उत्तराखंड मूल निवास स्वाभिमान महारैली : उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून की सड़कों पर 90 की दशक की तरह रविवार को लोगों का हजूम उमड़ पड़ा। मूल निवास की कट ऑफ डेट 26 जनवरी 1950 घोषित किए जाने और प्रदेश में सशक्त भू-कानून लागू किए जाने की मांग को लेकर उत्तराखंड मूल निवास स्वाभिमान महारैली का आयोजन किया गया था।
इस महारैली में गढ़वाल और कुमाऊं मंडल से तमाम सामाजिक और राजनीतिक संगठन शामिल होने के लिए देहरादून पहुंचे थे। सुबह सभी लोग हाथों में बैनर और तख्तियां लिए परेड ग्राउंड में एकत्र होकर रैली की शक्ल में काॅन्वेंट स्कूल से होते हुए एसबीआई चौक, बुद्धा चौक, दून अस्पताल, तहसील चौक होते हुए कचहरी स्थित शहीद स्मारक पहुंचें। जहां सभा का आयोजन किया गया और सभी ने जोर शोर से एक स्वर में उत्तराखंड में सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 लागू करने की मांग उठाई।
बता दें कि सोशल मीडिया के जरिये ‘उत्तराखंड मूल निवास स्वाभिमान महारैली’ का अभियान चलाया गया था। इस महारैली में राज्य आंदोलनकारी, पूर्व सैनिक संगठन, सभी राजीनीतिक दल, अन्य जिलों से पहुंचे विभिन्न सामाजिक संगठनों समेत बच्चे, युवा, महिलाओं और बूढ़े सभी ने भाग लिया।
रैली में पहुंचे लोगों ने कहा कि राज्य में सशक्त भू कानून और मूल निवास का पैटर्न हिमालयी राज्य हिमाचल की तर्ज पर तैयार करके देना होगा । यहां के लोगों को सशक्त भू कानून और हक हकूक मिले इसके लिए 371 के पैटर्न पर बात करनी जरूरी है। ताकि, जिस उद्देश्य के लिए उत्तराखंड का निर्माण किया गया था, उन उद्देश्यों को हम पूरा कर सकें।
रैली को देखकर एक बार फिर से उत्तराखंड आंदोलन की याद ताजा हो गई। इस रैली से साफ झलक रहा था कि प्रदेश का हर व्यक्ति भूकानून और मूल निवास को लेकर किसी भी तरह से झुकने वाला नहीं है। क्योंकि उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक अब ये अलख जग चुकी है। अपने अधिकारों की मांग के लिए इस रैली में दिल्ली से भी हज़ारों की संख्या में लोगों ने देहरादून पहुंचकर अपना विरोध जताया। हल्ला बोल पहाड़ी हल्ला बोल की गूंज सरकार तक भी जरूर पहुंची होगी और इससे जरूर दबाव में होगी। इस स्वाभिमान रैली में आये लोगों ने कहा कि यदि सरकार अब भी नहीं चैती तो फिर हल्ला बोल रैली का आयोजन किया जायेगा।
गढ़नरेश नरेंद्र सिंह नेगी के नेतृत्व में कलाकार भी हुए एकत्र
एक और जहां हजारों की संख्या में लोग स्वाभिमान रैली में देहरादून में एकत्र हो रहे थे वहीं बद्रीनाथ के द्वार गरुड़ गंगा में गढ़नरेश नरेंद्र सिंह नेगी जी के नेतृत्व में कलाकारों ने जागी जावा जागी जावा ए उत्तराखंडियों गीत से लोगों को जगाने का काम किया।
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