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द्वाराहाट में संपन्न हुआ "किताब कौतिक"

KITAB KAUTIK ALMORA

KITAB  KAUTIK : उत्तराखंड, कुमाऊं अंचल के द्वाराहाट में "बिपिन त्रिपाठी कुमाऊं इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी" (जनपद अल्मोड़ा)  में बीते दिनों 1 से 3 सितंबर को "किताब कौतिक" का आयोजन  "क्रियेटिव उत्तराखंड" और  "बिपिन त्रिपाठी विचार मंच" के  संयुक्त तत्वावधान में  संपन्न हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि प्रसिद्ध पुराविद्,चित्रकार  डॉ.यशोधर मठपाल, इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. के.के.एस मेर और पंतनगर यूनिवर्सिटी के भूतपूर्व कुलपति डॉ. बी. एस. बिष्ट सहित अन्य आमंत्रित साहित्यकार ,अतिथिगण व स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

पिथौरागढ़ के बाद मेरे लिए "किताब कौतिक" में जाने का यह दूसरा अवसर था। इस बार  प्रो. दिवा भट्ट, डॉ. जे सी भट्ट,लखनऊ से पधारे कौस्तुभ आनंद चंदोला,पिथौरागढ़ से पहुंची दीप्ति भट्ट, हल्द्वानी से प्रिय हर्षिता (बुलबुल), पत्रकार जगमोहन रौतेला,दिल्ली से कुमाऊनी रामायण के लेखक श्री विश्वंभर दत्त जोशी "शैलज" ,कथाकार पंकज बिष्ट, डॉ. बिहारीलाल जलंधरी , सुवर्ण रावत,चंद्र सिंह रावत ,अल्मोड़ा से श्री त्रिभुवन गिरि  महाराज,महेंद्र ठकुराठी, लेखिका दीपा तिवारी, नीरज पंत, बालप्रहरी  के संपादक उदय किरौला, पत्रकार कविता जोशी, गरुण  से आए मोहन जोशी,शहरफाटक से "फाग रंगमंच" के दानसिंह फर्त्याल , पुष्पा फर्त्याल, नाट्यकला के भूपेश जोशी,युवा कवि हर्ष काफर सहित आयोजक मंडल के हेम  पंत,दयाल पाण्डे, चारु तिवारी,हेम खोलिया सहित कई लोगों से मिलना हुआ।


द्वाराहाट के ही सम्मानित श्री के.पी.एस अधिकारी जी का आतिथ्य बहुत सुंदर रहा।कार्यक्रम के मुख्य आयोजक पूर्व विधायक श्री पुष्पेश त्रिपाठी अपनी धर्मपत्नी और माताजी सहित कार्यक्रम में उपस्थित रहे।उत्तराखंड क्रांतिदल के अध्यक्ष श्री काशी सिंह ऐरी जी का भी कुछ समय कार्यक्रम में  आगमन रहा।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बच्चों की बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी रही।उनकी  वेशभूषा,नृत्य भंगिमाएं सुंदर थीं।बच्चों द्वारा कार्यक्रम के कुछ हिस्से का संचालन भी सुंदर रहा।विद्यालय के कुछ बच्चे गिटार के साथ भी उन्मुक्त गाते हुए अच्छे लगे। "अपनी रसोई" द्वारा पहाड़ी भोजन की व्यवस्था बढ़िया रही।


इन उत्सवों में जहां तक  बच्चों /युवाओं के पढ़ने योग्य साहित्य के चयन का प्रश्न  है, एक अनुभवी वर्ग,संस्थान इसे सुनिश्चित  कर सकता है जो बच्चों के मानसिक,बौद्धिक व समग्र जीवन के विकास में सहायक हो सके तथा सही जानकारी ,सही जीवन दर्शन इन पुस्तकों के माध्यम से मिल सके।पुस्तकें एक बहुत अच्छी मित्र और उद्धारक भी हैं। किताबों की  भीड़  बहुत है और इस भीड़ में एक अच्छे साहित्य को बच्चों तक पहुंचाना  एक चुनौती भी है। 

हमारी उपस्थिति कार्यक्रम के दूसरे दिन रही।पहले दिन के कार्यक्रम में ज्ञात हुआ कि विभिन्न स्कूलों के  छात्रों से लेखन, इतिहास, रक्षा विज्ञान, कृषि और पत्रकारिता के विशेषज्ञों द्वारा अलग- अलग सत्र में बातचीत की गई।


दूसरे दिन आमंत्रित लेखक और साहित्यकारों से सीधी बातचीत का कार्यक्रम भी रहा। जिसमें BTKIT, पॉलिटेक्निक और डिग्री कॉलेज की छात्र - छात्राएं भी सभागार में उपस्थित रहे। अन्य कार्यक्रमों में स्कूलों के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम, पेंटिंग प्रतियोगिता, ऐपण प्रतियोगिता, कविता वाचन, फोटोग्राफी व अन्य गतिविधियों में भागीदारी की।

रचनात्मक योगदान के लिए 2 वरिष्ठ साहित्यकारों  श्री त्रिभुवन गिरि महाराज और श्री विश्वंभर दत्त जोशी "शैलज" को सम्मानित किया गया।

 इस दौरान श्री कौस्तुभ चंदोला जी की चर्चित पुस्तक " सन्यासी योद्धा" का अंग्रेजी  संस्करण और काव्य संग्रह "नव पल्लव" श्री विश्वंभर दत्त जोशी "शैलज" जी की  प्रसिद्ध "कुमाऊनी रामायण", रतन  सिंह बंगारी जी की "मृग मरीचिका" हिंदी कहानी संग्रह का लोकार्पण  उपस्थित  अतिथियों द्वारा संपन्न हुआ ।

अपने वक्तव्य के अंतर्गत प्रो. अनिल जोशी ने "अल्मोड़ा जिले का वैभवशाली इतिहास" विषय पर अपनी बात रखी। लेखिका/ ग्रंथकार डॉ. हेमा उनियाल से "मानसखण्ड - नए संदर्भ" विषय पर दीप्ति  भट्ट ने वार्ता की। प्रो. दिवा भट्ट और डॉ. दीपा तिवारी ने "यात्रा लेखन" पर वार्ता कर अपने विचार प्रस्तुत किए। कथाकार और "समयांतर" के संपादक पंकज  बिष्ट और प्रो. भूपेन सिंह ने "सोशल मीडिया और पत्रकारिता" विषय पर अपने विचार रखे। रंगकर्मी /निर्देशक डॉ. सुवर्ण  रावत ने "उत्तराखण्ड में रंगमंच" विषय पर अपना वक्तव्य दिया। स्थानीय और बाहर से आमंत्रित अनेक कवियों ने "कवि सम्मेलन" में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।


सांस्कृतिक संध्या में "घुघुति जागर टीम" के राजेंद्र ढैला ,श्री दीवान कनवाल, लोकगायक नंद लाल आर्य तथा "फाग रंगमंच टीम" ने सुंदर गीत प्रस्तुत किए।आमंत्रित अतिथियों को स्थानीय भोज खिलाए गए - जिसमें भट्ट, पहाड़ी रायता, आम की चटनी, झंगोरे की खीर आदि रही।

नक्षत्र  अल्मोड़ा द्वारा आधुनिक दूरबीनों के साथ  खगोल विज्ञान से जुड़ी जानकारी दी गई। Virtaul Reality के माध्यम से सौर परिवार और चंद्रमा की सैर कराई गई। चंद्रयान 3 से जुड़ी जानकारियों को लेकर लोगों में  उत्साह था। 

पिथौरागढ़ से "आरंभ" नाम से विदित एक युवा वर्ग द्वारा पुस्तकों का स्टॉल  लगाया गया  । "पहरू"द्वारा स्थानीय भाषाओं की किताबों का स्टॉल देखने को मिला।दिल्ली /लखनऊ से आए डॉ.बिहारीलाल जलंधरी,कौस्तुभ चंदोला द्वारा अपनी व अन्य लेखकों की पुस्तकें भी इस दौरान रखी गई। श्रीमती यामिनी (गुड़गांव) ने ऐपण कलाकारी का स्टॉल लगाया।पिरुल हस्तशिल्प विशेषज्ञ श्रीमती Manju R. Sah ने अपनी विशेष कला को स्टॉल पर प्रदर्शित किया।श्रीमती पुष्पा फर्त्याल (शहरफाटक) द्वारा कठपुतलियों के माध्यम से परंपरागत वेशभूषा और महिलाओं के दैनिक कार्यों का सुंदर चित्रण किया गया।

स्वास्थ्य विभाग अल्मोड़ा द्वारा रक्तदान शिविर  भी इस दौरान लगाया गया । जिसमें बढ़ - चढ़कर लोगों ने हिस्सा लिया। साथ ही शांतनु शुक्ला जी के साथ लखनऊ और प्रयागराज से आए विशेषज्ञों ने मिशन इंटर कॉलेज में छात्र - छात्राओं को कैरियर से जुड़े टिप्स दिए।

3 सितंबर की सुबह "नेचर वॉक" के दौरान सीटीआर से आए श्री राजेश भट्ट ने Bird Watching और वनस्पति विज्ञानी डॉ. B.s. Kalakoti ने रास्ते पर मिल रही जड़ी - बूटियों के बारे में सभी लोगों को जानकारी दी। भूतपूर्व स्वास्थ्यनिदेशक डॉ. ललित उप्रेती जी ने रक्तदान, नेत्रदान और अंगदान की जरूरत पर पत्रकार श्री जगमोहन रौतेला के साथ अपने विचार प्रकट किए।"स्थानीय भाषा का शिक्षा में महत्व" विषय पर श्री उदय किरौला ने अपनी बात रखी वहीं लखनऊ से पधारे श्री कौस्तुभ चंदोला ने आज के साहित्य और सम्मान प्रक्रिया पर अपने विचार रखे।

डॉ. हेमा उनियाल

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