कोटद्वार बिटिन बि लगलि भाषा आंदोलन कि धाद
पौड़ी : कोटद्वार 10 अगस्त, 2022 खुणि वरिष्ठ भाषाविद/वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर नन्द किशोर ढौंडियाल जी का निवास परैं उत्तरखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली कि पहल परैं साहित्यकारों कि मुखाभेंट ह्वै। बातचीत कु मुख्य विषय गढ़वालि कुमाऊनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कना खातिर क्या क्या जतन करे जौ जां से हमरि द्वी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल करे जौ।
उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच दिल्ली का संयोजक श्री दिनेश ध्यानी न बोलि कि गढ़वालि कुमाऊनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कना खातिर सब्बि लोग सालों बिटिन मांग कना छन पण अज्यों तलक क्वी सकारात्मक पहल सरकार का तरपां बिटिन नि ह्वै। यांकु कारण सैद हमरि बात उतगा डमडुमु तरां से नि पौंछि। अब बगत ऐगे कि हम लोग जख बि छंवा यीं मांग तैं भौत मजबूती से रखे जौ। यां का खातिर उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली बि जतन करणु छौ। ये का वास्ता उत्तराखण्ड बिटिन हि निर्णायक पहल हूण चैंद। श्री ध्यानी न बोलि कि दिल्ली म उत्तरखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली 2016 बिटिन नै पीढि तैं गढ़वालि कुमाऊनी भाषा सिखाणा खातिर ग्रीष्मकालीन कक्षाओं कु आयोजन करणों, श्रीनगर गढ़वाल अर देहरादून बि हम लोग गढ़वालि भाषा कि कक्षाओं कु आयोजन कना छंवा ता मतलब साफ चा कि आमणि हमुन ध्यान नि दे ता हमरि भाषाओं परैं खतरा बिण्डि चा। इलै भाषाओं कु संरक्षण बि हूण चैंद अर संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कना जतन बि तेज हूण चंदन।
श्री ध्यानी न बोलि कि दिल्ली म गढ़वालि कुमाऊनी जौनसारी अकादमी तैं बि हम ये भाषाई आन्दोलन म न्यूतला उम्मीद चा हमरि बात अकादमी का माध्यम से बि अगनै बढलि। अकादमी का उपाध्यक्ष श्री एम एस रावत जी वो सचिव डा जीतराम भट्ट जी व सब्बि सदस्यों का माध्यम से अकादमी भाषाई सरोकारों परैं लगातार काम करणीं।
प्रोफेसर नन्द किशोर ढौंडियाल जी न बोलि कि उत्तराखण्ड म अध्यापकों तैं बि भाषा आन्दोलन से जुड्यों चैंद। पाठकों अगर समाजौ हर वर्ग तैं चितलु कन पोड़लु।पैल्या जमन म विद्यालयों म हर छंचरा खुणि बालसभा लगदि छै वो शुरू हूण चैंद कर यों बालसभाओं म भाषा कि बात हूण चैंद। हमुतैं हर स्तर परैं जनता तैं चितलु कन पोड़लु। यांका खातिर जिलाधिकारी समेत प्रदेश का तमाम अधिकारियों तैं ज्वडणण पोड़लु।
वरिष्ठ साहित्यकार श्री जगमोहन बिष्ट जी ने बोलि कि हम लोगों तैं निराश नि हुयों चैंद। भाषा आन्दोलन का दौरान भौत तरां कि सकारात्मक अर नकारात्मक बात बि होलि पण हमरु लक्ष्य अडिग हूण चैंद ता हमरि बात सरकार टकलगै कि सूणलि। हम उत्तरखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली कि यीं पहल कु स्वागत करदां। हमरि गढ़वालि कुमाऊनी भाषा संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल हूण चंदन मां का खातिर हम लोग हर जतन करला। श्री बिष्ट जी न बोलि कि साहित्यकारों तैं अर खासकर नै लिख्वारों तैं प्रोत्साहन मिलणु चैंद।
वरिष्ठ साहित्यकार श्री अनुसुइया प्रसाद डंगवाल जी न बोलि कि साहित्य कि हर विधा जनु नाटक, बाल नाटक आदि परैं बि काम हूण चैंद। नाटकों का माध्यम से जनता तैं चितलु करे जौ।
गढवाल सभा कोटद्वार का महासचिव अर गजलकार श्री राकेश मोहन ध्यानी जी न जी ने बोलि कि कोटद्वार म हम लोग तमाम संगठनों का दगडि़ बात करला अर हमरि भाषाई आन्दोलन तैं अगनै बढौंला। वोंन बोलि कि अब बगत ऐगे कि गढ़वालि कुमाऊनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म जगा मिलण चैंद।
धाद संस्था का प्रतिनिधि, वरिष्ठ साहित्यकार श्री शान्ति प्रकाश जिज्ञासु जी ने बोलि कि मि धाद कि केन्द्रीय समिति दगडि बात करलु अर धाद ये भाषाई आन्दोलन म सक्रिय भूमिका निभौ यांका खातिर पूरी कोशिश रालि।
धाद का बारम सब्बि लोगों कि एक राय छै कि गढ़वालि कुमाऊनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कना ये आन्दोलन तैं धाद न दिशा देणि छै पण हाल का वर्षों म धाद भाषाई आन्दोलन से जरा दूर सि ह्वैगे।
श्री शान्ति प्रकाश जिज्ञासु जी न बोलि कि हम बि मनदां कि धाद न भौत आयामों परैं काम शुरू कर्यों जां से भाषा साहित्य आन्दोलन म धाद उतगा सक्रिय नि दिखेणी पण धाद कु उद्देश्य बि गढ़वालि कुमाऊनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल करणु ही चा।
सर्वोदयी नेता श्री सुरेन्द्रलाल आर्य जी ने बोलि कि हम पूरी तरां से भाषाई आन्दोलन का दगड़ि छंवा। जनजागरण अर नै लोगों तैं ये आन्दोलन म शामिल करणु जरूरी चा।
बैठक म यु तै करेगे कि उत्तराखण्ड समेत दिल्ली अर जख बि हमरा लोग छन वखा ये आन्दोलन तैं पौछंये जौ। लोगों तैं चितलु करे जौ। ज्ञापन से ल्हेकि जनता कि भागीदारी गौं का स्तर परैं तै करे जौ। प्रधान से लेकि सांसदों तलक हमरि बात पौंछ यना जतन होण चंदन। गढ़वालि कुमाऊनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कना खातिर जु बि जतन होवन वो गौं से ल्हेकि प्रदेश अर हर स्तर परैं एकसनि अर एकी दिन होला त वैकु हौरि सकारात्मक असर होलु।
उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच दिल्ली का संयोजक श्री दिनेश ध्यानी न बोलि कि हम लोग आप लोगों का सहयोग व मार्गदर्शन म अपणि भाषाओं का खातिर जु बि होलु टक लगै कि करला पण धरु धारों बिटिन हमरि भाषाओं कि बात हो, मांग होलि तब हौरि बढ़िया रालु यांका खातिर हम आप सौब लोग जतन करला ता टक लगैकि गढ़वालि कुमाऊनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म जगा मीललि।
बैठक म प्रोफेसर नन्द किशोर ढौंडियाल, श्री अनुसुइया प्रसाद डंगवाल, श्री जगमोहन सिंह बिष्ट, श्री सुरेन्द्रलाल आर्य, श्री राकेश मोहन ध्यानी, श्री शान्ति प्रकाश जिज्ञासु, श्री दिनेश ध्यानी आदि लोगोंन भाग ल्हे।
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