देहरादून : आज आधुनिकता ने शहरों के साथ साथ उत्तराखंड के गांवों को भी अपनी मद में ले लिया है। जिसकी वजह से गांवों के पारंपरिक रीती रिवाज, बोली भाषा व संस्कृति प्रभावित हो रही है। इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए कालसी और चकराता तहसील के खत बमटाड़ के 24 गांवों के ग्रामीणों ने शादी समारोह में अपने पारंपरिक रीती रिवाज को बरकरार रखने और फिजूलखर्च को रोकने की एक अनूठी पहल की है।
रविवार को समाज सुधार समिति की ओर से नराया गांव में आयोजित महापंचायत में 16 सामूहिक प्रस्ताव पारित किए। इसमें मुख्य रूप से शादी समारोह में डीजे और फास्ट फूड पर प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही दहेज जैसी कुप्रथा पर भी पूरी तरह से रोक लगाते हुए बेटियों को पुराने रीति रिवाज के अनुसार पांच सामान संदूक, बिस्तर, कटोरा-थाली, बंठा और परात के साथ विदा करने का निर्णय लिया गया। ग्रामीणों ने गांवों में किसी भी तरह के नशे के सेवन या बिक्री पर भी रोक लगाने का फैसला लिया। यह भी तय किया गया कि जो भी इन फैसलों का उल्लंघन करेगा उसका गांव और खत से बहिष्कार किया जाएगा।
कालसी और चकराता तहसील के खत बमटाड़ के 24 गांवों में करीब 650 परिवार रहते हैं। छोटा करोबार और खेती-बाड़ी उनका मुख्य व्यवसाय है। शादी समारोह में फिजूलखर्च को रोकने के लिए वे कई दिनों से कोशिश कर रहे थे।
महापंचायत में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि खत बमटाड़ के 24 गांवों में शादी पार्टी आदि सार्वजनिक कार्यक्रमों में डीजे, बीयर और फास्ट फूड का उपयोग पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होगा। वहीं परिवार में पहले लड़के की शादी में मौखी यानी मामा एक बकरा और आटा चावल को छोड़कर अन्य सामान नहीं ला सकता।
रहिणी भोज (महिला भोज) में घर पर खाना दिया जाएगा। घर के लिए हिस्सा देने पर प्रतिबंध रहेगा। लड़के की शादी में न्योता 51 रुपये से 101 रुपये तक ही दिया जा सकेगा।
महापंचायत खत बमटाड के सदर स्याणा (मुखिया) मातबर सिंह तोमर और खाग स्याणा बुध सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई। इसमें अजब सिंह नेगी, अतर सिंह तोमर, आनंद सिंह तोमर, परमानंद शर्मा, गजेंद्र सिंह चौहान, संतन सिंह तोमर, किशन सिंह, टीमम सिंह, मातबर सिंह, मुन्ना सिंह, सुरेंद्र सिंह तोमर, विरेंद्र सिंह तोमर, राजेंद्र राणा, सरदार सिंह, जीवन सिंह आदि अनेकों लोग मौजूद रहे।
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