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उत्तराखंड : चमोली जिले के सिरगुर पट्टी में स्थित है धर्मराज युधिष्ठर जी का वर्षों पुराना प्राचीन मंदिर

उत्तराखंड : चमोली जिले के सिरगुर पट्टी में बसा है धर्मराज युधिष्ठर जी का वर्षों पुराना प्राचीन मंदिर


(प्राचीन शैली से बने इस मंदिर से जुडी हैं कई प्रचलित कथाएं) 

कर्णप्रयाग : उत्तराखंड देवभूमि है, जिसके कण-कण में भगवान बसते है। आपने उत्तराखंड में अधिकतर शिवजी और मां नंदा के विभिन्न रूपों के मंदिर देखें होंगे। लेकिन आज हम आपको धर्मराज युधिष्ठर के एकमात्र मंदिर के बारे में बता रहे हैं। माना जाता है कि अज्ञातवास के समय पांडवों का अधिकतर समय उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में ही बीता। यही कारण है कि इन क्षेत्रों में आज भी पांडव लीलाओं का मंचन किया जाता है।  

जनपद चमोली के सिरगुर पट्टी की सुंदर वादियों में बसा है सिलोड़ी गांव। इसी गांव में स्थित है वर्षों पुराना धर्मराज युधिष्ठिर जी का एक मात्र प्राचीन मंदिर। प्राचीन शैली से निर्मित यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। देश के कोने कोने से भक्त यहां आकर अपनी मनोकामनाएं युधिष्ठिर महाराज जी के सम्मुख रहते है और जब उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है तो वे अपने सम्पूर्ण परिवार के साथ मंदिर में आकर घंटी चढ़ाने आते हैं। हर 3 वर्षों में इस मंदिर में बड़े ही भव्य रूप में महादान का बड़ा पर्व  मनाया जाता है। 

कई पुराणिक कथाओं से ये ज्ञात होता है कि धर्मराज युधिष्ठिर सिलोड़ी गांव में भी बसते है । गांव के लोग सदियों से युधिष्ठर जी की पूजा करते आ रहे हैं। अपनी वर्षों पुरानी परंपरा को वे आज भी निरंतर निभाते आ रहे है। मंदिर की भव्यता को बनाए रखने के लिए गांव के लोग अपने जनप्रतिनिधियों को साथ लेकर बढ़चढ़कर अपनी सेवाएं देते हैं जिस कारण आज मंदिर काफी सुंदर बन पड़ा है। सिलोड़ी गांव चाहता है कि वर्षों पुराना एकमात्र धर्मराज युधिष्ठर का प्राचीन मंदिर भी आस्था का केंद्र बिंदु बने और ज्यादा से ज्यादा भक्त मंदिर में पहुंचकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

नंदा देवी राजजात में भी मंदिर में पारंपरिक लोक गीतों व जागर गीतों के के साथ पूजा पाठ होता है और दूर दूर से भक्त मंदिर पहुंचते हैं।  आपको बता दें कि राजजात में मां नंदा देवी की एक छंतोली सिलोड़ी गांव से भी जाती है। 

 सिलोड़ी गांव में धर्मराज युधिष्ठर के साथ साथ केदारू देवता का भी प्राचीन मंदिर विद्यमान है।  सिलोड़ी गांव के युवा अपनी जड़ों की और लौट रहे हैं और वे चाहते हैं कि गांव में विधमान वर्षों पुराने प्राचीन मंदिरों को आस्था के साथ साथ पर्यटक स्थल के रूप में संजोया सजाया जाय । इसके लिए वे प्रशाशन, राज्य सरकार एवं क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर इसमें सहयोग करने की अपील कर रहे हैं। साथ ही वे सोशल मीडिया के माध्यम से पौराणिक मंदिरों की गाथा जन जन तक पहुंचा रहे हैं। 

सिलोड़ी गांव को पूरी उम्मीद है कि धर्मराज युधिष्ठर के मंदिर की महिमा को प्रशासन जानेगा और मंदिर को पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाकर सिलोड़ी गांव को एक पर्यटक स्थल के रूप में एक नई पहचान दिलाएगा।

धर्मराज युधिष्ठर के मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको ऋषिकेश से कर्णप्रयाग होते हुए नारायणबगड़ पहुंचना होगा। इसके अलावा आप बागेश्वर होकर भी नारायणबगड़ पहुँच सकते हैं। पिंडर नदी के साथ साथ चलती ये घाटी बड़ी मनमोहक व आकर्षक दिखाई देती है। 

पत्रकार दीप सिलोड़ी


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