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प्रशासन व विधायक की उदासीनता से जीर्ण क्षीर्ण है कल्जीखाल विकास खंड के अंतर्गत जाख खाली मोटर मार्ग


प्रशासन व विधायक की उदासीनता से जीर्ण क्षीर्ण है कल्जीखाल विकास खंड के अंतर्गत जाख खाली मोटर मार्ग 

पौड़ी:- एक ओर तो सरकार अपने प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार हेतु वापिस लाना चाहती है और दूसरी ओर वहां समस्याओं का जो अंबार लगा है उसकी तरफ कोई ध्यान ही नहीं दे रही ऐसे में क्या ये संभव हो पायेगा। हम जमीनी हकीकत की बात करें तो प्रदेश में अभी भी लोगों को जन सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है। यहाँ तक कि मोटर मार्गों की हालत भी खस्ता हाल है। कहीं सड़कें टूटी पड़ी है तो कहीं गड्ढे पड़े हैं तो कही सड़क बने वर्षों बीत गए पर अभी तक डामरीकरण नहीं हो पाया है। क्या विकास का यही पैमाना हम दुनिया को बताना चाहते है। 

मोटर मार्गों का जिक्र आया है तो मैं बताना चाहूंगा कि पौड़ी के कल्जीखाल विकास खंड के अंतर्गत कफोलस्यूँ की ग्रामसभा नौड़ियाल गाँव के मुख्य बाजार की सड़क जो कि पौड़ी कोटद्वार को जोड़ती है की दशा देखकर एक बार आप भी सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि आखिर प्रदेश बनाकर हमें मिला क्या। इस मोटर मार्ग को बने लगभग 20 वर्ष हो चुके है लेकिन जाख खाली से पाली तक के इस टुकड़े का आज तक डामरीकरण नहीं हुआ जबकि सारी सड़क का डामरीकरण एक बार हो चुका था। अब इस सड़क की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि स्थानीय लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो चुका है। 


ग्राम सभा नौडियाल गांव के स्थानीय निवासी प्रदीप नौडियाल और पाली गांव के संतोष सिंह नेगी (हाल सिंगापुर) ने बताया कि इस बावत हम लोग अनेकों बार इसकी शिकायत लोक निर्माण विभाग से लेकर विधायक और लोकसभा सदस्य तक कर चुके हैं किंतु अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है जबकि इस ग्राम सभा के शत प्रतिशत लोग भाजपा के समर्थक है। उन्होंने बताया कि अभी कुछ दिन पहले ही इस क्षेत्र के विधायक दौरे पे थे तो लोगों ने उनके स्वागत में कोई रूचि नहीं दिखाई लेकिन इस मार्ग से गुजर चुके विधायक ने इसे बहुत ही उम्दा मोटर मार्गों में से एक बताया। अपने विधायक के इस बेरुखे व्यवहार की वजह से क्षेत्र की जनता उनसे खासी नाराज़ है।  


ग्राम सभा नौडियाल गांव के प्रदीप नौडियाल ने तो अपने स्तर पर अनेकों बार इस मोटर मार्ग को दूरस्थ कराने का प्रयास किया लेकिन केवल अश्वशानों के शिवा आज तक कुछ नहीं हुआ।  यही नहीं इसके लिए ग्राम सभा ने अनेकों बार ज्ञापन भी दिए और पत्राचार के माध्यम से भी विभागों को इस विषय में अवगत कराया लेकिन एड़ियां रगड़ने के बावजूद इनकी समस्या जस की तस बनी हुई है। मजबूर होकर अब ये लोग विरोध स्वरुप खुद ही श्रम दान कर सोई हुई सरकार को जगाने का काम कर रहे है।  




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