DEEPAWALI 2022 : दीपावली का सभी भारतीयों को बेशब्री से इंतजार रहता है । दीपों के इस त्यौहार में कुबेर और लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है और सभी लोग पूजन के सही समय और मूहर्त के बारे में जानने के उत्सुक रहते हैं । यहां पंडित अनिल पुरोहित जी आपको धनतेरस, दीपावली के शुभ मूहर्त और नरक चतुर्दशी के लाभ के बारे में विस्तृत से बता रहे हैं।
धनतेरस 22 अक्टूबर शाम के 6:02 से शुरू होकर 23 अक्टूबर शाम के 6:03 में समाप्त हो जाएगा सूर्योदय के सिद्धांत अनुसार 23 अक्टूबर को सारा दिन और रात धनतेरस का पालन किया जा सकता है
धनतेरस में लौंग लक्ष्मी और कुबेर दोनों की ही एक साथ पूजा करते हैं जिस प्रकार जीवन में लक्ष्मी की आवश्यकता है ठीक उसी प्रकार लक्ष्मी को स्थिर और एक जगह रखने के लिए कुबेर की साधना या पूजा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है । धनतेरस में कोई भी नई वस्तु जिसको व्यक्ति रोज इस्तेमाल करता है उसे खरीदना चाहिए जैसे कि खाने पीने का कोई बर्तन, इसके अलावा सोने या चांदी का सिक्का भी खरीदा जा सकता है। महालक्ष्मी अष्टकम या फिर आष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना सबसे अच्छा माना जाता है इसके अलावा लक्ष्मी प्राप्ति एवं लक्ष्मी स्थिरता के लिए व्यक्ति कोई भी लक्ष्मी मंत्र का जाप या उसी मंत्र से हवन या दोनों ही कर सकता है।
नरक चतुर्दशी 23 अक्टूबर से 24 अक्टूबर
नरक चतुर्दशी 23 अक्टूबर शाम के 6:04 से शुरू होकर 24 अक्टूबर 5:27 पर समाप्त हो जाएगी। सूर्योदय के सिद्धांत अनुसार 24 अक्टूबर को सारा दिन और रात नरक चतुर्दशी का पालन किया जा सकता है
चतुर्मास के प्रारंभ में भगवान विष्णु शयन में चले जाते हैं और महाविद्या धूमावती इन चार मास में संसार का पालन करती है चतुर्मास के नरक चतुर्दशी तिथि में रमापति चली जाती है और इस दिन अपने साधकों को विशेष सिद्धियां प्रदान करके जाती है अगर कोई व्यक्ति धूमावती साधक है या धूमावती साधना करता है या उसमें रुचि रखता है तो नरक चतुर्दशी में इनका साधना करें।
नरक चतुर्दशी में 1 दिन के लिए नरक का द्वार खोल दिया जाता है और जितने भी हमारे पूर्वज अपने बुरे कर्म के चलते नरक में स्थान पाए होते हैं वह 1 दिन के लिए हम से मिलने आते हैं। बंगाल में और आसाम में इस दिन को भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है और 14 प्रदीप या दिया उन परिजनों के लिए जलाया जाता है नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और यह एक बहुत शक्तिशाली तिथि मानी जाती है।
प्रेत साधना करने में रुचि रखने वाले व्यक्ति जो प्रेत की सिद्धि करके लोगों का कार्य करते हैं या करने में रुचि रखते हैं उनके लिए यह तिथि विशेष है वह इस तिथि में किसी भी प्रकार के इतर योनि की साधना करके उसे 1 दिन में सिद्ध कर सकते हैं जिस प्रकार हम इंसानों में अच्छे और बुरे होते हैं ठीक उसी प्रकार प्रेत भी अच्छे और बुरे होते हैं और उनसे अच्छे कार्य भी करवाया जा सकता है। नरक चतुर्दशी के पद पर प्रेत चामुंडा दीक्षा दी जायेगी अगर कोई व्यक्ति दूसरों का कार्य करने में रुचि रखता है और प्रेत चामुंडा मंत्र द्वारा प्रेतों से कार्य लेना चाहता है तो वह दीक्षा के लिए संपर्क कर सकता है। उन्हें दीक्षा देकर प्रेत तंत्र द्वारा किस प्रकार कार्य किया जाता है वह सिखाया जाएगा ।
दिवाली अमावस्या एवं सूर्य ग्रहण 24 अक्टूबर से 25 अक्टूबर
दिवाली अमावस्या 24 अक्टूबर शाम के 5:28 से शुरू होकर 25 अक्टूबर शाम के 4:18 में समाप्त हो जायेगी। सूर्योदय के सिद्धांत अनुसार 25 अक्टूबर को सारा दिन और रात दिवाली अमावस्या का पालन किया जा सकता है
दिवाली अमावस्या में लक्ष्मी पूजा का समय होगा 24 अक्टूबर शाम के 7:16 से 8:30 तक इस समय के भीतर आपको सपरिवार लक्ष्मी पूजा करना है।
इस बार दिवाली अमावस्या पर सूर्य ग्रहण आ रहा है यह सूर्य ग्रहण कुछ स्थानों में दृश्य होगा और कुछ स्थानों में दृश्य नहीं होगा लेकिन भारत पर इसका प्रभाव जरूर पड़ेगा तो ग्रहण काल में आप लोग साधना जरूर करें मंत्र जाप जरूर करें और इसका लाभ उठाएं सूर्य ग्रहण का समय होगा 25 अक्टूबर शाम के 5:12 से 5:56 तक क्योंकि यह ग्रहण दृश्य है तो इसका सूतक लगेगा सुबह के 3:08 से शाम के 5:56 तक।
पंडित अनिल पुरोहित
99117 63636
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