KARANPRAYAG : ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के जल्द दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। कर्णप्रयाग में बन रहे रेलवे स्टेशन के लिए कुछ गांवों की भूमि अधिग्रहण की गई है। माना जा रहा है कि स्टेशन बनने के बाद यहां कृषि क्षेत्र में एक क्रांति आने की संभावना है। जिसे देखते हुए रेलवे विभाग ने अभूतपर्व कदम उठाते हुए इस स्टेशन से सटे पांच गांवों के किसानों को मशरूम और मधुमक्खी पालन के गुर सिखाने शुरू किए हैं। रेलवे विकास निगम की मदद से एटीआई (एप्रीप्रियेट टेक्नोलॉजी इंडिया) स्वयंसेवी संस्था दो ब्लॉकों के पांच गांवों के 100 किसानों को प्रशिक्षण दे रही है।
निर्माणधीन स्टेशन के लिए कर्णप्रयाग विकासखंड के कमेड़ा, भटनगर और कालेश्वर गांव के किसानों ने अपनी भूमि विभाग को दी है। जबकि पोखरी ब्लॉक के रानों और सिवाई गांव भी रेल लाइन प्रभावित गांव हैं। एटीआई संस्था इन पांच गांवों में रेलवे विकास निगम की मदद से स्वरोजगार के गुर किसानों को सिखा रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद अब मशरूम की फसल तैयार होने लगी है। बाजार में महंगे दामों पर बिकने वाले मशरूम के उत्पादन से हम सभी बहुत खुश हैं। वहीं कमेड़ा और रानों में मधुमक्खी पालन के लिए 100 हनी बॉक्स दिए गए हैं। इन गांवों के लिए एटीआई ने एक मास्टर ट्रेनर भी तैनात किया है।
किसानों को मिले हीटर और स्प्रे पंप
एटीआई संस्था के लक्ष्मण राणा ने बताया कि कमेड़ा में 20, भटनगर में 10, रानों में 20, सिवाई में 20 और कालेश्वर के एक गांव में 16 और दूसरे गांव में 14 किसान मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। एक किसान को 50 बैग मशरूम के बीजों के दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि एक बैग में तीन बार की फसल निकालने पर करीब 5 से 6 किलो मशरूम तैयार होती है। मशरूम की फसलें तापमान से खराब न हो इसके लिए इन दिनों प्रत्येक किसान को हीटर और स्प्रे पंप दिया जा रहा है जिससे फसलों में दवाओं का छिड़काव किया जा सके।
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