करंट पोस्ट

8/recent/ticker-posts

उत्तराखंड में यूनीक खेती-बाड़ी मॉडल लाने की तैयारी प्रदेश के 11 जिलों में प्राकृतिक खेती के बनेंगे 128 क्लस्टर


UNIK KHETI BADI YOJNA : उत्तराखंड के युवाओं को पहाड़ में ही स्वरोजगार मिले इसके लिए प्रदेश की सरकार लगातार प्रयासरत है। उत्तराखंड में कृषि ही स्वरोजगार का सबसे बड़ा साधन है, यही कारण है कि कृषि को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार अब यूनीक खेती-बाड़ी मॉडल तैयार करने जा रही है। उत्तराखंड में प्राकृतिक व जैविक खेती पर जोर दिया जाएगा। यूनीक खेती बाड़ी योजना को लाभकारी, कम लागत वाली और पशुपालन सेक्टर को समावेश करने वाला बनाया जाएगा। इसको ऐसा स्वरूप दिया जाएगा जिससे नए कृषि उद्यम भी इसके साथ साथ चल सके ।

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक एके उपाध्याय जो कि प्राकृतिक खेती के प्रभारी भी है ने बताया कि केंद्र सरकार उत्तराखंड को प्राकृतिक खेती के सफल माडल के रूप में तैयार करना चाहती है। इसके लिए बाकायदा एक फंड की व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश के ग्यारह जिलों में प्राकृतिक खेती के 128 क्लस्टर तैयार किए जाएंगे। हर क्लस्टर पचास हैक्टेयर का होगा। फिलहाल भारतीय अनुसंधान कृषि परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिकों द्वारा इस पर  अध्यन किया जा रहा हैं।

प्राकृतिक खेती के कुछ खास बिंदु

  • खेत या क्लस्टर के संसाधनों पर ही निर्भरता
  • गाय व गोवंश से मिलने वाले गोबर व मूत्र पर निर्भरता 
  • जल संसाधन और मिट्टि की सेहत को बेहतर बनाने पर विशेष जोर 
  • उत्पादन और उत्पादकता के लिए वैज्ञानिक पद्धति पर बल 
  • बीज के संरक्षण और संवर्धन पर फोकस
  • किसान को आत्मनिर्भर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा
  • धनिक व अति धनिक वर्ग बनेंगे खाद्य उत्पादों के ग्राहक

क्या है जैविक खेती की विशेषताएं

  • बायो फर्टीलाइजर पर बल
  • जैविक इनसेक्टीसाइड व पेस्टीसाइड पर फोकस
  • जैविक खाद्य पर निर्भरता
  • जैविक खेती में विदेश बाजारों को केंद्र में रखा गया है
  • उत्पादन और उत्पादकता पर बहुत अधिक बल नहीं
  • सर्टिफिकेशन प्रक्रिया केंद्रित खेती
  • उत्तराखंड में जैविक कृषि 21 वर्ष से चालू है

जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के बीच तालमेल बैठाया जायेगा और इसे सफल बनाने के लिए चार पांच गांवों के बीच एक इनपुट सेंटर तैयार किया जाएगा। इसमें गाय और गोवंश के गोबर व मूत्र समेत पेड़ों के पत्तों से जैविक खाद तैयार की जाएगी। इस काम के लिए कृषि विभाग बकायदा गांव के एक युवक को खरोजगार भी प्रदान करेगा। कृषि और पशुपालन विभाग के सहयोग से बड़ी संख्या में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए जायेंगे। डेयरी उत्पादों और खेती का काम साथ साथ किया जाएगा। इससे उत्पादकता बढ़ेगी और लागत भी बहुत कम आयेगी ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ