NEW DELHI : उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने पीसीएस परीक्षा -2021 के घोषित परिणामों में डिप्टी कलेक्टर से लेकर पुलिस उपाधीक्षक जैसे राज्य के विभिन्न विभागों में 41 प्रभावशाली पदों पर 289 पीसीएस अधिकारियों का चयन किया है। पीसीएस निकालना हर परीक्षार्थी का अपना सपना होता है। लेकिन सपना उसी का पूरा होता है जो कि उसको पूरा करने के लिए कठोर परिश्रम करता है। उस कठोर परिश्रम का रिजल्ट जब सुखद आता है तो तब परीक्षार्थी का मन प्रफुल्लित होना स्वाभाविक है। ऐसे ही अपने सपने को पूरा किया है जिया-दमराड़ा, यमकेश्वर की बहू नेहा बेलवाल ने। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह रही कि उन्होंने अपनी शादी के ग्यारह साल बाद अपने पहले ही अटेम्प में पीसीएस की परीक्षा पास कर बाल विकास परियोजना अधिकारी (महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग) का प्रभावशाली पद अपने नाम कर लिया।
अंग्रेजी में एक कहावत है कि " If you work with determination and with perfection, success will follow.” अर्थात यदि आप दृढ संकल्प और पूर्णता के साथ काम करेंगे तो सफलता ज़रूर मिलेगी। इस सूक्ति को चरितार्थ किया नेहा बेलवाल ने। जब अधिकांश लड़कियां शादी के बाद अपनी घर-गृहस्थी में व्यस्त हो जाती हैं तब ऐसी स्थिति में सात साल के बेटे की मां नेहा शादी के ग्यारह साल बाद भी अपने लक्ष्य को भेदने में सफल रही।
9 अक्टूबर,1989 को पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर ब्लॉक के पट्टी अजमेर तहसील पौखाल के केष्टा गांव के श्रीमती निर्मला केष्टवाल व श्री दिगम्बर प्रसाद केष्टवाल के घर में जन्मी नेहा बचपन से ही एक प्रतिभाशाली विद्यार्थी रही है। जिसका श्रेय घर के शैक्षणिक माहौल को भी जाता है। वर्तमान समय में पिता श्री दिगम्बर प्रसाद केष्टवाल इंडियन बैंक से मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त हैं वहीं माता जी श्रीमती निर्मला केष्टवाल काशीपुर स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत है। छोटा भाई सास्वत किस्टवाल 3D जूनियर एनीमेटर है।
माता-पिता की कर्म स्थली काशीपुर होने से नेहा ने बारहवीं तक की पढ़ाई काशीपुर से प्राप्त की। तत्पश्चात भारत के पहले कृषि विश्वविद्यालय गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकीय विश्वविद्यालय पंतनगर से होम साइंस -टैक्सटाइल से स्नातक की पढ़ाई की। स्नातक के बाद कुछ समय के लिए गुड़गांव की एक कंपनी में Merchandiser की भी जॉब की।
5 फरवरी 2013 को जिया दरमाड़ा के श्रीमती मंजू बेलवाल व श्री हरिप्रसाद बेलवाल के पुत्र *विपुल बेलवाल* से आपकी शादी हो गयी। आपके पति विपुल बेलवाल काशी पुर में स्थित एक एम.एन.सी. में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। शादी के बाद भी नेहा ने अपनी पढ़ाई को अनवरत जारी रखा। जिसके परिणामस्वरूप 2014 में आल इंडिया स्तर पर एंट्रेंस एग्जाम पास कर देश के प्रतिष्ठित संस्थान निफ्ट (National institute of Fashion Technology) मुम्बई के मास्टर इन डिजाइन में दाखिला लिया। निफ्ट की 45 सीटों के लिए संपन्न आल इंडिया स्तर की प्रवेश परीक्षा में साठ हजार परीक्षार्थियों के मध्य में आल इंडिया स्तर पर नेहा ने 30वीं रैंक प्राप्त कर देश के प्रतिष्ठित फैशन डिजाइन संस्थान में दाख़िला लेकर 2014-2016 तक मास्टर की पढ़ाई की। तत्पश्चात कई जगह नौकरी भी की।
"उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः" अर्थात मेहनत से ही काम पूरे होते हैं, सिर्फ़ इच्छा करने से नहीं।
पीसीएस परीक्षा की तैयारी को लेकर नेहा ने अपनी इसी इच्छा शक्ति के अनुसार तैयारी करनी शुरू कर दी। सन 2020 में नेहा ने अपने कदम पीसीएस बनने की ओर बढाये। जिसके लिए ध्येय आई.ए.एस.कोंचिंग सेंटर लक्ष्मी नगर, दिल्ली ऑन लाइन कोंचिंग ली तत्पश्चात सन् 2022 में ऑरकल (ORACLE) टेस्ट सिरीज़ से कोचिंग ली। जिसके परिणामस्वरूप 2021 में उत्तराखंड की पीसीएस की परीक्षा में भाग लेकर अंततः पीसीएस बनकर ही दम लिया।
नेहा का सात साल का बेटा विहान भी है। नेहा बताती है कि पीसीएस की तैयारी में मेरे बेटे विहान का भी बहुत बड़ा योगदान रहा। जब कभी मैं पढ़ाई के प्रति लापरवाह होती, तभी मेरा *बेटा विहान* मुझे टोकता, और कहता मम्मी पढ़ लो, पेपर आने वाले हैं, पढ़ोगी नहीं तो फेल हो जाओगी। *विहान* की यही बात मेरे दिल को छू जाती, मुझे लगता कोई तो है जिसे मेरी पढ़ाई की चिन्ता है, और फिर मैं पूरे जोश- खरोश के साथ तैयारी में जुट जाती। मेरी पीसीएस की सफलता में मेरे बेटे *विहान* का सबसे बड़ा योगदान है। क्योंकि पीसीएस की तैयारी के दौरान मैंने सबसे अधिक समय अपने बेटे विहान का ही चुराया। जिसका मुझे दु:ख भी होता था। जो समय मुझे उसे देना था, उस समय में मैं अपनी पीसीएस की तैयारी में जुटी रही।
नेहा अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, पति विपुल व सास-ससुर को देती है। साथ ही नेहा बताती है कि सन् 2019 में उसने पीसीएस परीक्षा की तैयारी के बारे में सोचा तो तब उसे किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया। अधिकतर ने मुझे हतोत्साहित ही किया, ये सब तुम कहां कर पाओगी, सबको लगा कि मैं ये सब कहां कर पाउंगी। लेकिन किसी की परवाह किए बिना मैंने अपनी तैयारी पर ध्यान दिया। धीरे-धीरे परिस्थितियां मेरे अनुकूल होती चली गयी। जब आप एक दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते हो तो ईश्वर भी आपके लिए रास्ता बनाता चलता है। जीवन में कोई भी मुकाम हासिल करना इतना आसान नहीं होता, संघर्ष तो करना ही पड़ता है, इस संघर्ष में बहुत सारे लोग आपको हतोत्साहित करने वाले भी होंगे। लेकिन आपको इन सब बातों से अपने ध्येय से नहीं भटकना है। आपकी शिक्षा और मेहनत ही आपको सफलता दिलायेगी। इसलिए कहा भी गया है कि "नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम् ॥" अर्थात विद्या जैसा बंधु नहीं, विद्या जैसा मित्र नहीं, और विद्या जैसा अन्य कोई धन या सुख नहीं।
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