JOSHIMATH UPDATE : भू-धंसाव के बाद डर के साए में जी रहे लोगों के लिए सुखद खबरें सामने आ रही है। जेपी कॉलोनी में निकल रहे पानी की रफ़्तार कम हुई है और 723 मकानों को छोड़कर नए मकानों में दरारों की बात सामने नहीं आई है। वहीं सरकार प्रभावितों को डेढ़ लाख रूपये मुआवजा देगी।
जोशीमठ में हुए भू-धंसाव पर विशेषज्ञों की टीम लगातार जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच में जमीन के नीचे जमा हुए पानी के रिसाव को ही इसका कारण माना जा रहा है। हालांकि पानी का यह रिसाव वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और प्रशासन के लिए अब भी अबूझ पहली ही बना हुआ है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (NIH ) रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा इस पानी के नमूने लेकर जांच के लिए लैब भेजा गया है।
इन सबके बीच मंगलवार को एक अच्छी खबर यह आई है कि यहां पानी के स्त्राव में कमी दिखाई दी है। सचिव मुख्यमंत्री मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि रविवार को पानी का स्त्राव 560 लीटर प्रति मिनट (LMP) था, जो मंगलवार को घटकर 360 LMP पर पहुंच गया। उन्होंने बताया कि पानी के स्त्राव पर हर घंटे नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि अब किसी नए घर में दरार आने की खबर नहीं मिली है जो कि अच्छे संकेत हैं।
प्रशासन ने कहा है कि प्रभावित 723 परिवारों को अंतरिम सहायता के रूप मे डेढ़ लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा जो दो होटल गिरने के कगार पर हैं उन्हें ही डिसमेंटल किया जाएगा। पर प्रशासन के साथ हुई बैठक में मुआवजे को लेकर बात नहीं बन पाई है। होटल मालिक और अन्य लोग इससे संतुष्ट नज़र नहीं आ रहे है और वे धरने पर बैठ गए हैं।
जोशीमठ मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मिनाक्षी सुंदरम के साथ बैठक हुई। उन्होंने कहा कि बदरीनाथ की तर्ज़ पर मुआवजा नहीं मिलेगा, लेकिन मार्केट रेट पर होगा। हमने बोला कि मार्केट रेट बता दें लेकिन उन्होंने कहा कि नहीं बता सकते इस पर हमने कहा कि जब तक हमें सही जानकारी नहीं मिलती हम भी धरने से नहीं उठेंगे।
जोशीमठ के दर्द को बयां करती उदय ममगाईं राठी की रचना - रोता पहाड़ और पहाड़ी


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