नई दिल्ली : सीरीफोर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज़ (SIMS) का परिसर रविवार को तब जीवंत हो उठा, जब संस्थान ने अपनी रजत जयंती के शुभ अवसर पर वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव "डैजल 2025" का भव्य आयोजन किया। इस अवसर पर शिक्षा, संस्कृति और समाज का अनूठा संगम देखने को मिला।
राजनीति और शिक्षा के शीर्ष चेहरे रहे मंचासीन
कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री सुनील बंसल ने किया, जिन्होंने युवा ऊर्जा और शैक्षणिक उत्कृष्टता की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से राष्ट्र निर्माण की बुनियाद मजबूत होती है।
इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह, क्षेत्रीय विधायक और विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधिगण मंचासीन रहे।
युवा प्रतिभाओं ने रच दिया सांस्कृतिक संग्राम
"डैजल 2025" के तहत दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न कॉलेजों और संस्थानों के विद्यार्थियों ने समूह नृत्य, एकल गायन, ट्रेजर हंट, लेमन रेस जैसी बहुरंगी प्रतियोगिताओं में भाग लिया। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
हरियाणवी तड़के ने बांधा समां
मंच पर जब हरियाणवी लोकगायक अजय हुड्डा ने अपनी सजीव प्रस्तुति दी, तो उपस्थित छात्र-छात्राएं झूम उठे। उनका ज़ोरदार स्वागत तालियों और उत्साह के साथ हुआ।
दीक्षांत समारोह: नए भविष्य की ओर क़दम
शाम को दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया, जहाँ बतौर मुख्य अतिथि सांसद एवं पूर्व केंद्रीय खेल और युवा मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर उपस्थित हुए। उन्होंने छात्रों को स्वप्न देखने और उन्हें साकार करने की प्रेरणा दी।
इस गरिमामय समारोह में SIMS के संस्थापक अध्यक्ष श्री शेर सिंह डागर, जीजीएस आईपी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. डॉ. महेश वर्मा, परीक्षा नियंत्रक प्रो. गुलशन कुमार, उपाध्यक्ष डॉ. परीक्षित डागर, ट्रस्टी श्रीमती शकुंतला देवी सहित अन्य गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित रहे।
दिव्या सिंह छात्रवृत्ति से नवाज़े गए मेधावी छात्र
इस अवसर पर बीबीए, बीसीए और बी.कॉम ऑनर्स के कई मेधावी छात्रों को दिव्या सिंह छात्रवृत्ति प्रदान की गई, जो अकादमिक उत्कृष्टता का सम्मान है।
सूफ़ियाना समापन: अजय गिल की सदा में रूहानी रंग
कार्यक्रम का समापन सूफ़ी पंजाबी गायक अजय गिल की दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति से हुआ। उनकी गायकी ने समूचे वातावरण को रूहानी बना दिया, और "डैजल 2025" को एक यादगार समापन प्रदान किया।
‘डैजल 2025’ केवल एक उत्सव नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा सांस्कृतिक और शैक्षणिक महाकुंभ था जिसमें शिक्षा, संगीत और संकल्प की त्रिवेणी बहती रही।
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