कौतिक के संयोजक श्री हेम पंत सहित,श्री दयाल पाण्डे, श्री हेम चन्द्र खोलिया, श्री जगमोहन रौतेला, हर्षिता( बुलबुल),श्री जनार्दन उप्रेती,श्री नरेंद्र बंगारी ,अध्यापक श्री खिलानंद खोलिया , श्री प्रहलाद मेहरा,श्री महेश पुनेठा, डॉ. एल.एम उप्रेती, डॉ पीतांबर अवस्थी, श्री हरिहर लोहुमी, श्री गिरीश चंद्र पांडे 'प्रतीक', श्री गोविंद सिंह कफलिया,डॉ.गजेंद्र बटोही, श्री प्रेम पुनेठा,श्री महेंद्र ठकुराठी,श्रीअतुल कुमार पाण्डे, श्री विप्लव भट्ट, डॉ.सरस्वती कोहली ,दिनेश भट्ट आदि की भूमिका इस आयोजन में महत्वपूर्ण रही।

इस आयोजन में बतौर लेखिका (मानसखंड, केदारखंड) मुझे आमंत्रित कर ,एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया गया।यात्राएं और इस तरह के सेमीनार बहुत कुछ सीखने का अवसर प्रदान करते हैं।

हेमा उनियाल

   (ग्रंथकार)

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