SAHITYA SAMMAN SAMAROH : उत्तराखंड मानव सेवा समिति के तत्वावधान में हिंदी भवन, विष्णु दिगम्बर मार्ग, दिल्ली में रविवार को 'साहित्यकार सम्मान' एवं 'उत्तराखंड के अनिवासी साहित्यकार' पुस्तक का विमोचन किया गया। इस पुस्तक में उन डेढ़ सौ से अधिक साहित्यकारों का परिचय प्रकाशित है जो उत्तराखंड से बाहर यानी देश और दुनिया में रहकर साहित्य सृजन में लगे हुए हैं।
इन्हीं में से 15 साहित्यकारों को समिति द्वारा सम्मानित किया गया। सम्मान को तीन श्रेणियों में विभाजित कर प्रदान किया गया। प्रथम श्रेणी के अंतर्गत सन् 2020 तक प्रकाशित की जा चुकी 11 से अधिक पुस्तकों के रचयिताओं को साहित्य विभूषण 6 से 10 पुस्तकों के रचयिताओं को साहित्य भूषण तथा 1 से 5 पुस्तकें लिखने वाले साहित्यकारों को साहित्य साधना सम्मान प्रदान किए गए। "साहित्य विभूषण" के लिए सर्वश्री बल्लभ डोभाल, डॉ श्याम सिंह शशि, प्रदीप पंत, डॉ हरि सुमन बिष्ट, डॉ बिहारी लाल जलंधरी, "साहित्य भूषण" के लिए गिरीश चंद्र हंसमुख, रमेश चंद्र घिल्डियाल, सी एम पपनै, डॉ पृथ्वी सिंह केदारखंडी, डॉ अंजलि थपलियाल कौल, "साहित्य साधना" के लिए नीलांबर पांडे, हेमा उनियाल, सुरेन्द्र सिंह रावत 'लाटा', दिनेश ध्यानी, चंद्र सिंह रावत 'स्वतंत्र' को सम्मानित किया गया है।
हिंदी भवन के खचाखच भरे आडिटोरियम में उपस्थित जनसमूह की उपस्थिति में यह भव्य आयोजन पूरी सार्थकता और सफलता के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर एवं मयूर पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल, आई पी एक्स्टेंशन के बच्चों द्वारा प्रस्तुत गणेश वंदना के साथ हुई। कार्यक्रम का संचालन डॉ पुष्पा जोशी ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली पुलिस के स्पेशल आयुक्त (आईपीएस) श्री अजय चौधरी ने समिति के पदाधिकारियों के साथ मिलकर सभी साहित्यकारों को स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, अंग वस्त्र तथा सम्मान राशि भेंट स्वरूप प्रदान की।
सर्वप्रथम समिति के अध्यक्ष बी एन शर्मा ने अपने उद्बोधन में आज के इस आयोजन के मुख्य अतिथि श्रीमान अजय चौधरी सहित सभागार में उपस्थित जनसमूह का हार्दिक आभार व्यक्त किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि हमारी समिति की स्थापना सितंबर सन् 2000 में सामाजिक उत्थान, सहयोग और सेवा की मंशा से की गई है। साहित्यकारों को पहचान और सम्मान दिलाने तथा साहित्य के प्रचार व उत्थान हेतु इसी वर्ष से साहित्यकार सम्मान की शानदार शुरूआत की गई है।
समिति के महासचिव के एल नौटियाल ने भी संक्षेप में अपनी बात रखते हुए इस भव्य आयोजन के मुख्य अतिथि श्री अजय चौधरी सहित दर्शक दीर्घा में उपस्थित सभी लोगों का सादर अभिवादन और स्वागत सहित आभार प्रकट किया। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि समिति ने सामाजिक सरोकारों के साथ ही साहित्य के क्षेत्र में भी एक पहल शुरू कर दी है। समिति ने इस साहित्यिक आयोजन को प्रतिवर्ष इसी तरह करने का संकल्प लिया है। जिसके अंतर्गत समिति देश और दुनिया में निवास कर रहे साहित्यकारों को जूरी द्वारा एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत सम्मानित करती रहेगी। आज के इस आयोजन में सम्मानित होने वाले साहित्यकारों का चयन भी उनके साहित्यिक योगदान एवं कृतित्व को देखते हुए बहुत ही निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ किया गया है। चयन प्रक्रिया में हो सकता है कुछ चूक रह गई हो, लेकिन आपके सुझाव और मार्गदर्शन से उन सभी कमियों को दूर करने का हमारा हरसंभव प्रयास रहेगा। आशा है कि हमारी समिति के हरेक अभियान को आपका आशीर्वाद हमेशा की भांति आगे भी मिलता रहेगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अजय चौधरी ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में इस भव्य एवं ऐतिहासिक आयोजन में सम्मानित होने वाले उत्तराखंड से बाहर रह रहे मूर्धन्य अनिवासी साहित्यकार तथा आज लोकार्पित होने वाली पुस्तक में जिन जिन भी साहित्यकारों का परिचय प्रकाशित हुआ है, सभी को बधाई और शुभकामनाएं दी। साथ ही इस भव्य आयोजन के साक्षी बने ऑडिटोरियम में उपस्थित साहित्य प्रेमी दर्शकों का भी अभिवादन करते हुए आयोजन की सफलता शुभकामनाएं दी। अपने उद्बोधन को जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से बाहर प्रवास में रह रहे लगभग सभी साहित्यकारों को संपादक मंडल ने मंच प्रदान करने एवं पहचान दिलाने के लिए एक अभिनव प्रयास किया है।
समिति द्वारा ऐसा प्रयास निःसंदेह काबिले तारीफ है। वैसे तो उत्तराखंड मानव सेवा समिति ने विगत वर्षों में सामाजिक उत्थान, असहाय लोगों के कल्याण तथा जरुरतमंदों की सहायता जैसे अनेक सराहनीय, उल्लेखनीय और अविस्मरणीय कार्य कर समाज के प्रति अपने दायित्व का परिचय दिया है। लेकिन अब समिति ने साहित्य के क्षेत्र में भी अपने योगदान से एक विशेष विज़न या अवधारणा की शुरुआत की है। इसी संदर्भ में मुझे किसी कवि की ये पंक्तियां याद आ रही हैं कि :
अंधकार है वहां जहां आदित्य नहीं
अंधा है वह देश जहां साहित्य नहीं।
उत्तराखंड मानव सेवा समिति ने आज साहित्य के महत्व को समझकर "साहित्य समाज का दर्पण होता है" कहावत को चरितार्थ कर दिया है। वैसे तो अनेक सामाजिक संगठन समय समय पर कवि सम्मेलन तथा साहित्यकारों का सम्मान करते हुए दिखते हैं लेकिन समिति ने संभवत: इस क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई है। आशा है कि समिति साहित्यकारों के इस कुंभ को अविरल प्रवाह के साथ अग्रसारित करते हुए निकट भविष्य में एक बड़ा महाकुंभ का स्वरूप प्रदान करेगी।
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