गणेश सिंह गरीब ने कहा यदि हम संगठित होकर "चकबंदी दो वोट लो" का नारा दें तो सरकार को मजबूरन चकबंदी लागू करनी ही पड़ेगी।
पौड़ी : शुक्रवार को कल्जीखाल विकास खंड के रा. प्रा. शिक्षक संघ भवन में चकबंदी के प्रेणता गणेश सिंह गरीब का 88 वां जन्मदिन चकबंदी दिवस के रूप में मनाया गया । वॉइस ऑफ माउंटेंस पहाड़ो की आवाज परिवार की ओर इस अवसर पर एक संगोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया। वॉइस ऑफ माउंटेंस परिवार विगत कई वर्षो से गणेश सिंह गरीब के जन्म दिवस को चकबंदी दिवस के रूप में उत्तराखंड ही नहीं दिल्ली एनसीआर में भी मानता आ रहा है।
चकबंदी आंदोलन से जुड़ी सभी सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों और वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखें एवं गणेश सिंह गरीब को उनके जन्मदिन पर बधाई व शुभकामनाएं दी। सभी ने कहा कि चकबंदी लिए गरीब जी ने 44 साल का कठिन संघर्ष किया है। अतः हम सरकार से उन्हें पद्मश्री पुरस्कार दिए जाने की मांग करते हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ कल्जीखाल ब्लॉक के कनिष्ठ प्रमुख अर्जन सिंह पटवाल एवं पूर्व प्रधानाचार्य एवं कल्जीखाल विकास खंड के प्रमुख समाजसेवी राजेंद्र सिंह पटवाल ने किया । संगोष्ठी से पहले पहाड़ो की आवाज वॉइस ऑफ माउंटेंस के संयोजक ग्रामीण पत्रकार जगमोहन डांगी ने गणेश सिंह गरीब की चकबंदी आंदोलन के लिए 44 सालों के उनके संघर्ष को संक्षेप में सबके सामने रखा। इस अवसर पर चकबंदी आंदोलन के समर्थक शेखरानंद मंझेड़ा, पूर्व कनिष्ठ प्रमुख अनिल कुमार, पूर्व सांसद प्रतिनिधि जयकृत सिंह पटवाल, रेखा देवी, मंजीता देवी आदि ने भी अपने विचार रखे।
गणेश सिंह गरीब ने कहा की पर्वतीय क्षेत्रों से लगातार हो रहे पलायन का दुखड़ा तो हर राजनीतिक दल का नेता करता है लेकिन पलायन के पीछे के कारणों को कोई गम्भीरता से नहीं तलाशता। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जनता को भी "चकबंदी दो और वोट लो" का नारा देकर नेताओं और सरकार पर दबाव बनाना होगा । क्योंकि हमारे नेता पहाड़ी जनता के वोट झपट कर खुद मैदान में बस गए हैं और उनका सरोकार केवल वोट तक ही तक सीमित रह गया है। गणेश सिंह गरीब ने कहा की राज्य गठन के 24 साल के बाद भी उत्तराखंडियों को पहाड़ के सुनियोजित विकास का मूल तो दूर आवरण की अवधारणा तक का ढांचा कहीं नजर नही आता। उन्होंने पहाड़ से निरंतर हो रहे पलायन के लिए सरकारों की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने जोर देकर कहा कि गांवों से पलायन रोकने का एक मात्र विकल्प चकबंदी ही हो सकती है। कहा कि चकबंदी ही पहाड़ की बंजर होती खेती को संजीवनी देने का काम कर सकती है।
इस अवसर पर कृषि और बागवानी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले काश्तकार सुनील पटवाल ग्राम फल्दा को उन्नत कृषक सम्मान से सम्मानित किया गया । इसके अलावा कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगो को लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने और शत प्रतिशत मतदान करने किए शपथ भी दिलाई गई ।
कार्यक्रम का कुशल संचालन विक्रम पटवाल ने किया । गोष्ठी में शामिल मातृ शक्ति ने भी कहा की यदि चकबंदी हो जाय तो महिलाओ का परिश्रम कम होगा साथ में एक चक होने से स्वरोजगार पैदा होगे और पलायन रुकेगा। विक्रम पटवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया और कहा की हम सब अपने अपने गांव में चकबंदी पर लोगो को जागरुक करें।
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