अंकिता भंडारी के लिए न्याय की लड़ाई में देश भर की महिलाएं होंगी एकजुट
ANKITA MURDER CASE : दिनांक 14 अक्तूबर 2022 को उत्तराखण्ड महिला मंच द्वारा राष्ट्रीय स्तर के महिला संगठनों, पीयूसील एवं अन्य बुद्धिजीवी महिलाओं के साथ मिलकर एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की गयी। इस बैठक में मुख्यतः अंकिता भण्डारी की हत्या और उसको लेकर पुलिस-प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैये और हमारी भूमिका पर विचार विमर्श किया गया। इसके साथ ही हाल के दिनों में उत्तराखण्ड में हो रहे मानवाधिकार हनन के विभिन्न मामलों पर भी बातचीत की गयी। मींटिग को कन्डक्ट करने में पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव जी का पूरा योगदान रहा है।
इस मीटिंग का मुख्य उददेश्य था अंकिता की हत्या में शामिल अपराधियों को सजा दिलवाने के लिए हमें क्या करना चाहिए और इसकी सही जांच कैसे हो, इसके लिए क्या उपाय किये जाने चाहिए साथ ही सरकार पर कैसे दबाव बने ? अंकिता के परिवार वालों को उचित मुआवाज़ा और न्याय मिलने की बात भी इस मीटिंग में रखी गयी।
मीटिंग के आरम्भ में श्रीनगर से छात्र संगठन आइसा की शिवानी पाण्डे ने 18 सितम्बर जिस दिन अंकिता गायब हुई से लेकर अब तक के सम्पूर्ण घटनाक्रम को सबके सामने रखा। इस घटना के साक्ष्यों को प्रशासन द्वारा शुरू से ही छुपाये जाने और उनको नष्ट करने की भरसक कोशिश की गयी है। इस हत्या में शामिल अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है इसलिए दुबारा तथ्यों के संग्रहण करने और अंकिता के परिवार से मिलने की बात मीटिंग में हुई, जिसके बाद सरकार के सामने इस घटना की सीबीआई जांच या हाईकोर्ट के किसी जज की निगरानी में जांच की जाने की बात को अधिक दमदार तरीके से रखा जा सकता है।
जनवादी महिला समिति से सुभाषिनी अली का कहना था कि हमें अंकिता के परिवार की मुख्य मांग क्या है इसको समझना होगा। इस घटना पर ईपीडब्ल्यू में लिखने वाली सीडब्ल्यूसी में प्रोफेसर रहीं मैरी जान का कहना था कि हमें इस बात को भी समझना होगा कि गांवों से जो लड़कियां नौकरी के लिए बाहर आ रही हैं उनके साथ यौनिक हिंसा हो रही है और कई युवा लड़कियों की हत्या की जा रही है। हमें अंकिता की हत्या के साथ यह भी सोचना होगा कि ये युवा लड़कियां अपने कार्यस्थलों में किन परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर की जाती हैं। हम महिला संगठनों के समक्ष यह एक गम्भीर सवाल है कि लड़कियों की हत्याएं क्यों हो रही हैं ?
उत्तराखंड हाईकोर्ट की एडवोकेट स्निग्धा तिवारी का मानना था कि हमें अंकिता के साथ ही तमाम उन महिलाओं के विषय में भी विचार किया जाना चाहिए जिनको या तो गायब कर दिया है या फिर तस्करी करके उनको यौन व्यापार में झोंका जा रहा है। साथ ही उन्होंने उत्तराखण्ड की राजस्व पुलिस की भूूूमिका और सरकार द्वारा इस दिशा में लिये गये निर्णयों पर भी अपनी बात रखी।
देहरादून से दमयन्ती नेगी का कहना था कि स्थानीय विधायक रेणूका बिष्ट के निर्देश पर वनन्तारा रिजॉर्ट में बुलडोजर चलवाया गया क्योंकि इस इलाके में बहुत सारे अवैध धन्धे चलाने वालों को विधायक का संरक्षण प्राप्त है इसलिए हमें अपनी जांच जरूर करनी चाहिए ताकि न्यायिक प्रक्रिया को सही तरीके से आगे बढ़ाया जा सके। उनका यह भी कहना था कि सरकार ने शुरू में तो कहा कि 25 लाख का मुआवज़ा दिया जायेगा लेकिन अभी तक उसके घरवालों को कुछ मिला नहीं है। यहां तक कि उसके घरवालों को अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक नहीं सौंपी गयी है। परिवार चाहता है कि किसी भी तरह से अपराधियों को सजा़ मिले
उमा भट्ट ने यह स्पष्ट किया कि अंकिता का परिवार बहुत गरीब है, वे लोग अधिक पढे़-लिखे नहीं हैं, सरकार का उनपर बहुत अधिक दबाव है। इसलिए वे समझ नहीं पा रहे हैं कि उनको क्या मांग करनी चाहिए। उनके पास कई प्रकार के लोग जा रहे हैं जिससे कि उनको सही तरीके से अपना स्टैंड बनाने में परेशानी आ रही है। उनका कहना था कि अभी भी केस के सभी तथ्य स्पष्ट रूप से सामने नहीं आये हैं इसलिए एक राष्ट्रीय स्तर की टीम को वहां जाना बहुत ही जरूरी है। हमें सरकार के समक्ष अपने तथ्यों के संग्रहण के बाद एक मांग पत्र रखना चाहिए।
शिवानी पाण्डे द्वारा यह भी जानकारी मिली कि अंकिता के पिता चाहते हैं कि उनके बेटे को योग्यतानुसार नौकरी दी जाय, उनके गांव तक सड़क आये और अंकिता के नाम पर एक स्कूल बनाया जाय। सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता कविता कृष्णनन का कहना था कि उत्तराखण्ड के बाहर के साथियों को तथ्य संग्रहण के लिए जाना चाहिए, तथ्य नहीं भी मिलेंगे तो भी हमें अंकिता के परिवार से मिलना चाहिए, अंकिता के सहकर्मियों से मिलना चाहिए। एक प्रेस कांफ्रेस उत्तराखण्ड में और एक दिल्ली में करनी चाहिए। यदि अंकिता के परिवार को लेकर दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस की जाये तो इसको राष्ट्रीय स्तर का मुददा बनाया जा सकता है।
एनएपीएम की मीरा संघमित्रा ने कहा कि हमें यह मांग करनी चाहिए कि न्यायपालिका की निगरानी में एसआईटी अपना काम करे। इसके अलावा उनका कहना था कि हमें इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग को भी शामिल करना चाहिए। पर्यटन के नाम पर उत्तराखण्ड में किस तरह से महिलाओं के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है इस पर भी हमें ध्यान देना चाहिए।
गंगा असनोडा का कहना है कि अंकिता की मां बहुत मजबूत है, वो अपनी बेटी के लिये न्याय की लड़ाई लड़ना चाहती हैं।
बसन्ती पाठक ने कहा कि हमें अंकिता के केस को केन्द्र में रखकर तमाम उन महिलाओं की गुमशुदगी पर भी प्रकाश डालना चाहिए जिनको गायब कर दिया गया है। उन्होंने देवाल में एक दलित लड़की की हत्या में विधायक के शामिल होने और उस क्षेत्र के लोगों के आक्रोशित होने की बात बतायी।
लम्बे विचारविमर्श के बाद सुभाषिनी अली का कहना था कि दीपावाली के पहले या बाद में हमें कम से कम चार दिन के लिये वहाँ जाना चाहिए।
कविता श्रीवास्तव का कहना था कि हमें अपनी अन्य मांगों के साथ मुआवाज़ा लेने की बात रखनी चाहिए यह हमारा हक है। एक इन्सान को जीने के अधिकार से वंचित किया गया है, यह व्यक्ति का मुआवाज़ा नहीं है बल्कि एक स्वीकार्यता है जो कि जीने के हक को निर्धारित करता है। इस तरह के पूर्व केसों में सरकार को मुआवाज़ा देने का दबाव डाला गया है। उन्होंने भंवरी देवी वा अन्य केसों का उदाहरण दिया।
अन्ततः यह तय हुआ कि कुछ राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित महिलाओं को इस फैक्ट फाईडिंग टीम का हिस्सा होना चाहिए जिसमें कि उत्तराखण्ड से भी कुछ साथी शामिल हो जायेंगी। कोशिश यह होनी चाहिये कि अधिक से अधिक राज्यों की महिला साथी इस टीम का हिस्सा बनें। सभी की राय से 28, 29,30,31 अक्टूबर की तारीख तय हो गयी। अन्त में श्रुति का कहना था कि जिन भी साथियों को इस टीम का हिस्सा बनाया जाय सभी मिलने से पहले एक बैठक कर लें ताकि फैक्ट फाईंडिग करने में आपसी तालमेल बनाया जा सके। इस पर सहमति बन गयी है कि एक आन लाइन बैठक और आयोजित की जायेगी और इस ग्रुप से अन्य महिला साथियों को भी जोड़ लिया जायेगा।
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