इस बार गणेश उत्सव की गणेश चतुर्थी तिथि 18 सितंबर दिन के 12 बजकर 40 मिनट से शुरू हो रही है जो की 19 सितंबर दिन के 1 बजकर 44 मिनट तक रहेगी।
तैतरीय ब्रह्मण दक्षिण की 15 मूहर्त प्रणाली से लेकर शुभ बेला एवं चौघड़िया आदि शुभ समय निकालने की अलग अलग स्थानों में अलग अलग प्रकार की प्रणाली होती हैं। लेकिन शास्त्रों में शुभ बेलाओं के सबसे ज्यादा 30 शुभ मुहूर्तों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
अलग अलग मांगलिक कार्यों में तिथि वार नक्षत्र लग्न आदी के योग से ही मुहूर्त निकाले जाते हैं।
शास्त्रों में दो सबसे ज्यादा शुभ मुहुर्त होते हैं अमृत मुहुर्त एवं ब्रह्म मुहुर्त।
मैने मुम्बई एवम् उपनगर के लगभग 19 अक्षांश एवं 72 से 73 देशांतर की गणना करके दिवाकर पंचाग के सूर्योदय काल 6.31 के अनुसार मुहुर्त निकाले हैं। मुंबई के सूर्योदय से अपने क्षेत्र के सूर्योदय अंतर निकाल कर आप भी अपने क्षेत्र का मुहुर्त निकाल सकते हैं।
दो सर्वश्रेष्ठ मूहर्त
अमृत मुहुर्त ~~~ प्रातः 2 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ जो की रात्रिमान में लगभग एक मिनट की कमी के कारण 47 की अवधि 3 बजकर 17 मिनट तक चलेगा।
ब्रह्म मुहुर्त जो की प्रातः लगभग 4 बजकर 55 मिनट से 47 मिनट तक चलेगा अर्थात् पौने छः बजे तक
इनके मध्य विष्णु एवं युमिग्धयुती दो शुभ मुहुर्त भी आते हैं इसलिए इस पूर्ण सवा तीन घंटे की बेला को अमृत बेला भी कहा जाता है। इस बेला में सभी मंगल कार्य फलीभूत होते हैं। पौराणिक काल से शुभ विवाह लग्न को सबसे शुभ इसी बेला में माना जाता है।
6 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 7 मिनट के लगभग रूद्र एवं अहि अशुभ मूहूर्त हैं एवं लगभग 8 बजकर 54 मिनट से 9 बजकर 43 मिनट के पितृ मूहूर्त से बचिए ये अशुभ बेला है
इसके बाद 9 बजकर 44 मिनट से वसु वराह विश्वदेव एवं 12 बजकर 54 मिनट तक अभिजित मूहूर्त के पूर्ण समय तक गणपति स्थापना शुभ एवं मंगलकारी है।
इस बार गणेश चतुर्थी में रात्रि से ही भद्रा लग रही है लेकिन यह स्वर्ग लोक की भद्रा है। यह भद्रा सबसे ज्यादा शुभ फल देने वाली होती है।
स्वर्गे भद्रा शुभम कुर्यात पाताले धनागमम
इस बार राहुकाल दिन के 3.30 के बाद आ रहा है इसलिए इस गणपति उत्सव में इसका असर देखने को नहीं मिलेगा।
पंडित राम चमोली
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