बदरीनाथ में कड़ाके की ठंड : उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में अच्छी खासी बर्फ पड़ने से पर्वतीय और मैदानी इलाकों में ठंड का प्रकोप बढ़ने लगा है। गर्म कपडे पहनने के बावजूद लोगों को सुबह और शाम अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है। वहीं, चारधाम में भी बर्फ जमने से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बद्रीनाथ में तापमान शून्य से नीचे जाने से वहां ऋषि गंगा तक का पानी जमने लगा है। बद्रीनाथ के कपाट पहले ही 19 नवंबर को बंद हो चुके हैं।
तापमान शून्य से नीचे पहुंचने से चार धाम में मास्टर प्लान के कार्य में लगे पुलिस के जवान और बिकेटीसी के कर्मचारी व मजदूरों को ठंड से जूझने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। हालांकि दोपहर को अच्छी धूप खिलने से थोड़ी राहत मिल रही है लेकिन सुबह शाम कंपकंपाती ठंड से काम करने में भी मुश्किलें आ रही है। इस ठंड के चलते यहां बहने वाले नदी और झरने भी जम रहे हैं। यही नहीं पेयजल लाइन के नलों में भी पानी जमने लगा है।
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बदरीनाथ धाम के पास पहाड़ से निकलने वाले झरने बर्फ में तब्दील हो चुके हैं। यही नहीं हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, रुद्रनाथ सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ठंड प्रकोप बढ़ गया है।
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के दौरान वहां कुछ साधु संत तपस्या के लिए जाते हैं। अभी तक जोशीमठ प्रशासन की तरफ से 12 साधु संतों को शीतकाल में धाम में तपस्या करने की अनुमति दी है।
बता दें कि शीतकाल (दिसंबर से फ़रवरी ) में बदरीनाथ धाम का पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है। और यहां रहने वाले लोग 6 महीनों के लिए निचले स्थानों पर रहने के लिए आ जाते हैं।
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