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उत्तराखंड में भी युगों युगों से विराजमान हैं भगवान जगन्नाथ का धाम वर्षों बाद फिर आया चर्चा में

जगन्नाथ धाम उत्तरकाशी


JAGANNATH DHAM IN UTTARKASHI : अब तक सभी को ये ज्ञात था कि भगवान जगन्नाथ ओडिशा के पुरी में विराजमान हैं। किन्तु उत्तराखंड की धरती पर भी भगवान जगन्नाथ युगों युगों से विराजमान है। उत्तरकाशी मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर साल्ट गांव में घने पेड़ों के बीच स्थित है जगन्नाथ धाम। यह स्थान तब दुनिया की नज़र में आया जब पुरी के मुख्य पुजारी पार्थ जोशी इस स्थान पर पहुंचे। आज सैकड़ों लोग प्रतिदिन यहां जाकर भगवान जगन्नाथ जी का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। 

कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ जी का यह मंदिर 12 वीं शताब्दी का है और आदि शंकराचार्य जी ने इसकी आधारशिला रखी। उस समय इस स्थान पर विधि पूर्वक पूजा पाठ होता था और भक्तों का आने जाने का सिलसिला लगा रहता था। लेकिन वक्त बीतने के साथ साथ भक्त इस स्थान को लगभग भूल ही गए। यहां तक कि उत्तराखंड के लोगों को भी नहीं पता था कि उनकी धरती पर भी जगन्नाथ धाम स्थित है। 

ये मंदिर फिर से तब चर्चा में आया जब उड़िया के सुपर स्टार सब्य साँची मिश्रा इस स्थान पर आये। उन्होंने इस स्थान के विषय में सोशल मीडिया में जिक्र किया और इंस्टाग्राम पर इसकी वीडियो डाली। उसके बाद इस स्थान पर प्रतिदिन भक्तो की भीड़ उमड़ रही है। ओडिशा और देश के अन्य राज्यों से भक्त बड़ी संख्या में भगवान जगन्नाथ के दर्शनों के लिए उत्तरकाशी पहुंच रहे हैं। 

कहा जाता है कि साल्ट गांव में स्थित वर्षों पुराने भगवान जगन्नाथ के इस पौराणिक मंदिर का वर्णन स्कंदपुराण के केदारखंड अध्याय में भी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि कलयुग के आरंभ से भगवान शिव एवं भगवान जगन्नाथ यहां  निवास करेंगे। 

पौराणिक मान्यता

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार गांव की एक निःसंतान दम्पति ने भगवान से पुत्र प्राप्ति के लिए इस स्थान की यात्रा की थी। भगवान के आशीर्वाद से उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई थी। इसके बाद भगवान जगन्नाथ ने उन्हें सपने में आकर कहा कि अब में इसी स्थान पर निवास करूंगा लेकिन आप गांव के कुछ खेतों पर हल मत चलाना। समय के साथ साथ दंपति सपने वाली बात भूल गई। कुछ सालों बाद इस दंपति का बालक खेत में खेलते खेलते गुम हो गया। वहीं एक किसान जब खेत में हल चला रहा था तो उसको एक आवाज सुनाई दी कि इस खेत में हल मत चलाना लेकिन किसान ने इसे अनदेखा कर हल चलाना जारी रखा तभी उस स्थान से भयंकर मधुमखियों का झुंड निकला और किसान का हल जिस पत्थर से टकराया उस जगह से भगवान् जगन्नाथ, माता सुभद्रा और बलराम की पौराणिक मूर्तियां मिली। कहते हैं कि मधुमखियों ने किसान पे आक्रमण कर उसे मार दिया। 

मूर्तियां मिलने के बाद ग्रामीणों द्वारा उस स्थान पर पूजा अर्चना कर वहां पर मूर्तियों को स्थापित  कर मंदिर बनाया गया साथ ही मंदिर के बाहर किसान हरिया की मूर्ति भी स्थापित की गई। कहते हैं यहाँ भक्त भगवान जगन्नाथ और शिव जी की पूजा के साथ साथ किसान हरिया की भी पूजा करते हैं। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि 12 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने शालिकराम पत्थर से बनी भगवान जगनाथ की मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया। मूर्ति के अग्रभाग में 12 वीं शताब्दी लिखा हुआ है। 

लोग बताते हैं कि वर्ष 2022 में ओड़िशा के पुरी में स्थित जगन्ननाथ धाम के पुजारी पार्थ जोशी जी उत्तराखंड भ्रमण पर थे तो उनके सपने में यह स्थान आया जिसे खोजते खोजते पुजारी साल्ट गांव पहुंचे। वो जब इस मंदिर पर पहुंचे तो मंदिर के द्वार बंद मिले। उन्होंने इस मंदिर के बारे में गांव वालों से जानकारी ली और उड़िया के सुपर स्टार सब्य साँची मिश्रा को इस स्थान और इसकी पौराणिकता के बारे में बताया व उनसे इस स्थान के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाने को कहा। उसके बाद साँची मिश्रा उत्तरकाशी के साल्ट गांव पहुंचे। उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्वार किया और आज हज़ारों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शनार्थ इस स्थान पर पहुँच रहे हैं। 

कैसे पहुंचें मंदिर 

आप यहां सड़क मार्ग से बस कार या टैक्सी से पहुंच सकते हैं। रेल से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और देहरादून है। यहां से आप कार टैक्सी लेकर जा सकते हैं। ऋषिकेश से उत्तरकाशी की दूरी 164 किलोमीटर है तो देहरादून से उत्तरकाशी की दूरी लगभग 140 किलोमीटर है। उत्तरकाशी से साल्ट गांव की दूरी 6 किलोमीटर है। यहाँ का निकटतम एयरपोर्ट देहरादून जॉलीग्रांट है। 


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