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उत्तराखंड में साल के दूसरे दिन भी थमे वाहनों के पहिये पर्यटकों व जनता की बढ़ी परेशानी

चक्का जाम

PROTEST AGAINST HIT AND RUN LAW : केंद्र सरकार द्वारा हिट एंड रन को लेकर बनाए जा रहे नए कानून के विरोध में उतराखंड के कई शहरों में वाहन चालकों ने चक्का जाम किया। गढ़वाल विक्रम टेंपो वेलफेयर एसोसिएशन ने दो और तीन जनवरी को ऑटो और विक्रम संचालित न करने का फैसला लिया है। वाहनों की हड़ताल के चलते लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सोमवार को ऑटो और विक्रम सड़कों पर दिखाई नहीं दिए और इनके संचालकों ने दूसरे वाहनों को भी नहीं चलने दिया जिससे आम जन मानस को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। धर्मनगरी हरिद्वार में ई-रिक्शा और ऑटो चालकों की हड़ताल के चलते वर्ष के पहले दिन गंगा स्नान और देव दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ा।

हालात ऐसे बन गए थे कि लोग वाहन की तलाश में इधर से उधर भटकते दिखे। हर तरफ सिर और कंधे पर सामान लादे लोग पैदल आवागमन करते दिखे। कुछ चालकों ने अपने वाहन चलाने की कोशिश की तो उन्हें यूनियन के लोगों ने रोक दिया। सारे दिन सड़कों पर अफरा तफरी का माहौल बना हुआ था। वाहन चालक इस कानून को वापिस लेने की मांग कर रहे थे। 

ऑल ओवर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा कि ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के बैनर तले ट्रक चालक आज भी हड़ताल पर है। कहा कि सरकार ने 10 साल की सजा और पांच लाख रुपये का जुर्माने का प्रावधान वापस नहीं लिया तो मजबूरन हड़ताल को आगे बढ़ाना होगा। 

क्यों हैं वाहन चालक आक्रोशित 

असल में पिछले दिनों केंद्र सरकार ने हिट एंड रन कानून को नई बनी भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 104 में सम्माहित किया है। इसके अनुसार यदि गलत ड्राविंग या फिर लापरवाही के चलते किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो फिर वाहन चालक को अधिकतम 7 वर्ष की सजा होगी साथ ही जुर्माना भी देना होगा। सेक्शन 104 B में साफ़ लिखा है कि यदि कोई हादसा हो जाता है और वाहन चालक गाडी से टक्कर के बाद खुद या वाहन समेत मौके से भाग निकलता है तो उसे 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। बस इसी प्रावधान को लेकर चालकों में आक्रोश है। चालकों का कहना है कि यह कानून हमारे लिए दोधारी तलवार की तरह है। उनका कहना है कि कानून के मुताबिक यदि हम हादसे होने पर वहां रुकते हैं तो पब्लिक हमें पीट पीट कर मार सकती है और यदि वहां से भाग जाते हैं तो फिर 10 साल की सजा होगी। कई बार हादसे की वजह दूसरे वाहन चालक होते हैं लेकिन इस नए कानून में उनके लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया है।  

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