नई दिल्ली : अमर संदेश समाचार पत्र समूह द्वारा शनिवार 14 जून को डिप्टी चेयरमैन हॉल, कंस्टीट्यूशन क्लब, रफी मार्ग, नई दिल्ली में विश्व पर्यावरण दिवस के पावन अवसर पर सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथियों भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व अनेकों राज्यों के पार्टी प्रभारी श्याम जाजू तथा सेवानिवृत आईएएस कुलानन्द जोशी, कांग्रेस नेता हरिपाल रावत, भाजपा दिल्ली प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अर्जुन सिंह राणा, लोकगायिका कल्पना चौहान, केंद्रीय सचिवालय कर्मचारी संगठन नेता उदित आर्य तथा माताश्री देवभूमि परिवार और आयोजकों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
दीप प्रज्वलित करने के बाद अमर संदेश समाचार पत्र ग्रुप के मुख्य संपादक अमर चंद के साथ निम्मी ठाकुर, सुजीत ठाकुर, मोहन सिंह रावत इत्यादि द्वारा कार्यक्रम के मुख्य व विशिष्ट अतिथियों का अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह व पौंध गमला प्रदान कर स्वागत किया गया।
मुख्य अतिथि भाजपा के वरिष्ठ नेता श्याम जाजू ने अपने उदघोषण में पर्यावरण जागरूकता पर कहा कि नैसर्गिक पर्यावरण की चिंता करना उत्तराखंडियों की चिंता रही है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गंगा व अनेकों अन्य नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए लाखों रुपयों का अनुदान दिया है। तीर्थ यात्री सुगमता से कैंची धाम, बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम जा रहे हैं, श्रद्धा और संस्कृति देने का कार्य उत्तराखंड करता है। विकास कार्यों हेतु जो पेड़ कट रहे हैं उससे अधिक पेड़ लगाने व उनकी सुरक्षा के इंतजाम सरकार द्वारा किए गए हैं ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहे। उन्होंने कहा, उपहार में पेड़ पौधों के गमले देने की प्रथा व प्रचलन वर्तमान सरकार द्वारा ही धरातल पर लाया गया, जो परंपरा का रूप धारण करती जा रही है। निर्मल गंगा हेतु तथा पेड़ लगाने हेतु बड़े स्तर पर नीति नियोजन किया जा रहा है, बजट बनाया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वैश्विक फलक पर भारत नेतृत्व कर रहा है। सोलर एनर्जी में भारत सबसे आगे है। शहरों व महानगरों में रहने वाले लोग बिजली, पानी की खपत कम करने और बहते नालों की चिंता करे।
श्याम जाजू ने पर्यावरण जागरूकता विषय पर गायक कलाकारों व रचनाकारों के गायन-वादन व वाचन की करते हुए सम्मानित होने वाले सभी कलाकारों व पत्रकारों सहित अमर संदेश ग्रुप के मुख्य संपादक अमर चंद व उनकी पूरी टीम को महत्वपूर्ण विषय पर प्रभावशाली गोष्ठी के आयोजन हेतु बधाई दी।
पर्यावरण और संस्कृति के संगम का साक्षी बनें इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से भी पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संदेश दिया गया। उपस्थित कलाकारों द्वारा पर्यावरण संरक्षण से जुड़े गीत, नृत्य, नाटक व कविताओं का प्रभावशाली गायन, वादन व वाचन कर आयोजन को यादगार बनाया गया। सुप्रसिद्ध गायक कलाकारों में प्रमुख कल्पना चौहान द्वारा-उत्तराखंड की धरती हरी भरी बनौल….
आशा नेगी द्वारा-किले गिछै गढ़ परदेशा…ऊंचा ऊंचा डान पहाड़ा…
मौनिका झा वैदेही द्वारा-पेड़ प्राणों का आधार… जरा ध्यान दे….
मधु बेरिया साह द्वारा-सात सुरों का बहता दरिया तेरे नाम….
काटी है जंगला, टूटनी पहाड़ा, खेती पाती बजीगे, सुखी गे गाड़ा…
जैसे पर्यावरण व लोकजीवन की दशा व दुर्दशा से जुड़े गीतों का गायन संगीतकार मोतीशाह के संगीत निर्देशन में किया गया। वहीं दीपिका ट्रस्ट से जुड़ी सुनीता सुयाल नौनिहालों के ग्रुप द्वारा वायु प्रदूषण और स्वच्छता पर रचित हास्य व्यंग से ओत प्रोत लघु नाटक ‘बस अब और नहीं‘ का मंचन किया गया।
विश्व पर्यावरण दिवस के इस अवसर पर रंगकर्म क्षेत्र से जुड़े कलाकारों, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले पत्रकारों व अन्य प्रबुद्ध जनों को मुख्य व विशिष्ट अतिथियों के कर कमलों से अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर ‘अमर संदेश समाचार पत्र सम्मान- 2025’ से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं द्वारा कहा गया, पर्यावरण का विषय गंभीर विषय है। पर्यावरण के हास का खामियाजा समस्त विश्व भोग रहा है। पर्यावरण संरक्षण कह कर नहीं, धरातल पर कार्य कर, प्रकृति के नियमों का कड़ाई से पालन कर ही किया जा सकता है। कहा गया, ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहीम का समर्थन कर पेड़- पोंधे लगाने चाहिए। पर्यावरण की रक्षा हर हाल करनी चाहिए। कहा गया, उत्तराखंड का जनमानस तो पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में पीढ़ी दर पीढ़ी पारंपरिक रूप में हरेला पर्व मनाता आ रहा है। उत्तराखंड का फूलदेई पर्व भी पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। कहा गया, उत्तराखंड को पर्यावरण संरक्षण हेतु ग्रीन बोनस व नदियों में हरिद्वार तक शुद्ध जल प्रवाहित करने हेतु ब्ल्यू बोनस मिलना चाहिए।
वाक्तातो में कहा, तापमान में बदलाव आ रहा है। जंगलों में लगने वाली आग भी पर्यावरण व तापमान को भारी क्षति पहुंचा रही है। जिसे बार-बार प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने से व्यक्त किया जा सकता है, आज हम प्रकृति के साथ नहीं बल्कि उसकी कीमत पर विकास कर रहे हैं। आपदाओं को अवसर बना कर चल रहे हैं। अपने अस्तित्व को अपने ही क्रियाकलापो के कारण खतरे में डाल रहे हैं। हमारी सरकार व योजनाकारों को इस महत्वपूर्ण बात को समझना होगा कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के विकास का मॉडल वह नहीं हो सकता जैसा कि अन्यत्र जगहों का।
पर्यावरण जागरूकता विषय पर गोष्ठी आयोजित करने हेतु बैंक ऑफ इंडिया तथा अनेकों समाज सेवियों के द्वारा दिए गए आर्थिक सहयोग की सराहना की गई। आयोजित गोष्ठी का प्रभावशाली मंच संचालन राज चावला द्वारा बखूबी किया गया।
सम्मानित होने वाले वरिष्ठ पत्रकारों में सुजीत ठाकुर, अनिल पंत, योगेश भट्ट, खुशाल जीना, सुनील नेगी, चंद्र मोहन पपनै, राजू बोरा इत्यादि तथा रंगकर्म व अन्य विधाओं से जुड़े कलाकारों व प्रबुद्ध जनों में उर्मिला मेहरा (रानीखेत), सुरेशी दानू, आशा नेगी, नीमा भंडारी, विजय भंडारी, मधु बेरिया साह, राजेंद्र चौहान, पदमेंद्र रावत, मोहन सिंह रावत, लक्ष्मी नौडियाल, यशोदा घिल्डियाल, संगीता सुयाल, कुंदन भैंसोडा, दीप राम शर्मा, अशोक यादव, सविता पंत, मौनी झा वैदेही, शिवदत्त पंत, हेम पंत, प्रभा, शुक्रितो, वैष्णवी शास्त्री, राम सिंह तोमर, प्रमिला तोमर, गणेश गौण, अतुल कुमार जैन इत्यादि प्रमुख नाम रहे।
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