पहाडी मिर्च (Capsicum Frutescence)
डाक्टर राजेंद्र डोभाल
शुद्ध वैज्ञानिक रूप से यदि मिर्च की बात की जाय तो मुख्यतः केप्सीकम फूट्रीसेंस तथा केप्सीकम एनम दो मुख्य प्रजातियॉ है जो व्यवसायिक रूप से भारत में उगायी जाती है। यद्यपि भारत में मिर्च व्यवसायिक रूप से कई राज्यों में जैसे- आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उडीसा, राजस्थान, तमिलनाडू तथा उत्तर प्रदेश में उगायी जाती हैं।
भारत विश्वभर में लगभग नब्बे देशों को मिर्च निर्यात करता है, लगभग 6.81 लाख हैक्टेयर में 10.09 लाख टन मिर्च का उत्पादन किया जाता है। इसके अतिरिक्त पहाडी मिर्च भी विश्वभर में मसाले तथा अपने तीखे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इसमें विटामिन ए, सी तथा ई भी पाये जाते है तथा पाचन क्रिया में भी सहायक होती है। रूस के एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार हरी मिर्च में विटामिन पी भी पाया जाता है जो Secondary Irradiation Injury में सहायक होता है। मिर्च में मौजूद मुख्य एल्कोलाइड ’केप्सीकीन’ तीखेपन के साथ-साथ औषधीय गुण भी रखता है। केप्सीकीन मुख्यतः एंटीकैंसर तथा त्वरित दर्द निवारक गुणों के साथ-साथ ह्दय रोगों में भी लाभदायक पाया जाता है। मैक्सिको में तो लाल मिर्च के पिगमेंट को ’पॉलेट्री फीड’ में भी मिलाया जाता है ताकि चिकन में लाल पिग्मेंट की वजह से ज्यादा कीमत प्राप्त हो सकें।
उच्च फ्लेवनाइडस की वजह से मिर्च में बेहतर एंटी ऑक्सीडेंट गुण भी पाये जाते है जोकि ह्दय को सुचारू संचालन तथा ट्राई गिलेसेराईड की मात्रा को भी कम करता है। रक्त संचार को बेहतर करने के साथ-साथ शरीर में Immunity को बढाकर उदर रोगों के निवारण में भी सहायक होता है। पौष्टिक रूप से भी मिर्च अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, इसमें प्रोटीन-15.90 ग्रा0, खनिज लवण - 6.10 ग्रा0, फाइबर-30.20 ग्रा0, कार्बाहाइडेटस- 31.60 ग्रा0, केल्सियम- 160 मि0ग्रा0, फासफोरस- 370 मि0ग्रा0, आइरन-2.30 मि0ग्रा0, कैरोटिन- 345 मि0ग्रा0, पोटेशियम- 530 मि0ग्रा0 प्रति 100 ग्राम तक पाये जाते है।
यद्यपि भारत के कई अन्य राज्य व्यवसायिक रूप से मिर्च उत्पादन में अग्रिण स्थान रखते है परंतु उत्तराखण्ड की पहाडी मिर्च जैसे लाखोरी तथा जामरी मुख्य रूप से तीखे पन की वजह से बाजार में अधिक मॉग रखती है। उत्तराखण्ड के तराई क्षेत्रों के अलावा पहाडी जिलों में सर्वाधिक अल्मोडा-367 है0 में 821 टन उत्पादन; रूद्रप्रयाग 182 है0 में 217 टन उत्पादन; उतरकाशी 175 है0 में 316 टन तथा पौडी 172 है0 में 192 टन उत्पादन किया जाता है।
उत्तराखण्ड की पहाडी मिर्च अपनी विशिष्ट स्वाद, तीखेपन तथा बेहतर रंग की वजह से एक अलग पहचान रखती है। प्रदेश में बेतालघाट, सल्ट, स्यालदे, बीरोखाल तथा लोहाघाट मुख्य मिर्च उत्पादक क्षेत्र है। बेतालघाट तथा लोहाघाट की विश्व प्रसिद्ध पहाडी मिर्च अपनी विशिष्ट गुणों तथा सर्वाधिक केप्सीकीन के कारण बाजार में सर्वाधिक मॉग व मूल्य रखती है।
यदि प्रदेश के मिर्च उत्पादक क्षेत्रों में केवल व्यवसायिक रूप से उन्ही प्रजातियों का उत्पादन किया जाय जिनमें सर्वाधिक केप्सीकीन की मात्रा पायी जाती है तथा उच्च मूल्य के साथ-साथ सर्वाधिक बाजार मॉग भी रखती है, तो अपनी एक विशिष्ट पहचान के साथ-साथ आर्थिकी का भी बेहतर साधन बन सकती हैं। मिर्च उत्पादक क्षेत्रों को चिन्ह्ति कर स्थानीय स्तर पर काश्तकारों के लिए सामूदायिक सुविधा केन्द्र स्थापित कर Post Harvest Technology के तहत मूल्य संवर्धन किया जाय तो मिर्च उत्पादकों को बाजार के साथ-साथ रोजगार का विकल्प भी बनाया जा सकता है।
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