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प्रदेशभर में रही हरेला पर्व की धूम लोगों ने वृक्षारोपण कर लिया पर्यावरण को बचाने का संकल्प

 


प्रदेशभर में रही हरेला पर्व की धूम लोगों ने वृक्षारोपण कर लिया

पर्यावरण को बचाने का संकल्प 

कर्णप्रयाग : उत्तराखंड में सावन के महीने में पड़ने वाले पर्यावरण, संस्कृति व जीवनशैली में सामंजस्य बैठाने वाले हरेला पर्व को लोग बड़े उत्साह के साथ न केवल मना रहे है साथ ही पर्यावरण को संरंक्षित रखने के लिए दुनिया को एक संदेश भी दे रहे है। हरियाली से संबंधित यह त्यौहार उत्तराखंड की संस्कृति और जीवनशैली को भी दर्शाता है। कृषि क्षेत्र में जब साइंस कहीं नहीं दिखती थी तब उत्तराखंड के लोग प्रकृति से जुड़े अपने त्यौहारों से कृषि मिट्टी को जांचने का काम करते थे और उस हिसाब से अपनी फसलें लगाते थे। 

इस बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भी हरेला त्यौहार पर लगभग 5 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है जिसे प्रदेश के सभी ग्रामवासी हर्षोल्लाष के साथ लगाते देखे गए। यही नहीं स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों ने भी पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए इस लोकपर्व पर वृक्षारोपण कर हर त्यौहार की सार्थकता बनाये रखी। 

पौड़ी जनपद के रा० प्रा० वि० गहड़ खिर्सू में शिक्षिका संगीता कोठियाल फरासी व अन्य शिक्षकों ने बच्चों के साथ मिलकर विद्यालय प्रांगण में औषधीय और फलों के पौधे लगाकर हरियाली के प्रतीक हरेला त्यौहार मनाया एवं बच्चों को बताया कि वृक्ष धरती को श्रृंगारित तो करते ही हैं साथ ही हमारे जीवन के भी मुख्य आधार हैं जिनके बिना हम एक पल भी सांसें नहीं ले सकते इसलिए हमें चाहिए कि अपने आस-पास अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं। 

वहीं राजकीय जूनियर हाई स्कूल बैनोली (कर्णप्रयाग) चमोली में हरेला पर्व पर वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां शिक्षकों और बच्चों द्वारा फलदार एवं छायादार पेड़ों का रोपण किया गया।  शिक्षक बीपी गैरोला ने कहा कि बुनियादी शिक्षा के साथ साथ हमें बच्चों को पर्यावरण की शिक्षा देकर उन्हें पर्यावरण और अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक करना चाहिए। 

लोकपर्व हरेला पर जनप्रतिनिधियों ने भी अपने अपने स्तर पर अनेकों कार्यक्रम आयोजित किये। जनपद चमोली भाजपा के महामंत्री समीर मिश्रा ने अपने गांव में महिला मंगलदल और युवक मंगल दल के साथ सेब, अमरुद जैसे फलों और औषधीय पौधों को रोपित कर गांव को हरा भरा बनाने का संकल्प लिया। 

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